लॉन बॉउल में एशियाई चैम्पियन बनीं भारत की बेटियां

ग्लू से चिपकाए जूते, खुद हवाई यात्रा का खर्च उठाया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में लॉन बॉल  का ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर सिर आंखों पर बिठाई गई पिंकी, नैनमोनि सैकिया, लवली चौबे और रूपारानी की उपलब्धि कुछ माह बाद ही भुला दी गई। 10 दिन पहले यही चारों बेटियां इपोह (मलेशिया) में पहली बार एशियाई चैम्पियन बनीं, लेकिन इन चारों समेत पूरी टीम को खुद से पैसा लगाकर इस चैम्पियनशिप में खेलना पड़ा। नैनमोनि ने तो अर्जुन अवार्ड की पुरस्कार राशि से यह टूर्नामेंट खेला। पिंकी के तो चैम्पियनशिप के दौरान जूते फट गए। उनके पास अतिरिक्त बॉलिंग जूते नहीं थे। उन्होंने ग्लू से जूते चिपकाकर टूर्नामेंट खेला।
राष्ट्रमंडल खेलों की तरह यह पहली बार था जब लॉन बॉउल फोर में भारत ने स्वर्ण जीता। 20 से 26 फरवरी को हुुई इस चैम्पियनशिप में भारत ने एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता। चैम्पियनशिप की तैयारियों के लिए साई ने शिविर लगाने में मदद नहीं की। नतीजन भारतीय बॉलिंग संघ ने उधार के पैसे लेकर गुवाहाटी में शिविर में लगाया। हालांकि तैयारियों के लिए शिविर मलयेशिया में लगना था, लेकिन अंतिम क्षणों में पैसे कम पड़ जाने के कारण इसे रद्द कर गुवहाटी में तैयारियां कराई गईं। शिविर में भी खिलाड़ी अपने पास से पैसा खर्च कर पहुंचे।
ठहरने, खाने के पैसे भी खुद भरे
राष्ट्रमंडल खेलों के बाद से भारतीय बॉलिंग संघ को अब तक साई से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। अदालत की ओर से खेल संघों की आर्थिक मदद रोके जाने के आदेश के बाद से ऐसा हुआ है। संघ ने चैंपियनशिप के लिए खिलाडिय़ों की किट और तैयारी शिविर को अपने पास से पैसों का इंतजाम कर लगाया, लेकिन उसके पास टीम भेजने और इपोह में ठहराने का पैसे नहीं थे। टीम से जब इस बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें यह टूर्नामेंट हर हालत में खेलना है। इसके बाद सभी ने हवाई यात्रा का खर्च खुद उठाया।
बेटियां बोलीं कम से कम हवाई यात्रा का खर्च उठाए जाया
नैनमोनि कहती हैं कि उन्होंने अर्जुन अवार्ड की पुरस्कार राशि से हवाई यात्रा का टिकट लिया। पिंकी कहती हैं कि राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता के बाद कम से कम उनके साथ इतना किया जाना चाहिए था कि उन्हें हवाई यात्रा का खर्च खुद न उठाना पड़ता। बॉलिंग संघ के पास इतना पैसा ही नहीं था कि टीम का खर्च उठाता। इसके बाद ही खिलाडिय़ों ने खेलने के लिए हवाई यात्रा का खर्च उठाने का फैसला लिया। इस टूर्नामेंट में पहली बार पुरुष सिंगल्स में पुतुल ने रजत पदक जीता। वह भी अपने खर्च पर गए थे। बॉलिंग संघ के एक पदाधिकारी का कहना है कि उन्हें कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिल रही है, जितना पैसा उन्होंने जुटाया उसे तैयारियों पर लगा दिया। खिलाडिय़ों के पास खुद का खर्च कर खेलने के अलावा कोई चारा नहीं था।

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