अब भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन पर दुनिया की नजरः नीरज चोपड़ा

पिछले सीजन में बाहर की चीजों से सामंजस्य बैठाने में हुई थी समस्या 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
टोक्यो ओलम्पिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद व्यावसायिक दायित्वों और सामाजिक प्रतिबद्धताओं ने भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा के खेल पर काफी असर डाला। चोपड़ा ने उस अनुभव से सीख लेने के बाद आगामी सत्र में चीजों को अलग तरह से करने की योजना बनाई है। नीरज ने गुरुवार को ज्यूरिख में प्रतिष्ठित डायमंड लीग फाइनल्स का खिताब जीतने वाला पहला भारतीय बनकर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।
उन्होंने शुक्रवार को आनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा,'पिछला साल मेरे लिए नया अनुभव था, सामंजस्य बैठाने में परेशानी हो रही थी, लेकिन उस सत्र से मैंने काफी कुछ सीखा है। इस बार कुछ व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के लिए मैं तारीखें पहले ही दे दूंगा। जब अभ्यास का समय आएगा तो मैं उस पर पूरा ध्यान दूंगा जिससे तैयारी में कोई कमी न रहे।'नीरज ने कहा, 'मैंने ओलम्पिक के बाद देर से अभ्यास शुरू किया, ऐसे में फिटनेस हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने इस दौरान तकनीक और ताकत पर काम किया। इस बार मैं तकनीकी रूप से बहुत अच्छा था। भाला एक तकनीकी खेल है, इसलिए इसने इस बार मेरी मदद की।'
नीरज लगातार 90 मीटर के करीब तक भाला फेंक रहे, लेकिन 90 मीटर की बाधा को पार नहीं कर पा रहे है। उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,' मैं बिल्कुल भी निराश नहीं हूं, यह (90 मीटर) सिर्फ एक करिश्माई आंकड़ा है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उस दिन कैसा प्रदर्शन करते हैं। अगर आप 90 मीटर की दूरी हासिल कर लेते हैं और जीत नहीं पाते हैं, तो कोई फर्क नहीं पड़ता।'उन्होंने कहा, 'मुझ पर 90 मीटर का कोई दबाव नहीं है, कोई निराशा नहीं है, यह जब होना होगा तब होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया अब भारतीय एथलीटों और उनके प्रदर्शन पर ध्यान देने लगी है। मैं चाहता हूं कि भारत के ज्यादा खिलाडि़यों को वैश्विक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिले। इससे खिलाड़ियों को अनुभव मिलेगा।'
फाइनल्स में नीरज ने फाउल से शुरुआत की लेकिन अपने दूसरे प्रयास में 88.44 मीटर भाला फेंक कर वह शीर्ष पर पहुंच गए। यह उनके करियर का चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पहले प्रयास में फाउल थ्रो के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं फिसल गया इसलिए फाउल हो गया। मैं अभ्यास में अच्छा कर रहा था और लय अच्छी थी। मैं 88.44 से संतुष्ट नहीं था। यह सत्र की आखिरी प्रतियोगिता थी, इसलिए मैं थोड़ा थक गया था। मेरा ध्यान हालांकि अच्छा करने पर था।' फाइनल्स में नीरज ने फाउल से शुरुआत की लेकिन अपने दूसरे प्रयास में 88.44 मीटर भाला फेंक कर वह शीर्ष पर पहुंच गए। यह उनके करियर का चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पहले प्रयास में फाउल थ्रो के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं फिसल गया इसलिए फाउल हो गया। मैं अभ्यास में अच्छा कर रहा था और लय अच्छी थी। मैं 88.44 से संतुष्ट नहीं था। यह सत्र की आखिरी प्रतियोगिता थी, इसलिए मैं थोड़ा थक गया था। मेरा ध्यान हालांकि अच्छा करने पर था।'
नीरज का राष्ट्रीय खेल में भाग लेना मुश्किल 
भारतीय ओलम्पिक संघ (आओए) के निर्देश के बावजूद नीरज चोपड़ा का लम्बे अंतरराष्ट्रीय सत्र और कमर में चोट के कारण आगामी राष्ट्रीय खेलों में भाग लेना मुश्किल है। चोपड़ा ने कहा, 'राष्ट्रीय खेल करीब आ रहे हैं। मैं अभी कमर की चोट से उबर रहा हूं। मैं एक या दो सप्ताह तक प्रशिक्षण नहीं ले पाऊंगा, इसलिए मैं मुख्य रूप से अगले साल पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।'
मेरी अंग्रेजी में सुधार हुआ है लेकिन अभी बहुत अच्छी नहीं है
ट्रॉफी जीतने के बाद जब नीरज चोपड़ा से उनकी अंग्रेजी भाषा को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'मेरी अंग्रेजी में सुधार हुआ है लेकिन अभी बहुत अच्छी नहीं है। हालांकि, मैं अपनी बात अब लोगों को अंग्रेजी में समझाने और लोगों की बात अंग्रेजी में समझने में सक्षम हूं। नीरज चोपड़ा ने आगे बताया, 'अगले दो साल एशियाई खेल और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप को लेकर काफी महत्वपूर्ण हैं। वहीं, साल 2024 में फिर से ओलम्पिक होंगे। नीरज चोपड़ा ने आगे यह भी बताया, 'मैंने ओलम्पिक के बाद देर से प्रैक्टिस शुरू की थी, ऐसे में फिटनेस हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती थी। मैंने इस दौरान तकनीक और ताकत पर काम किया। इस बार मैं तकनीकी रूप से बहुत अच्छा था।
नीरज चोपड़ा की उपलब्धियां-2022 में ज्यूरिख में हुए फाइनल्स में नीरज चोपड़ा ने 88.44 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ डायमंड लीग ट्रॉफी जीती। 2012 में लखनऊ में अंडर 16 नेशनल जूनियर चैम्पियनशिप में 68.46 मीटर भाला फेंक कर बनाया रिकॉर्ड। 2016 में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंकने का कीर्तिमान। 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में 86.47 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड अपने नाम किया। 2017 में जकार्ता एशियन गेम्स में 88.06 मीटर भाला फेंककर गोल्ड अपने नाम किया। 2021 टोक्यो ओलम्पिक में 87.58 मीटर भाला फेंक गोल्ड मेडल भारत की झोली में डाला।

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