स्मृति शेषः खेलप्रेमियों के दिलों पर राज करते थे फुटबॉल के जादूगर पेले

पेले को देखने के लिए जब रोक दिया युद्ध, दिग्गज ने घटना का जिक्र खुद किया था
कैंसर से जूझ रहे पेले का 82 वर्ष की उम्र में निधन
खेलपथ संवाद
साओ पोउलो।
पेले की दीवानगी पूरी दुनिया में किस हद तक सिर चढ़कर बोलती थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस महान फुटबॉलर की वजह से युद्ध लड़ रहे देशों ने अपनी लड़ाई रोककर सीजफायर तक लागू कर दिया। एक घटना का जिक्र तो खुद पेले ने 2012 में अपने गैबोन दौरे पर किया था।
पेले जब गैबोन की राजधानी लिब्रेविले 2012 में गए तो उन्होंने बताया कि वह 1967 में भी अपने क्लब सांतोस से यहां खेलने आए थे। उन्हें किंशासा (कांगो) और लिब्रेविले में खेलना था। उस दौरान गैबोन और कांगो के बीच युद्ध चल रहा था। गैबोन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली बोंगो ने कांगो के राष्ट्रपति से बात की कि पेले यहां खेलने आ रहे हैं। ऐसे में युद्ध नहीं होना चाहिए। दोनों देश इस पर राजी हो गए। सीजफायर लागू कर दिया। पेले का मैच होने के बाद दोनों देशों में फिर युद्ध शुरू हो गया। 
इसी तरह सांतोस की टीम को 1969 में नाइजीरिया में खेलने आना था, लेकिन इस देश में दूसरे देश बायफ्रा के साथ युद्ध छिड़ा हुआ था। जब पेले बेनिन खेलने पहुंचे थे, तो  नदी के दूसरे किनारे पर बायफ्रा था। मैच शुरू होने से पहले नदी पर स्थित पुल के दरवाजे खोल दिए गए और युद्ध को रोक दिया गया। दोनों देशों के लोगों ने पेले को देखा, लेकिन सांतोस के सदस्य गिल्मर बताते हैं कि जैसे ही टीम वहां से हवाई जहाज पर चढ़ी युद्ध फिर शुरू हो गया। गिल्मर बताते हैं कि इस दौरान गोलीबारी की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं। बाद में बायफ्रा को नाइजीरिया में शामिल कर लिया गया था।
ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। पेले कोलोन कैंसर से जूझ रहे थे। उनके शरीर ने कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट का जवाब देना भी बंद कर दिया था। पेले को हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पता चला कि उन्हें रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन भी है। पेले फुटबॉल के सर्वकालिक महान खिलाड़ी माने जाते हैं और तीन बार के विश्व कप विजेता रह चुके हैं। इंस्टाग्राम पर उनकी बेटी केली नेसिमेंटो ने उनके निधन की पुष्टि की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा- हम जो कुछ भी हैं, आप ही की बदौलत हैं। हम आपसे बहुत प्यार करते हैं। रेस्ट इन पीस।
पेले तीन वर्ल्ड कप जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी, दो साल 100 से ज्यादा गोल दागने का भी रिकॉर्ड
सर्वकालिक महान फुटबॉलरों में से एक ब्राजील के दिग्गज पेले का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर की पुष्टि उनकी बेटी ने गुरुवार देर रात इंस्टाग्राम पर की। कोलन कैंसर से जूझ रहे ब्राजील के पूर्व फुटबॉलर ने कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट का जवाब देना बंद कर दिया था। उन्हें इस महीने की शुरुआत में अपने कैंसर के उपचार का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में पता चला कि उन्हें रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन भी है। पेले के निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर है। 
फुटबॉल में महान शब्द की शुरुआत पेले से ही हुई थी। ब्राजील के एक छोटे से इलाके से आए पेले ने दुनिया में फुटबॉल की परिभाषा ही बदल कर रख दी थी। पेले ने ब्राजील को तीन बार विश्व चैंपियन बनाया। 1958, 1962 और 1970 में उनके रहते ब्राजील ने विश्व कप जीता। अब तक उनसे ज्यादा बार वर्ल्ड कप किसी ने नहीं जीता। उन्होंने कुल चार वर्ल्ड कप खेले, जिसमें से तीन जीते। 1958 फीफा वर्ल्ड कप में सूडान के खिलाफ विश्व कप फाइनल में उन्होंने दो गोल दागे थे। पेले ने प्रोफेशनल करियर में कुल 1363 मैच खेले और 1281 गोल दागे। ब्राजील के लिए उन्होंने 92 मैचों में 77 गोल दागे। पेले ने 1971 में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया था।
1958 में पेले ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था। उन्होंने 17 वर्ष और 239 दिन की उम्र में 1958 वर्ल्ड कप में वेल्स के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में वर्ल्ड कप का अपना पहला गोल दागा था। इस तरह वह इस टूर्नामेंट में गोल दागने वाले सबसे कम उम्र के फुटबॉलर बन गए थे। उन्होंने 17 साल और 244 दिन की उम्र में 1958 वर्ल्ड कप के सेमीफइनल में फ्रांस के खिलाफ हैट्रिक गोल भी दागे। इसके साथ ही पेले हैटट्रिक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए। पेले ने फाइनल में भी गोल दागा था और अपनी टीम को विश्व विजेता बनाया था। पेले 18 साल की उम्र से पहले फीफा वर्ल्ड कप में गोल दागने वाले दुनिया के इकलौते खिलाड़ी हैं।
पेले के नाम दो साल 100 से ज्यादा गोल दागने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने 1959 में 127 और 1961 में 110 गोल दागे थे। विश्व में वह ऐसा करने वाले पहले और इकलौते खिलाड़ी हैं। जाम्बिया के फुटबॉलर गॉडफ्रे चितालू ने जरूर 1972 में क्लब और देश के लिए 107 गोल दागे थे, लेकिन पेले की तरह दो साल तक 100+ गोल का आंकड़ा नहीं छू सके। 

 

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