गुरबत से निकला कुलदीप सेन जैसा क्रिकेट सितारा

रफ्तार के सौदागर के पिता चलाते हैं सैलून की दुकान
आईपीएल में 149 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बॉलिंग की
खेलपथ संवाद
रीवा।
इंसान की किस्मत कब पलटी मार जाए कहना मुश्किल है। रीवा जैसी जगह से देश को क्रिकेट सितारा मिलेगा यह कल्पना से परे लगता है लेकिन सच यह है कि एशिया कप में हरिहरपुर गांव के कुलदीप सेन का चयन 18 सदस्यीय टीम में बैकअप खिलाड़ी स्टैंडबाय के रूप में हुआ है।
रीवा जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर हरिहरपुर गांव है। यहां के रहने वाले क्रिकेटर कुलदीप सेन का एशिया कप के लिए टीम इंडिया में चयन हुआ है। इसी गांव की गलियों में कुलदीप कभी मोजे की बनी गेंद और मोगरी को बैट बनाकर क्रिकेट खेला करते थे। पिता रामपाल सेन सिरमौर चौराहे पर फाइन हेयर कटिंग नाम से सैलून चलाते हैं। दुकान पर अब पहले से ज्यादा लोग आते हैं। उन्हें बधाई देते हैं। इससे पहले कुलदीप आईपीएल में बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके हैं। कुलदीप के बचपन के दोस्त राघवेंद्र सेन बचपन की यादें शेयर करते हुए भावुक हो जाते हैं। 
राघवेंद्र सेन कहते हैं कि हम दोनों साथ ही पले-बढ़े। 2005 में हमारी उम्र करीब 8 से 10 साल थी। तब हमारे पास गेंद और बैट नहीं होता था। सिर्फ क्रिकेट खेलने का शौक था। दोनों के परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि बैट-बॉल खरीद सकें। ऐसे में हम फटे मोजे की गेंद बनाकर और मोगरी के बैट से क्रिकेट खेला करते थे। क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता था। सिर्फ मनोरंजन का साधन था। मैं गेंदबाजी करता तो कुलदीप बैटिंग करते। अच्छे शॉट लगाने पर बार-बार गेंद फट जाती। 
कुछ दिन बाद टाइट कपड़े डालकर गेंद को अच्छी तरीके से सिल कर खेलना चालू किया। यह गेंद चलती रही। फिर हम लोग पढ़ने के लिए गांव से शहर आए। यहां पहली बार क्रिकेट स्टेडियम देखकर आंखें चकरा गईं। सोचा- जिस खेल को खेल रहे हैं, इसके लिए स्टेडियम भी होता है? कुलदीप क्रिकेट में ही आगे बढ़ गया। धीरे-धीरे उसके खेल में निखार आता गया।'
एक दिन एपीएसयू पवेलियन के क्रिकेट कोच एरिल एंथोनी की नजर कुलदीप सेन पर पड़ी। उन्होंने कुलदीप को बैटिंग की जगह बॉलर बनाने पर फोकस किया। साथ ही, कुलदीप की गरीबी देखकर कभी पैसे नहीं लिए। देश के लिए खेलने वाले क्रिकेटर ईश्वर पाण्डेय और झारखंड से रणजी खेलने वाले आनंद सिंह का भी सहयोग कुलदीप को मिला। दोनों ने किट दी साथ ही समय-समय पर गाइड करते रहे। नतीजा, कुलदीप का चयन एशिया कप की 18 सदस्यीय टीम में बैकअप खिलाड़ी स्टैंडबाय के रूप में हुआ है।
कुलदीप के तीसरे नम्बर के छोटे भाई जगदीप सेन ने बताया कि 2017 में बड़े भाई एक साल के लिए डिप्रेशन में चले गए थे। दावा किया इसके पहले वे जिला, डिवीजन और अंडर 19 खेल चुके थे। उनका अंडर 23 में चयन नहीं हुआ। इसके बाद भाई मानसिक रूप से बीमार हो गए। उनकी हालत देखकर पिताजी डर गए थे। वे दिन में सैलून की दुकान चलाते और रातभर भैया को सुलाते थे, जिससे वह डिप्रेशन से बाहर आएं। कई बार तो रात में सोने के लिए दवा तक लेनी पड़ी थी।
कुलदीप सेन के कोच एरिल एंथोनी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत एशिया कप में सिलेक्शन हुआ है। कुलदीप ने विजय हरारे ट्रॉफी में 5 वनडे मैचों में 4 विकेट, रणजी ट्रॉफी के 16 मैच में 44 विकेट, टी-20 के 25 मैच में 24 विकेट लेकर चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा है। कहा- जनवरी 2022 की शुरुआत में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में कुलदीप ने अच्छा प्रदर्शन किया। उसने 5 मैच में करीब 16 विकेट लिए थे।
27 अगस्त से 11 सितम्बर तक चलने वाला एशिया कप दुबई स्थित अबूधाबी के शारजाह स्टेडियम में खेला जाएगा। 28 अगस्त को पहला मुकाबला भारत-पाकिस्तान के बीच है। नेशनल टीम में चयन होने पर घर में जश्न का माहौल है। दोनों छोटे भाइयों ने परिवार के सदस्यों का मुंह मीठा कराते हुए जश्न मनाया है। कुलदीप सेन का जन्म 28 अक्टूबर, 1996 को हरिहरपुर गांव में हुआ था। पिता रामपाल सेन की सिरमौर चौराहे पर सैलून की शॉप है। तीन भाइयों में सबसे बड़े कुलदीप क्रिकेटर हैं। दूसरे नंबर के भाई राजदीप सेन का हाल में मध्यप्रदेश पुलिस में चयन हुआ है। तीसरे नंबर के जगदीप सेन कोचिंग चलाते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं।
दूसरे नम्बर के छोटे भाई राजदीप सेन ने बताया कि आईपीएल 2022 में राजस्थान रॉयल्स टीम ने ऑक्शन में 20 लाख रुपए में कुलदीप को खरीदा था। कुलदीप ने एक मैच में 4 विकेट लेकर खेल पलट दिया। ऐसे में उनको 7 मैचों में खेलने का अवसर मिला। इस बीच कुलदीप ने 9 से 10 विकेट लिए। अक्सर 140 किलोमीटर की रफ्तार से गेंदबाजी करने में माहिर कुलदीप आईपीएल में 149 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बॉलिंग कर चुके हैं।

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