पहला मैच हारे, लेकिन नहीं हारी हिम्मत

मेसी की टीम ने फिर सभी मैच में दागे शुरुआती दो गोल
दोहा।
अर्जेंटीना जब सऊदी अरब के खिलाफ विश्व कप का पहला मैच हार गई तो कप्तान लियोनल मेसी ने प्रशंसकों से कहा था, ''आप विश्वास बनाए रखें, हम आपको निराश नहीं करेंगे।'' कतर विश्व कप में चौंका देने वाली हार के बाद अर्जेंटीना ने वापसी की और फाइनल में अपना स्थान पक्का किया। खिताबी मैच में उसका मुकाबला फ्रांस से हुआ। रोमांचक फाइनल मैच को अर्जेंटीना की टीम पेनल्टी शूटआउट में जीतकर 36 साल बाद चैम्पियन बन गई।
लियोनल मेसी के साथ-साथ अर्जेंटीना की इस सफलता में कोच लियोनल स्केलोनी का भी बड़ा योगदान है। 2018 में जब स्केलोनी कोच बने थे तब उनके पास किसी भी सीनियर टीम को कोचिंग देने का अनुभव नहीं था। उस साल विश्व कप में मिली हार के बाद अर्जेंटीना की टीम मानसिक रूप से टूट चकी थी। मेसी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने वाले थे। स्केलोनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मेसी को रोकना था। उन्होंने ऐसा ही किया। उसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया। स्केलोनी ने 1993 के बाद अर्जेंटीना को पहला इंटरनेशनल खिताब दिलाया। अब विश्व कप पर भी कब्जा कर लिया।
स्केलोनी ने हर मैच में किया बदलाव
स्केलोनी ने सऊदी अरब और मैक्सिको के खिलाफ फेल होने के बाद इंटर मिलान की ओर से क्लब फुटबॉल खेलने वाले स्टार स्ट्राइकर लौटारो मार्टिनेज को शुरुआती एकादश से बाहर किया। लगातार दो मैचों में 4-4-2 के फॉर्मेशन से उतरने के बाद स्केलोनी ने पोलैंड के खिलाफ अहम मैच में इसे बदल दिया। उन्होंने 4-3-3 से उतरने का फैसला किया। पोलैंड के खिलाफ लौटारो मार्टिनेज की जगह मैनचेस्टर सिटी के लिए क्लब फुटबॉल खेलने वाले युवा खिलाड़ी जूलियन अल्वारेज को उतारा। अल्वारेज ने टीम को निराश किया। वह अब तक विश्व कप में चार गोल कर चुके हैं।
अनुभवी एंजेल डी मारिया के अनफिट होने के कारण स्केलोनी मुश्किल में थे। उन्होंने पापु गोमेज को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फॉरवर्ड के रूप में शुरुआती एकादश में उतारा।
नीदरलैंड के खिलाफ फॉर्मेशन को स्केलोनी ने पूरी तरह बदल दिया। वह इस बार 5-3-2 के साथ उतरे। पापु गोमेज को हटाकर एक डिफेंडर बढ़ा दिया। इसका फायदा टीम को मिला और उसने नीदरलैंड को शुरू में गोल करने से रोक दिया।
क्रोएशिया की मजबूत मिडफील्ड को देखते हुए स्केलोनी ने सेमीफाइनल में फिर से टीम में बदलाव किया। इस बार बेसिक फॉर्मेशन 4-4-2 के साथ मैदान पर उतरे।
फाइनल में फ्रांस के खिलाफ अर्जेंटीना की टीम उतरी तो स्केलोनी ने मिडफील्डर लियांड्रो पेरेडेज की जगह अनुभवी खिलाड़ी एंजेल डी मारिया को उतारा। उनका यह फैसला काम आ गया। डी मारिया ने टीम के लिए दूसरा गोल किया। इसके बाद मैच जब एक्स्ट्रा टाइम में पहुंचा तो स्केलोनी ने पेरेडेज और लौटारो मार्टिनेज को भेजा। वहीं, पेनल्टी से ठीक पहले स्ट्राइकर पाउलो डाइबाला को उतार दिया। स्केलोनी का यह निर्णय पेनल्टी शूटआउट में अर्जेंटीना के काम आया और पेरेडेज-डाइबाला ने स्कोर किए।
अर्जेंटीना के एक्स-फैक्टर
जूलियन अल्वारेज: मेसी को छोड़ दें तो इस विश्व कप में अर्जेंटीना के लिए युवा स्ट्राइकर जूलियन अल्वारेज और गोलकीपर एमिलियानो मार्टिनेज एक्स-फैक्टर रहे। अल्वारेज ने टूर्नामेंट में अब तक चार गोल किए और मेसी के ऊपर से दबाव को हटाया। अल्वारेज के आगे रहने का फायदा मेसी को मिला। वह मिडफील्ड में खुलकर खेलने लगे और गोल बनाने लगे।
एमिलियानो मार्टिनेज: 2018 में अर्जेंटीना को विश्व कप में खेलते देखने वाला शख्स देश का मुख्य गोलकीपर है। एमिलियानो मार्टिनेज ने पिछले साल कोपा अमेरिका में कमाल कर दिया। डेब्यू करने के 38 दिन बाद ही उन्होंने लियोनल मेसी की तकदीर बदल दी थी। मार्टिनेज ने तीन जून 2021 को डेब्यू किया था। इसके बाद कोपा अमेरिका में चार पेनल्टी बचाए थे। इसके अलावा दो गोल भी बचाए थे। फाइनल में मार्टिनेज ने कई अहम गोल बचाए और पेनल्टी शूटआउट में भी दो शॉट रोके। उन्हें टूर्नामेंट का बेस्ट गोलकीपर चुना गया।
मैच में क्या हुआ?
निर्धारित 90 मिनट तक मैच 2-2 की बराबरी पर रहने के बाद मुकाबला एक्स्ट्रा टाइम में पहुंचा। वहां दोनों टीमों ने एक-एक गोल किए। एक्स्ट्रा टाइम समाप्त होने के बाद मैच 3-3 की बराबरी पर आ गया। फिर विजेता का फैसला पेनल्टी शूटआउट में हुआ। वहां अर्जेंटीना ने 4-2 से जीत गया।
अर्जेंटीना ने 1978 और 1986 के बाद अब तीसरी बार खिताब को अपने नाम कर लिया है। फ्रांस की बात करें तो उसका तीसरी बार चैंपियन बनने का सपना टूट गया। वह 1998 और 2018 में जीता था। फ्रांस के लिए दुर्भाग्य की बात है कि वह दूसरी बार फाइनल मैच पेनल्टी शूटआउट में ही हारा। 2006 में उसे इटली ने हराया था। अब तक तीन बार विश्व कप के चैंपियन का फैसला पेनल्टी शूटआउट में हुआ। दो बार फ्रांस हारा। वहीं, 1994 में ब्राजील ने इटली को हराया था।

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