सात्विक-चिराग की जोड़ी सेमीफाइनल में हारी

कांस्य पदक जीतकर रचा इतिहास
विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भारत को 13वां पदक
टोक्यो।
विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भारत के सात्विकसाईराज रेड्डी और चिराग शेट्टी ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह पहला मौका है, जब इस प्रतियोगिता के पुरुष युगल में भारत को कोई पदक मिला है। जापान की राजधानी टोक्यो में भारतीय जोड़ी को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही भारत का कांस्य पदक पक्का हो गया और रजत या स्वर्ण पदक की उम्मीद खत्म हो गई। यह दूसरी भारतीय जोड़ी है, जिसने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में पदक जीता है। इससे पहले अश्विनी पोनप्पा और ज्वाला गुट्टा ने 2011 में इस प्रतियोगिता में पदक जीता था। 
सेमीफाइनल में मलेशिया के आरोन चिया और सोह वुई यिक की जोड़ी ने सात्विक चिराग को 20-22, 21-18, 21-16 से हरा दिया और फाइनल में जगह बनाई। पिछले मुकाबले की तरह इस बार भी भारतीय जोड़ी पहले सेट में कमाल का प्रदर्शन किया और करीबी गेम में 22-20 के अंतर से जीत हासिल की। दूसरे गे में भारतीय जोड़ी 18-21 के अंतर से हार गई। हालांकि, सभी को उम्मीद थी कि क्वार्टर फाइनल मैच की तरह इस मैच में भी सात्विक-चिराग वापसी करेंगे और तीसरा गेम जीतेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारतीय जोड़ी आखिरी और निर्णायक गेम 16-21 के अंतर से हार गई। इसी के साथ भारत के स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीद खत्म हो गई।
क्वार्टर फाइनल में किया था उलटफेर
विश्व में सातवीं रैंकिंग वाले सात्विक-चिराग ने विश्व की नंबर दो जोड़ी टकुरो होकी और युगो कोबायशी को क्वार्टर फाइनल में हराकर बड़ा उलटफेर किया था। भारतीय जोड़ी ने इस मुकाबले में जापानी जोड़ी को 24-22 15-21 21-14 के अंतर से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। इससे पहले इस जोड़ी ने इसी महीने की शुरुआत में देश के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।
एक घंटे 15 मिनट तक चले मुकाबले में भारतीय जोड़ी ने जापानी जोड़ी को उनके घरेलू मैदान पर हरा दिया। इस टूर्नामेंट में इन दोनों से पहले कोई भी जोड़ी पुरुष युगल में पदक नहीं जीत पाई थी। हालांकि, महिला युगल में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने 2011 में जरूर देश को पदक दिलाया था। अब इस भारत को इस प्रतियोगिता में दूसरा पदक मिला है।
विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में यह भारत का 13वां पदक है। प्रकाश पादुकोण ने पहले भारतीय थे, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में पदक जीता था। साल 1983 में उन्होंने डेनमार्क में हुई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया था। इस प्रतियोगिता में भारत अब तक एक ही स्वर्ण पदक जीत पाया है। साल 2019 में पीवी सिंधु ने यह कमाल किया था। 2011 के बाद से भारतीय खिलाड़ी विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में लगातार पदक जीत रहे हैं।

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