शतरंज में भारत बन रहा सुपर पॉवरः अभिजीत कुंटे

आज भारत में 76 ग्रैंड मास्टर हैं
महिला-पुरुष खिलाड़ियों को मिले बराबर ईनामी राशि 
खेलपथ संवाद
प्रयागराज।
1997 और वर्ष 2000 में दो स्वर्ण पदक और 1999, 2001, 2003, 2005 में चार कांस्य पदक जीतकर भारतीय शतरंज चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने वाले चेस ग्रैंड मास्‍टर अभिजीत कुंटे फिलवक्त प्रयागराज में हैं। एडिनबर्ग 2003 में ब्रिटिश शतरंज चैम्पियनशिप जीतने और कॉमनवेल्थ शतरंज चैम्पियनशिप में दो पदक हासिल कर प्रसिद्धि हासिल करने वाले दिग्गज शातिर का कहना है कि भारत शतरंज का पॉवर हाउस बन रहा है। यहां एक से बढ़कर एक बेजोड़ खिलाड़ी निकल रहे हैं।
शतरंज के ग्रैंड मास्‍टर अभिजीत कुंटे ने 1998 से 2004 तक शतरंज ओलम्पियाड में चार बार भारत का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई टीम शतरंज चैम्पियनशिप में सात पदक जीतने वाले खिलाड़ी हैं। वर्ष 2000 में वह ग्रैंडमास्टर बने। उन्होंने शतरंज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। शतरंज को गांवों तक पहुंचाने और बदलावों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने अपने प्रयागराज आने का मकसद बताया। उन्होंने बताया कि हम नैनी जेल में शतरंज खेलने वाले कैदियों से मिलने आए थे। इस वक्त हम जेल में बंद कैदियों के लिए एक इंडियन आयल द्वारा विशेष शतरंज प्रतियोगिता पर काम कर रहे हैं, उसी सिलसिले में आज आना हुआ। नैनी जेल के कैदियों ने इस प्रतियोगिता में क्वालीफाई किया है। इस प्रतियोगिता में कैदियों को बाहर निकलने के बाद उनका आत्मविश्वास से जीने का मौका मिले, यही हमारी परिवर्तन योजना का हिस्सा है। यह चेस में ही हो सकता है क्योंकि यह आनलाइन भी खेला जा सकता है।
कुंटे ने कहा कि शतरंज के खेल में भारत दुनिया में टॉप तीन देशों में जगह बना चुका है। इंडिया अब शतरंज ओलम्पियाड में सुपर पॉवर बन चुका है, न सिर्फ हिस्सेदारी में बल्कि आयोजन में भी। चार महीने में हमने दुनिया का सबसे बड़ा टूर्नामेंट आयोजित किया। तमिलनाडु सबसे आगे है लेकिन, अब धीरे-धीरे हर राज्य तक शतरंज पहुंच रही है। शतरंज की शिक्षा ने जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा बदलाव लाया है। अब 10 टूर्नामेंट ग्रैंड मास्टर के हो रहे हैं, इससे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिल रहा है। यह बहुत बड़ा बदलाव है।
विश्वनाथन आनंद को लेकर कुंटे ने कहा कि हर खेल में एक ऐसा खिलाड़ी आता है जो अलग ही ऊंचाई पर होता है। विश्वनाथन आनंद एक अलग स्तर के खिलाड़ी हैं, ऐसा प्लेयर रोज पैदा नहीं होता। जैसे क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर। अभी नई पीढ़ी में प्रज्ञानानंद, डीगुकेश, रौनक जैसे चार-पांच बच्चे 16-17 की उम्र में आए हैं। इनसे हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह भविष्य में विश्व चैम्पियन बनेंगे।
महिलाओं को लेकर उन्होंने कहा कि महिलाओं का कम संख्या में आगे आना यह बहुत बड़ा चैलेंज हैं। महिलाओं के अलग से टूर्नामेंट न होना, बचपन से उन्हें आगे बढ़ने के लिए मौका न मिलना बहुत बड़ा कारण है। सामाजिक स्थिति, अकेले दूसरे शहरों में जाना जैसी स्थिति भी प्रभावित करती हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि महिला व पुरुष के लिए विजेता की ईनामी राशि समान हो। महाराष्ट्र में स्टेट चैम्पियनशिप से इसकी शुरूआत हमने की है। अभी बहुत प्रयास किए जाने हैं।
शतरंज खेल के विकास पर कुंटे का कहना है कि हम शंतरज की शिक्षा गांव-गांव ले जाएं, इसके लिए इंटरनेट को माध्यम बनाएं। सोशल मीडिया के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल हम जमीनी स्तर पर करके बदलाव ला सकते हैं। शतरंज में एक क्रांति आई है। इंटरनेट ने सब कुछ बदल दिया है। सन 2000 में हमारे पास तीन ग्रैंड मास्टर थे आज 76 हैं। यह बदलाव है। पहले शतरंज से संबंधित किताबें, शिक्षा सब कुछ बहुत महंगी थी। विदेश से किताबें मंगानी पड़ती थीं, पर इंटरनेट से सबको एक लेवल पर ला दिया है। 
अभी हम कितना स्मार्ट यूज इसका करें और कितना कठिन परिश्रम करें यह हमारे ऊपर निर्भर करता है। अब भारत बहुत बड़ी सुपर पॉवर बन चुका है शतरंज में। अब चैस का गेम पूरी दुनिया में कहीं भी बैठकर कोई भी देख है। इंटरनेट का बहुत अच्छा इस्तेमाल हुआ। चेस ओलम्पियाड को डेढ़ लाख लोग एक साथ इंटरनेट के जरिए देख रहे थे।
कुंटे ने कहा कि शतरंज में करिअर है। जो भी ग्रैंड मास्टर हैं उन्हें खेल से अच्छा पैसा मिलता है। कोचिंग बढ़िया विकल्प है। सोशल मीडिया ने कमेंट्री, ब्लागर, लेखक के रूप में मौका दे रहा है। कम्पनी, इवेंट मैनेजमेंट बनकर भी शतरंज के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। इंडियन आयल, रेलवे, बैंक, एलआईसी आदि कम्पनियां भी आपको अपने यहां नौकरी देकर अच्छा करिअर देती हैं। हालांकि आप प्रोफशनल बनकर बहुत अच्छा करिअर बना सकते हैं। शतरंज आपको विश्वव्यापी करिअर बनाने का मौका देता है।
शतरंज मेरे ख्याल से यह बहुत अच्छा खेल है। यह खेल प्रतिदिन जीवन में आपको एक नई ऊर्जा देगा। यह आपको शांत और बेहतर बनाता है। यह आपको सोचने समझने की शक्ति देता है। यह आपको कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। यह आपको एकाग्र बनाता है। यह आपको फैसला लेने की क्षमता देता है। यह आपको अपनी कमियों, गलतियों और हार को स्वीकार्य करने की क्षमता पैदा करता है। यह आत्मबल बढ़ाता है। चेस ऐसा गेम है जो आपको हार से सीखने पर मजबूर करता है। उदाहरण से समझें कि अगर मैं कहूं कि मैं आपसे बहुत अधिक ताकतवर हूं तो आपको बुरा नहीं लगेगा लेकिन, मैं कहूं कि मैं आपसे बहुत अधिक बुद्धिमान हूं तो आपको बहुत बुरा लगेगा। 
शतरंज एक ऐसा खेल है जो पांच साल के बच्चे को भी मौका देता है कि वह पचास साल के खिलाड़ी को हरा सके और पचास साल के खिलाड़ी को मौका देता है किसी युवा को पराजित कर सके। यहां एक छोटी बच्ची किसी युवा पुरुष खिलाड़ी को हरा सकती है। यह जाति, धर्म, उम्र सबसे ऊपर का खेल है। इसे देखकर मजा आता है। यह खेलने पर आपको आपके जीवन में बहुत मदद करेगा। यह आपको जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। कठिन परिश्रम और स्मार्ट कार्य आपको चेस का चैम्पियन बनाता है।

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