साक्षी ने महिला पहलवानी को दी नई दिशा

रियो ओलम्पिक में जीता थी कांस्य पदक 
ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक प्रतिभा की धनी हैं। रियो 2016 ओलम्पिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने के अलावा, उन्होंने धारणाओं को बदल दिया और महिला पहलवानों की आने वाली पीढ़ियों की आदर्श बन गईं। ओलम्पिक में जीता गया कांस्य पदक उनकी अनगिनत उपलब्धियों में से एक है। जिसने कुश्ती में उनके प्रभावशाली करियर को परिभाषित किया।
साक्षी मलिक का जन्म तीन सितम्बर, 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गाँव में हुआ था। अपने दादा सुबीर मलिक जो ख़ुद भी एक पहलवान थे, उन्हें देखने के बाद और उनसे प्रेरित होकर साक्षी मलिक ने रेसलिंग में आने का इरादा किया। केवल 12 साल की उम्र में उन्होंने ईश्वर दहिया की देखरेख में प्रशिक्षण शुरू किया और पांच साल बाद उन्होंने 2009 के एशियाई जूनियर विश्व चैम्पियनशिप के फ़्रीस्टाइल में 59 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक जीतते हुए सफलता का पहला स्वाद चखा। इसके बाद 2010 विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में भी कांस्य पदक जीता।
2013 के कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में कांस्य जीतने के बाद, साक्षी मलिक ने ग्लासगो में अगले वर्ष अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स खेला और 58 किलोग्राम के फाइनल में नाइजीरिया की अमीनत अदेनियी के खिलाफ हार झेलते हुए रजत पदक से संतोष किया। इसके बाद उन्होंने 2018 में 62 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक के साथ अपना दूसरा राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता। भारत की स्टार रेसलर साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। महिलाओं के 62 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में कनाडा की एना गोडिनेज गोंजालेज को हराया। रियो ओलंपिक 2016 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली साक्षी का यह पिछले 6 साल में किसी बड़े टूर्नामेंट में पहला मेडल है। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता साक्षी मलिक अंतिम चार मुकाबले में कैमरून की बर्थे इमिलिएने इटाने एनगोले पर तकनीकी श्रेष्ठता से 10-0 की जीत से फाइनल में पहुंचीं थी. साक्षी ने क्वार्टर फाइनल में भी तकनीकी श्रेष्ठता से जीत हासिल की। उन्होंने इस शुरुआती मुकाबले में मेजबान इंग्लैंड की केलसे बार्नेस को मात दी। 

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