एक साल में 95 साल की दादी भगवानी ने जीते 95 मेडल

एथलीट दादी भगवानी देवी देश-विदेश में फहरा रहीं तिरंगा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
उम्र तो आंकड़ा है, यदि इंसान में जीत की भूख और जज्बा हो तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं। इस बात को सच कर दिखाया है 95 साल की एथलीट भगवानी देवी डागर ने। दादी देश हो या विदेश जहां भी जाती हैं अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से मेडल जीतते हुए तिरंगा फहराती हैं। उम्र को दरकिनार कर दिल्ली के नजफगढ़ के निकट मलिकपुर गांव निवासी भगवानी देवी एक साल में 95 पदक जीत चुकी हैं। 
इसी महीने दादी भगवानी देवी पोलैंड में होने वाली वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में देश को पदक दिलाने के लिए दौड़ेंगी। आपको बता दें कि 29 जून से 10 जुलाई 2022 तक फिनलैंड में हुई वर्ल्ड मास्टर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दादी भगवानी देवी ने 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था। इसी चैम्पियनशिप में भगवानी देवी ने शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में भी कांस्य पदक जीते थे। उस चैम्पियनशिप में भगवानी देवी ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था।
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में दादी भगवानी देवी ने छात्राओं में जोश भरते हुए कहा कि अगर खिलाड़ी में जज्बा और हौसला हो तो वह उम्र के किसी भी पड़ाव में नाम चमका सकता है। कोई काम जब तक ही भारी दिखता है जब तक उसे मन से नहीं करेंगे। जिस दिन मजबूत मन और हौसले के साथ उसे पूरा करने की ठान लोगे तो मंजिल जरूर मिलेगी। 
भारत की कई महिला एथलीट और खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की नाम रोशन कर रही हैं। कम उम्र में ही सानिया मिर्जा से लेकर भवानी देवी, पीवी सिंधु और मीराबाई चानू ने अपना नाम बनाया। इन महिला एथलीट्स ने कई खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई सारे मेडल जीत कर भारत का परचम दुनिया भर में लहराया। लेकिन पिछले साल भारत ने एक ऐसी महिला एथलीट की जीत का जश्न मनाया, जिसने उम्र की सीमा पार कर देश का नाम रोशन किया है। शूटर दादी के बाद अब एथलीट दादी सुर्खियों में हैं। 95 साल की स्प्रिंटर भगवानी देवी डागर ने फिनलैंड में हुई वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था।
भगवानी देवी ने फिनलैंड के टाम्परे में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर की दौड़ में जीत हासिल कर भारत के लिए स्वर्ण पदक झटका था। उन्होंने महज 24.74 सेकेंड में 100 मीटर की दौड़ पूरी की और नेशनल रिकॉर्ड कायम किया। खास बात ये है कि भगवानी देवी की उम्र 95 साल है। उस चैम्पियनशिप में उन्होंने एक गोल्ड जीतने के साथ ही दो कांस्य पदक भी अपने नाम किए थे। रनिंग में कमाल दिखाने वाली भगवानी देवी ने चैम्पियनशिप में गोला फेंक और डिस्कस थ्रो में भी हिस्सा लिया और कांस्य पदक जीते।
भगवानी देवी कैसे बनी एथलीट
हरियाणा की रहने वाली भगवानी देवी के एथलीट बनने की कहानी बहुत रोचक है। भगवानी देवी के पोते विकास डागर एक अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट हैं और राजीव गांधी स्पोर्ट्स पुरस्कार से सम्मानित हैं। विकास डागर की दादी भी एक साधारण सी गृहणी हैं, जिनका जीवन पति के निधन के बाद बेटे और परिवार को संभालने में गुजरा। वह खेतों में भी काम किया करती थीं। लेकिन उनके पोते ने उन्हें खेल की ओर प्रेरित किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए ट्रेनिंग दी। भगवानी देवी रोजाना सुबह 5 बजे उठकर दौड़ लगाने जाती हैं तो शाम को फिर रनिंग पर जाया करती हैं।
बीते साल अप्रैल में भगवानी देवी ने दिल्ली स्टेट में 3 गोल्ड जीते, साथ ही चेन्नई नेशनल के दौरान 3 गोल्ड मेडल हासिल किए। उसके बाद इंग्लैंड चैम्पियनशिप में 1 गोल्ड और 2 कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। भगवानी देवी के परिवार में बेटे हवा सिंह डागर के अलावा बहू सुनीता, पोता विकास डागर, विनीत डागर, नीतू डागर और पढ़ पोते निकुंज और विश्वेंद्र हैं। 

 

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