बेमन से आईओए ने संविधान के मसौदे को स्वीकारा

अब पुरुष और महिला सदस्यों को मिलेगा समान प्रतिनिधित्व
मसौदा संविधान को आईओसी की भी मिली स्वीकृति 
खेलपथ संवाद
नयी दिल्ली।
भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) ने उच्चतम न्यायालय और अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) की देखरेख में तैयार अपने संविधान के मसौदे को गुरुवार को स्वीकार कर लिया लेकिन कई सदस्यों ने कहा कि शीर्ष अदालत के इसे अनिवार्य बनाने के बाद उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया।
यहां आईओए की आमसभा की विशेष बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने मसौदा संविधान में कम से कम आधा दर्जन संशोधनों पर आपत्ति जताई और कहा कि ‘आमसभा के लोकतांत्रिक अधिकारों को पूरी तरह से छीन लिया गया।’। दिसम्बर तक चुनाव नहीं होने की स्थिति में आईओसी से निलम्बन के खतरे के अलावा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को देखते हुए आईओए के पास अपने संविधान में बदलाव करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
मसौदा संविधान को उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव ने तैयार किया था और आईओसी पहले ही इसे स्वीकृति दे चुका है। उच्चतम न्यायालय ने आईओए के चुनाव 10 दिसम्बर को कराने को स्वीकृति दे दी है। न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी। आईओसी के लगातार सम्पर्क में बने हुए आईओए महासचिव राजीव मेहता ने कहा, ‘‘हमने मामूली बदलावों के साथ उच्च न्यायालय (के आदेश) के अनुसार संविधान में संशोधन किया है। हम कल सुनवाई के लिए इसे आज उच्चतम न्यायालय को सौंपेंगे।’’
शुरुआत में भ्रम था कि आईओए आमसभा ने मसौदा संविधान को स्वीकार किया है या नहीं क्योंकि कुछ सदस्यों ने कहा था कि संशोधनों को खारिज कर दिया गया है। लेकिन मेहता ने स्पष्ट किया कि देश के उच्चतम न्यायालय के अनिवार्य निर्देश के खिलाफ जाने का आईओए के पास कोई ‘अधिकार’ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ आपत्तियां जताई गई हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि संविधान को स्वीकार नहीं किया गया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार यह अनिवार्य था। मसौदा संविधान को आईओसी ने भी स्वीकृति दी है। आईओए के पास संविधान में बदलाव का कोई अधिकार नहीं है।’’
मेहता ने कहा, ‘‘अब यह उच्चतम न्यायालय पर निर्भर करता है कि वे इन आपत्तियों को स्वीकार करें या नहीं। मैं उच्चतम न्यायालय को सूचित करने जा रहा हूं कि हमने मामूली बदलावों के साथ मसौदा संविधान को स्वीकार कर लिया है। हम बस यही कर सकते थे।’’ राज्य ओलम्पिक संघों के मतदान के अधिकार को खत्म करने, सभी कार्यकारी परिषद के सदस्यों को पदाधिकारियों के रूप में शामिल करने, राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) के पुरुष और महिला सदस्यों का समान प्रतिनिधित्व, सीईओ के प्रस्तावित अनिर्वाचित पद पर नियुक्ति के तरीके और कार्यकारी परिषद में उत्कृष्ट योग्यता वाले (एसओएम) आठ खिलाड़ियों को पूर्ण मतदान के अधिकार के साथ जगह देने के प्रावधान पर आपत्तियां जताई गई हैं।
कुछ सदस्यों द्वारा जारी चार पन्ने के सर्कुलर के अनुसार, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में इस काम (मसौदा संविधान को स्वीकार करने) को औपचारिक करार दिया है। आमसभा के लोकतांत्रिक अधिकार को छीना गया है।’’ इसमें कहा गया, ‘‘हम अपने स्वतंत्र अंतःकरण से संशोधनों पर विचार-विमर्श नहीं कर पाए। आईओए के सदस्यों का देश के उच्चतम न्यायालय के प्रति अत्यधिक सम्मान है।’’
एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया कि सर्कुलर पर लगभग 70 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। गुरुवार को आमसभा की बैठक में 138 सदस्यों ने हिस्सा लिया। मसौदा संविधान आईओए महासभा में पुरुष और महिला सदस्यों के समान प्रतिनिधित्व का प्रावधान करता है। इसमें राष्ट्रीय महासंघों के दो प्रतिनिधि- एक पुरुष और एक महिला जिनके खेल ओलम्पिक, एशियाई, राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम में शामिल हैं, भारत में आईओसी सदस्य, एथलीट आयोग के दो प्रतिनिधि- एक पुरुष और एक महिला तथा उत्कृष्ट योग्यता वाले आठ प्रतिनिधि - चार पुरुष और चार महिला खिलाड़ी हैं। प्रत्येक सदस्य का एक मत होगा। मेहता ने कहा कि उन्होंने राज्य संघों को अपनी एक इकाई का गठन करने को कहा है और इसमें से दो सदस्यों को कार्यकारी परिषद में मतदान के अधिकार के साथ शामिल किया जा सकता है जो उत्कृष्ट योग्यता वाले दो खिलाड़ियों की जगह लेंगे।
राजीव मेहता ने कहा, ‘‘ये सभी आपत्तियां (चार पन्ने के पत्र में) कल उच्चतम न्यायालय को सौंपी जाएंगी। अदालत के आदेश के अनुसार आईओए सदस्य सात दिसम्बर तक अपनी आपत्तियां उच्चतम न्यायालय को सौंप सकते हैं और उस पर फैसला न्यायालय करेगा।’’ नए संविधान के तहत मतदान का अधिकार खोने वाले राज्य ओलम्पिक संघों की शिकायत के बारे में पूछे जाने पर, मेहता ने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि जब हम ओलम्पिक खेलों के बारे में बात कर रहे हैं तो हमें अधिकांश सदस्यों (राष्ट्रीय महासंघों) को ओलम्पिक (या एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल) में शामिल करने की जरूरत है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान में किसी और बदलाव को अपनाने के लिए एक और विशेष आम बैठक बुलाने की जरूरत नहीं है। राजीव मेहता ने सीईओ उम्मीदवार की प्रस्तावित पात्रता की भी आलोचना की जो पूर्व में निर्वाचित महासचिव पद की जगह लेगा। उन्होंने कहा, ‘‘25 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कम्पनी में काम करने का अनुभव रखने के लिए सीईओ उम्मीदवार की क्या आवश्यकता है। यह पिछले अधिकारियों सहित सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए।

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