टीम इंडिया को कमजोर कर रही प्रयोगधर्मिता

11 महीने में 28 खिलाड़ी आजमाए
दुबई।
आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। टीम इंडिया एशिया कप के सुपर-4 में पाकिस्तान के बाद अब श्रीलंका से भी हार गई। इस नतीजे के साथ भारतीय टीम का फाइनल की होड़ से बाहर होना लगभग तय हो गया। कई चमत्कार एक साथ हो जाएं तभी भारत खिताबी मुकाबला खेल सकता है। वे चमत्कार क्या हैं उसके बारे में आप इस आर्टिकल में आगे पढ़ेंगे। 
भारतीय टीम ने संभवतः करीब 11 महीने पहले यूएई में हुए टी-20 वर्ल्ड कप की अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखा। उस टूर्नामेंट में टॉप ऑर्डर की विफलता भारत की उम्मीदों पर भारी पड़ गई थी। एशिया कप में भी भारत उसी टॉप ऑर्डर के साथ उतरा। सभी मैचों में केएल राहुल और रोहित शर्मा ओपनिंग करने आए और विराट कोहली नंबर तीन पर आए। राहुल ने 4 मैचों में सिर्फ 70 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 104.47 का रहा। विराट कोहली ने 154 रन जरूर बनाए, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट भी 122.22 का रहा। कप्तान रोहित शर्मा ने तेज बल्लेबाजी की लेकिन चार में से तीन मैचों में वे अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर सके।
दुबई की डेड पिचों पर ऐसे तेज गेंदबाज ज्यादा असरदार नजर आए जिनके पास 140+ की गति हो। पाकिस्तानी और यहां तक कि श्रीलंका के पास कई ऐसे गेंदबाज थे जो इस गति से बॉलिंग कर रहे थे। भारतीय टीम में ज्यादातर तेज गेंदबाज 120-130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले थे। इसलिए इनकी गेंदबाजी ज्यादा असरदार नहीं रही और पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच को छोड़कर ये रेगुलर इंटरवल पर ब्रेक-थ्रू दिलाने में नाकाम रहे।
अब बात पिछले एक साल में भारतीय टीम की तैयारियों की। भारत ने पिछले वर्ल्ड कप के बाद से टी-20 क्रिकेट में 28 खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में आजमाया। इससे कोई एक प्लेइंग-11 एस्टैब्लिश नहीं हो सका। किसी भी खिलाड़ी को खास स्पॉट पर बैटिंग करने का ज्यादा अनुभव नहीं मिला। दूसरी ओर पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमों ने ज्यादातर मैचों में एक समान टीम कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया। श्रीलंका ने इस दौरान 22 और पाकिस्तान ने 19 खिलाड़ियों का ही इस्तेमाल किया।
भारतीय टीम ने पिछले एक साल में 8 खिलाड़ियों से कप्तानी कराई। यह कदम फ्यूचर कैप्टन को डेवलप करने के लिहाज से तो अच्छा है, लेकिन एक लीडर की अगुवाई में खेलने लायक टीम बनाने के लिए बेहतर साबित नहीं हुआ। ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या, रोहित शर्मा के रूप में मौजूदा प्लेइंग-11 में ही तीन कप्तान शामिल थे। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए सिर्फ तीन स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाजों के साथ गई। ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या के रूप में चौथा मी़डियम पेसर मौजूद था। जब तक आवेश खान फिट थे तब तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन जैसे ही वे बीमार पड़े भारतीय टीम का संतुलन बिगड़ गया। आवेश को रिप्लेस करने के लिए टीम में कोई और तेज गेंजबाज मौजूद ही नहीं था।

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