सोशल मीडिया से दूर रहें युवाः अश्विनी पोनप्पा

खेलों में शारीरिक से ज्यादा मानसिक स्वस्थ रहना जरूरी 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिलाओं ने स्पोर्ट्स में देश का नाम रोशन किया है। चाहे वह कॉमनवेल्थ गेम्स हो या महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप, महिलाओं ने शानदार प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी है। कॉमनवेल्थ गेम्स में अश्विनी पोनप्पा, पीवी सिंधु, मीराबाई चानू समेत कई महिलाओं ने भारत को पदक दिलाया। वहीं, महिला क्रिकेटरों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता। स्पोर्ट्स जैसी फील्ड में महिलाओं के आगे बढ़ने से अब युवाओं को काफी प्रोत्साहन मिला है। 
बातचीत में अश्विनी पोनप्पा ने युवाओं से सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि खेलों में शारीरिक के साथ मानसिक स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी है। बैडमिंटन खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा ने खेलों से जुड़ी हर बात पर अपनी बेबाकी से राय रखी। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी अपने दिमाग को तरोताजा रखें, ताकि मैदान में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। साथ ही अपने शरीर को लेकर भी सकारात्मक रहें।
सवाल: बैडमिंटन जैसे खेल में जबरदस्त स्टैमिना और फुर्ती की जरूरत होती है। 30 साल की उम्र का पड़ाव पार करने के बाद आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?
जवाब: निश्चित तौर पर बैडमिंटन जैसे खेल में ताकत और सहनशीलता की जरूरत होती है, लेकिन यह एक तरह से आसान भी है, क्योंकि आप अपने शरीर का ध्यान रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आप सही तरह की ट्रेनिंग ले रहे हैं और किस तरह रिकवर कर रहे हैं। हालांकि, मुझे लगता है कि यह मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की तुलना में ज्यादा आसान है। 30 साल की उम्र का पड़ाव पार करने के बाद अब मुझे अपने खेल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही अपने दिमाग को तरोताजा रखने की जरूरत है। ऐसे समय में खुद को उत्साहयुक्त और प्रेरित रखना होता है। खासतौर पर हम काफी समय से इस खेल से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे में मुझे लगता है कि शरीर से ज्यादा खेल का मानसिक पहलू ज्यादा मुश्किल हो जाता है। हालांकि, मैं इसे मुश्किल नहीं कहूंगी क्योंकि आप खेल को और अच्छे तरीके से समझने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपने दिमाग को तरोताजा रखें, ताकि कोर्ट पर हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। साथ ही अपने शरीर को लेकर भी सकारात्मक रहें।
सवाल: जब आपने स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाने का फैसला किया था तब हालात अलग थे। अब लोगों की सोच से लेकर सुविधाओं तक में काफी बदलाव आया है। ऐसे में आप युवा खिलाड़ियों को क्या सलाह देना चाहेंगी?
जवाब: जब मैंने खेलना शुरू किया था तो काफी युवा थी। हम खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि तब हमारे पास आज की तरह बहुत सारी जानकारियां नहीं होती थीं। इसका मतलब यह है कि कभी-कभी मुझे लगता है कि ज्यादा जानकारी या ज्ञान चीजों को उलझा देता है। जब मैंने खेलना शुरू किया था तब यह पूरी तरह से अपने खेल पर ध्यान देने और कोच पर भरोसा करने की बात थी। उन्होंने जो सिखाया है उसी को फॉलो करना होता था। हालांकि, अभी के युवाओं के लिए जानकारी के कई माध्यम मौजूद हैं। आप ऑनलाइन भी बड़े खिलाड़ियों को खेलता देखकर सीख सकते हैं। कभी-कभी मुझे लगता है कि यह परेशानी भी बन सकता है, क्योंकि युवा खिलाड़ी इससे भ्रमित भी हो सकते हैं। हम काफी भाग्यशाली हैं कि हमारे समय में ऐसा नहीं था। अब आपके पास फोन होना व्याकुलता का विषय है। किसी भी युवा के लिए ऐसे में रास्ता आसान नहीं होने वाला है। इसलिए मेरी युवाओं को यही सलाह है कि जब आप खेल रहे होते हैं तो पूरा ध्यान कोर्ट पर लगाएं और खेल को एंजॉय करें। अपने दिमाग को वहीं एकाग्र रखें। सोशल मीडिया पर नाम पाने के लिए कुछ न करें। अगर आप खेल और सोशल मीडिया दोनों पर ध्यान लगाते हैं तो बिल्कुल करें, लेकिन किसी भी स्पोर्ट्स के लिए यह जरूरी है कि आप ऑन कोर्ट कितना समय व्यतीत करते हैं और वहां कितना फोकस करते हैं, क्योंकि वहीं आपको सीखने को मिलता है और यही समय होता है सीखने का, खुद को बेस्ट बनाने का।
सवाल: अपने खेल में एक महिला होने के नाते आपके सामने क्या-क्या कठिनाइयां आईं? समाज में लिंग के आधार पर जो भेदभाव होता है, उस पर आपके क्या विचार हैं?
जवाब: खेल में एक महिला होना निश्चित रूप से बहुत ही शानदार है। विशेष रूप से यह देखते हुए कि बैडमिंटन दुनिया के उन कुछ खेलों में से एक है जिसमें लैंगिक समानता है। पुरुष और महिला के लिए समान वेतन है। इसलिए बैडमिंटन में एक महिला होना बहुत अच्छा है। अगर कोई कठिनाई आई है, जिसका मैंने सामना किया है तो यह निश्चित रूप से तथ्य है कि मैं एक महिला हूं और हमें पीरियड्स होते हैं। कई बार मेरे लिए इससे निपटना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
सवाल: अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को किस प्रकार टैकल करती हैं?
जवाब: हमें एक एथलीट के रूप में ऑन कोर्ट और ऑफ द कोर्ट कई चीजों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मैं आईओएस स्पोर्ट्स की मदद लेती हूं। यह काफी अच्छा है कि हमारे साथ कोई है जो एक एथलीट और एक स्पोर्ट्स पर्सन के रूप में खेल के अलावा दूसरी चीजों को टैकल करने में मदद करता है। इससे मुझे उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करने को मिलता है जो हम करना चाहते हैं। मुझे भरोसा है कि वह स्पोर्ट्स के इतर चीजों में मुझे मुश्किल परिस्थितियों से निकालेंगे और हमेशा मेरी मदद करेंगे।

 

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