चैम्पियन फ्रांस के सामने उलटफेर में माहिर मोरक्को की चुनौती

आज फीफा विश्व कप में एम्बाप्पे-जिरूड पर सभी की नजरें
दोहा।
मौजूदा चैंपियन फ्रांस को विश्व खिताब की रक्षा करने के लिए दो बाधाएं और पार करनी हैं। अल बायत स्टेडियम में बुधवार को होने वाले फीफा विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में फ्रांस को सबसे ज्यादा खतरा फ्रांसीसी मूल के मोरक्को के कोच वालिद रेगरागुई की रणनीति से हो सकता है। वालिद चार माह पहले ही मोरक्को के साथ कोच के रूप में जुड़े थे। उनकी रणनीति से मोरक्को की टीम इस विश्वकप के पिछले पांच मैचों से अजेय है। सबसे बड़ी बात दुनिया के दूसरे नंबर की टीम बेल्जियम, 2010 विश्वकप की चैंपियन स्पेन और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे स्टार खिलाड़ियों से सुसज्जित पुर्तगाल को हराकर सेमीफाइनल में पहुंची मोरक्को की टीम के खिलाफ अब तक एक भी गोल नहीं हुआ है। सिर्फ कनाडा के खिलाफ एक आत्मघाती गोल हुआ था। ऐसे में मोरक्को की टीम सेमीफाइनल में फ्रांस को चौंका सकती है।
दूसरी ओर लियोनल मेसी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और नेमार के बाद फुटबाल की आगामी विरासत को संभालने की काबिलियत रखने वाले काइलिन एम्बाप्पे अपनी टीम को लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंचाने के लिए तैयार हैं। उन्हें एंटनी ग्रीजमैन और ओलिवर गिरोड का भी भरपूर साथ मिलेगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपनी टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए स्टेडियम में मौजूद रहेंगे। फ्रांस सातवीं बार सेमीफाइनल खेलेगा। वहीं, अपना छठा विश्वकप खेल रहे मोरक्को ने पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई है। मोरक्को अफ्रीका और अरब देशों में पहली टीम है, जिसने फीफा विश्वकप के अंतिम-4 में प्रवेश किया है। इससे पहले कैमरून (1990), सेनेगल (2002) और घाना (2010) अंतिम आठ तक पहुंचने वाली अफ्रीकी टीमें थीं।
फ्रांस की ताकतः पांच गोल कर गोल्डन बूट की रेस में आगे चल रहे स्टार काइलिन एम्बाप्पे के अलावा ओलिवर जिरूड, एंटनी ग्रीजमैन जैसे फॉरवर्ड की मौजूदगी में फ्रांस का आक्रमण मजबूत है। मिडफील्ड में ऑरेलियन त्चौमेनी और एड्रियन रैबिओट की जुगलबंदी विरोधी टीम के आक्रमण को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार है। इसके अलावा डिफेंस में हर्नांडीज और जूल्स कौंडे टीम को मजबूती देते हैं। फ्रांस के पास 16 विश्वकप खेलने का अनुभव है। फ्रांस ने पहले विश्वकप में भी हिस्सा लिया था। अब तक टीम दो बार 1998 और 2018 में खिताब जीत चुकी है, जबकि एक बार 2006 में उपविजेता रही है और सातवां सेमीफाइनल खेलने जा रही है। फ्रांस का मोरक्को के खिलाफ रिकॉर्ड अच्छा है। दोनों देशों में अब तक सात अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। इनमें फ्रांस ने पांच बार जीत दर्ज की है, दो मैच ड्रॉ रहे हैं।
फ्रांस की कमजोरीः फ्रांस की टीम विश्वकप अभियान शुरू होने के पहले से ही अपने खिलाड़ियों की चोटिल होने से परेशान चल रही है। पॉल पोग्बा और करीम बेंजेमा जैसे दिग्गज पहले ही बाहर हो चुके थे। ऑरेलियन त्चौमेनी और डेयोट उपामेकानो के भी चोटिल होने की खबरें हैं। इन दोनों ने सोमवार को अभ्यास सत्र में भी हिस्सा नहीं लिया था। मोरक्को की टीम बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल जैसी दिग्गज टीमों को हरा चुकी है, ऐसे में फ्रांस ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव भी रहेगा। मोरक्को को स्टेडियम में स्थानीय दर्शकों का भी समर्थन मिल रहा है।
मोरक्को की ताकतः टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। मोरक्को का डिफेंस अच्छा है। गोलकीपर यासिन बोनो ने पिछले पांच मैचों में विरोधी टीम को एक भी गोल नहीं करने दिया है। यहां तक कि पेनाल्टी शूटआउट में स्पेन जैसी दिग्गज टीम के तीन प्रहार असफल किए थे।
मोरक्को की टीम में शामिल राइट बैक अशरफ हकीमी फ्रांसीसी क्लब पेरिस सेंट जर्मेन (पीएसजी) में एम्बाप्पे के साथ खेलते हैं। वह एम्बाप्पे की ताकत और कमजोरी दोनों को ही जानते हैं। अफ्रीकी टीम को हकीमी का अनुभव काम आएगा। फीफा विश्वकप के 92 वर्ष के इतिहास में मोरक्को के पास अफ्रीका और अरब देशों की पहली विश्व चैंपियन टीम बनने का मौका है, जो वह गंवाना नहीं चाहेगी। वहीं, कोच वालिद ने चार माह के दौरान टीम को काफी संगठित किया है। स्ट्राइकर यूसेफ एन नेसरी, हकीम जिएच, जकारिया अबूखलाल विरोधी टीम की रक्षा पंक्ति को भेदने की शक्ति रखते हैं। वहीं, अशरफ हकीमी, जावेद अल यामिक और याहिया अतियात अल्लाह डिफेंस को अधिक मजबूती देते हैं।
मोरक्को की कमजोरीः फ्रांस की तरह मोरक्को की टीम भी चोटों से जूझ रही है। सेंटर बैक खेलने वाले कप्तान रोमैन सैस और नयेफ अगुएर्ड चोटिल हैं। रोमैन तो पुर्तगाल के खिलाफ पांच मिनट बाद ही घायल हो गए थे और स्ट्रेचर पर रखकर उन्हें ले जाया गया था। सेस ने बेल्जियम के खिलाफ गोल भी किया था। इस विश्वकप में जायंट किलर की पहचान बना चुकी मोरक्को की टीम 4-1-4-1 के संयोजन के साथ खेलती है। इस रणनीति से फ्रांस की टीम परिचित हो चुकी है। इसलिए टीम को फ्रांस को हराने के लिए विशेष योजना अपनानी होगी।
मोरक्को के कोच दिदिअर डेसचैंप्स ने कहा "हमने एम्बाप्पे ही नहीं पूरी फ्रांस की टीम के साथ विशेष रणनीति के साथ उतरना होगा। स्टेडियम में भी हमें काफी समर्थन मिल रहा है। हकीमी का एम्बाप्पे के साथ खेलने का अनुभव हमारे काम आएगा। हमने विश्व विजेता बनने का सपना देखा है और सपना देखने पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है।"
फ्रांस के कोच ने कहा "हम जानते हैं कि मोरक्को ने बड़ी टीमों को हराया है। हम उनको हल्के में नहीं लेंगे। उन्हें स्टेडियम में भी काफी समर्थन मिल रहा है। इस शोर-शराबे के बीच इससे निपटने के लिए तैयार हैं। हम गेंद पर नियंत्रण रखने और उसको गोल पोस्ट में पहुंचाने की कोशिश करेंगे।" फ्रांस के गोलकीपर और कप्तान ह्यूगो लॉरिस ने कहा "मोरक्को ने अब तक जो प्रदर्शन किया है, हम उसकी प्रशंसा और सम्मान करता हूं। उसे प्रशंसकों से भी अतिरिक्त ऊर्जा मिल रही है। हम शांति के साथ मोरक्को की चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। हम अपने स्तर को उठाने का प्रयास करेंगे।"

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