मीराबाई बोलीं- खेलों के लिए समाज में बदलाव जरूरी

परिवार के समर्थन और खुद को साबित करने की ललक से मिली कामयाबी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की मीराबाई चानू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। पूरी दुनिया उन्हें जानती है। मीराबाई ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला वेटलिफ्टर हैं। उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक में यह मुकाम हासिल किया। हाल ही में मीरा ने वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में रजत पदक अपने नाम किया था। इससे पहले वह बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीत चुकी हैं।
जब भी किसी मल्टी स्पोर्ट्स टूर्नामेंट की शुरुआत होती है तो लोगों की पहली उम्मीद मीराबाई चानू से होती है। मीरा ने अपने फैंस को कभी निराश भी नहीं किया है। टोक्यो ओलम्पिक में भी मीरा ने ही पदक का खाता खोला था, जबकि बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को पहला स्वर्ण दिलाया था। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मीराबाई ने कलाई की चोट के बावजूद कुल 200 किलोग्राम का भार उठाकर रजत पदक अपने नाम किया।
मीराबाई ने 2016 में रियो ओलम्पिक में पदक से चूकने के बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा है और लगातार सफलता के झंडे गाड़ रही हैं।  2016 रियो ओलम्पिक में मीराबाई अपने एक भी प्रयास में सही तरीके से वजन नहीं उठा पाई थीं। उनके हर प्रयास को डिस-क्वालिफाई कर दिया गया था। 2016 में जब मीरा वजन नहीं उठा पाई थीं, तो उनके नाम के आगे - 'डिड नॉट फिनिश' लिखा गया था।
एक वक्त मीरा ने वेटलिफ्टिंग को अलविदा कहने का मन भी बना लिया था। हालांकि, खुद को साबित करने की ललक ने मीरा को ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद से मीरा देश की नई आइकॉन बनकर उभरीं। मीराबई फिलहाल अपने घर पर हैं और मां के साथ क्वालिटी टाइम बिता रही हैं। साथ ही कलाई की चोट से रिकवर भी कर रही हैं। 
सवाल: अपने खेल में महिला होने के नाते आपके सामने क्या-क्या कठिनाइयां आईं?
मीराबाई: काफी परेशानियां आईं। काफी लड़ाइयां लड़नी पड़ीं। मैं भी गांव से आती हूं। बचपन में जब मैंने स्पोर्ट्स में करियर बनाने का सोचा था तो आसपास के लोग चिढ़ाते थे, बोलते थे- दूसरे क्या सोचेंगे, दूसरे क्या बोलेंगे। ये सारी बातें सामने आती थीं, लेकिन मेरे परिवार ने मेरा बहुत सपोर्ट किया। उनकी वजह से मैं आज यहां तक पहुंच पाई हूं। परिवार नहीं होता तो शायद मैं कामयाब नहीं हो पाती। मुझे ये दिखाना था और साबित करना था कि लड़की भी बहुत कुछ कर सकती है। घर से बाहर जाकर तैयारी कर लड़की भी कामयाबी हासिल कर सकती है। मुझे लोगों को दिखाना था कि मेहनत करके कामयाबी हासिल की जा सकती है। हां इस सफर में बहुत कुछ सुनने को मिला, लेकिन मैं एक कान से सुनती हूं और दूसरे कान से निकाल देती हूं, क्योंकि मुझे पता है कि मैं क्या कर सकती हूं। इसलिए कह सकती हूं कि हां मुश्किल तो काफी आईं।
सवाल: जब मीराबाई खेलने उतरती हैं तो लोगों को पदक की उम्मीद होती है, अब तक आप उन उम्मीदों पर खरी भी उतरी हैं। उस वक्त आप पर कितना दबाव होता है?
मीराबाई: बहुत दबाव होता है। जैसा कि सब बोलते हैं वेटलिफ्टिंग में मीराबाई जरूर कुछ करेगी, तो मुझे भी टेंशन रहती है कि क्या होगा, लोगों को जो उम्मीद है उस पर खरी उतर पाऊंगी कि नहीं। अगर नहीं कर पाऊंगी तो मैं क्या करूंगी! तो ये सब बातें दिमाग में चलती रहती हैं। हालांकि, मैं इसके बाद खुद को मनाती हूं और मानसिक तौर पर तैयार करती हूं। ये सब बातें भूलकर ये सोचती हूं कि मैं क्या कर सकती हूं और अब तक मैंने क्या किया है। इससे मुझे अपने कॉम्पिटिशन पर फोकस करने में मदद मिलती है। टेंशन-परेशानी तो होती ही है, लेकिन ये खिलाड़ियों के ऊपर है कि वह इससे कैसे निपटते करते हैं।
सवाल: पिछले कुछ समय से यह देखने को मिला है कि स्पोर्ट्स में कई महिला एथलीट उभर कर सामने आई हैं? तो क्या आपको लगता है कि भारत में जो संसाधन मौजूद हैं उससे मदद मिल रही है?
मीराबाई: हां पहले से काफी बदलाव देखने को मिला है। स्पोर्ट्स में महिलाओं का आना इसका उदाहरण है। अब हर फील्ड में लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। अब हर परिवार लड़कियों को आगे बढ़ने में सपोर्ट कर रहा है। पहले ऐसा नहीं था। पहले लोग बोलते थे- लड़की ऐसा नहीं कर सकती, घर पर रहना है वगैरह-वगैरह। परिवार में भी लोग यही बोलते थे, लेकिन अब मैंने इसमें काफी बदलाव देखा है। न सिर्फ स्पोर्ट्स में, बल्कि हर फील्ड में लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। मुझे लगता है कि स्पोर्ट्स में लड़कियों का भविष्य उज्जवल है और लड़कियां बहुत अच्छा करेंगी। वह अच्छा कर भी रही हैं। समाज में बदलाव आना अच्छी बात है।
सवाल: आप कलाई की चोट से लंबे समय से जूझ रही हैं, इसके इलाज के लिए आगे क्या करने वाली हैं?
मीराबाई: अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई हूं। पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा। फिलहाल मैं  रिकवरी पर ही फोकस कर रही हूं। फीजियो ने जो एक्सरसाइज दिया है, उन सब को करके जल्द से जल्द रिकवर करने की कोशिश कर रही हूं। अभी मैं स्ट्रेंथ और कलाई की एक्सरसाइज पर ज्यादा ध्यान दे रही हूं।

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