आज के समय में भारतीय खेलों को प्रमोट करने की जरूरतः सुजॉय गांगुली

खो खो की पहली फ्रेंचाइजी आधारित लीग अल्टीमेट खो-खो का आगाज
नई दिल्ली।
भारत में खो खो की पहली फ्रेंचाइजी आधारित लीग अल्टीमेट खो-खो का आगाज हो चुका है। इस साल लीग के पहले सीजन में कुल छह फ्रेंचाइजी टीमें- चेन्नई क्विक गन्स, गुजरात जायंट्स, मुंबई खिलाड़ीज, ओडिशा जगरनॉट्स, राजस्थान वॉरियर्स और तेलुगु योद्धाज हिस्सा ले रही हैं। ये टीमें 22 दिनों तक चुनौती पेश करेंगी। इस खेल को नए नियम और अधिक रोमांचक तरीके से लोगों के बीच लाया गया है। हमने इस मौके पर टीम तेलुगु योद्धाज की मालिकाना कंपनी जीएमआर स्पोर्ट्स के हेड ऑफ बिजनेस, मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशंस, सुजॉय गांगुली से बातचीत की। 
सवाल: IPL में दिल्ली कैपिटल, प्रो कबड्डी में यूपी योद्धाज और अब खो खो में लीग में तेलुगु योद्धाज में इंवेस्ट, इसके पीछे जीएमआर स्पोर्ट का मोटिव क्या है?
सुजॉय: देखिए जीएमआर जो ग्रुप है वो आमतौर पर बिजनेस टू बिजनेस काम करता है। जो हमारा ग्रुप है, वो सीरियसली सोचती है कि हमें एक कम्युनिटी बिल्ड करनी चाहिए, क्योंकि अगर कम्युनिटी में आप इन्वेस्ट करोगे, तो कम्युनिटी ग्रो करेगी और वो सबके लिए अच्छा है। जीएमआर स्पोर्ट्स एक साउथ बेस्ड कंपनी है, लेकिन जब उन्हें एयरपोर्ट मिली दिल्ली में तो जब वो आए और उन्हें लगा कि आईपीएल में ऑपरचुनिटी है। उन्हें लगा कि दिल्ली में हमें कम्युनिटी के लिए कुछ करना चाहिए तो उन्होंने आईपीएल में इन्वेस्ट किया। क्रिकेट को सब प्यार करते हैं। ऑब्जेक्टिव था कि कैसे हम लोगों को जोड़ सकें और दिल्ली को गर्व महसूस करा सकें। उसके बाद हमें कबड्डी में मौका मिला और अब खो-खो में इन्वेस्ट किया। ये भारत के खेल हैं और इन स्पोर्ट्स को और खिलाड़ियों को सपोर्ट की जरूरत थी। जब मैं छोटा था तो मैंने अपने स्कूल में कबड्डी भी खेला है, खोखो तो बहुत खेला है। अब जब मेरा बच्चा स्कूल जा रहा है तो मुझे नहीं लगता कि वहां खो-खो होता भी होगा। लेकिन जैसा कि हमने प्रो-कबड्डी लीग (PKL) में देखा कि उसमें इन्वेस्टमेंट के बाद आज PKL इंडिया का सेकेंड मोस्ट देखा जाने वाला लीग है। कबड्डी खिलाड़ियों को देखकर बहुत खुशी होती है। उनका लाइफस्टाइल बदल गया है और वह लीग के लिए जमकर तैयारी भी करते हैं। वैसे ही खोखो में भी हमें जब टीम खरीदने का मौका मिला, तो हमारे पास तेलुगु योद्धाज टीम खरीदने का मौका था। हमें जब यह मौका मिला तो हमने दोबारा नहीं सोचा और दक्षिण में यह टीम खरीद ली। इससे धीरे-धीरे खिलाड़ियों को पहचान मिलेगी और ज्यादा से ज्यादा युवा इन सब खेलों में हिस्सा ले सकेंगे। ये सब सोचके जीएमआर ग्रुप ने जो कि एक एयरपोर्ट एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में देश की सबसे बड़ी कंपनी है, उनको लगा कि ये सब करने से देश के लिए एक हेल्दी एनवायरोमेंट बनेगा और स्पोर्ट्स किसी भी एज में बहुत अच्छी बात होती है।
सवाल: अल्टीमेट खो खो लीग को आप कहां देखते हैं? क्या यह बाकी लीग की तरह अपनी पैठ बना पाएगी? 
सुजॉय: ये शुरू शुरू में बहुत मुश्किल होता है बोलना कि कोई भी लीग कितना आगे जाएगी, लेकिन स्पोर्ट्स में मेरा जो 20 वर्षों का अनुभव है, उससे मैं यह कह सकता हूं कि इस लीग में बहुत पोटेंशियल है। यह बहुत फास्ट स्पोर्ट्स है। मुझे लगता है कि पहला तीन साल जिस तरह से चल रहा है, उस तरह से चलता रहे और सभी फ्रेंचाइजी मिलकर बीच बीच में किसी भी तरीके से लीग को सपोर्ट करे, यानी खिलाड़ियों के बीच टीमों के बीच ज्यादा मुकाबले कराए, तो मुझे यकीन है कि खोखो बहुत बड़ा स्पोर्ट्स बन सकता है भारत में। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि खोखो को लड़कियां भी बहुत ही अच्छे से खेलती हैं हमारे देश में। यह कोई भी देश में खेला जाता है। भारतीय स्पोर्ट्स की खास बात यह है कि इसमें इक्विपमेंट नहीं चाहिए होते, सिर्फ लोग चाहिए होते हैं। खो खो वैसा खेल नहीं है जिसमें चोट लग सके, इसके बहुत कम चांसेस होते हैं। हां खो खो फिटनेस के लिए बहुत अच्छा है। मैंने टीवी में लीग को देखा है और उसमें बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे लगता है कि लीग के आयोजकों ने अच्छे कैमरा मंगवाकर बहुत अच्छा काम किया है। किसी भी खेल में मोमेंट को सही तरीके से कैप्चर करना भी बेहद जरूरी है, ताकि वह करोड़ों फैन्स तक पहुंच सके। फैन्स को उतना ही मजा आए जितना प्लेयर्स को  खेलने में आता है। तो मैं टीवी में खोखो को देखकर काफी प्रभावित हुआ हूं। मुझे लगता है कि इस खेल में आगे बढ़ने के लिए सबकुछ है।
सवाल: हाल फिल्हाल में जिस तरह का डेवलपमेंट भारतीय स्पोर्ट में हुआ है, उसपर आप क्या कहना चाहेंगे? 
सुजॉय: हमारे देश में ऐसा होता है कि हम सोचते हैं हम सरकार पर सबकुछ छोड़ देंगे और वह आगे बढ़ता रहेगा। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन पिछले कुछ समय में प्राइवेट सेक्टर्स ने भी काफी इन्वेस्ट किया है। जीएमआर स्पोर्ट्स का खुद का इन्डोर एकेडमी है मेरठ में। हमारी पूरी खोखो टीम ने भी वहीं पर कैम्प किया था। वहां होस्टल है, जिसमें सभी तरह की फैसिलीटी है। हमने बेस्ट न्यूट्रिशिस्ट लगाए हैं। हमारे पास फीजियो हैं। धीरे-धीरे इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज अच्छी बढ़ रही हैं। सिर्फ शहरों में नहीं, टाउन-बी, टाउन-सी में भी ऐसा हो रहा है। कबड्डी में काफी एकेडमीज खुल गई हैं। रेसलिंग में एथलेटिक्स में फैसिलिटीज काफी इम्प्रूव हो गई हैं। ज्यादातर एथलीट्स अब फिट रहने के लिए साइंस का प्रयोग कर रहे हैं, जो कि अच्छी बात है। ये सब आने से ऐसा हुआ कि जो प्लेयर्स हैं और उनके अंदर जो पोटेंशियल है, उन्हें एक मकान मिला है, एक स्टेज मिला है। इससे पिछले कुछ समय में हमारे एथलीट्स का प्रदर्शन निखर गया है और मेडल्स की संख्या बढ़ी है। मुझे इससे काफी गर्व महसूस होता है।
सवाल: क्या रॉ टैलेंट जो की गांव वगेरह में हैं, उन्हें बाहर निकालने का जीएमआर स्पोर्ट का कोई प्लान है? 
सुजॉय: जीएमआर ने जो सोचा है, मेरठ में जो हमारी बहुत बड़ी इन्डोर एकेडमी है, उसी में हम खोखो की भी एकेडमी बनाएंगे। जो बच्चे बहुत अच्छे प्लेयर्स हैं, हम उनसे पैसे नहीं लेते। साथ ही उन्हें दुनियाभर की तमाम फैसिलिटीज देते हैं ताकि वह खुद को निखार सके। साथ ही स्कूल में पढ़ाई भी करवाते हैं। प्लान हमारा यह है कि जो हमने कबड्डी में किया है, उसे ही खोखो में भी रेप्लिकेट करें। हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि हमारे होस्टल में पूरे भारत से बच्चे आकर कबड्डी सीख रहे हैं। वैसे ही मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे एकेडमी में पूरे देश से बच्चे आकर खोखो भी सीखेंगे, अच्छे कोच के अंडर। वैसे भी खोखो का जो स्ट्रक्चर है, वो बहुत एक्टिव है इंडिया में अभी भी। महाराष्ट्र को छोड़कर पूरे साउथ इंडिया में फेडरेशन खोखो को बहुत अच्छी तरीके से खिलाते हैं। मुझे उम्मीद है कि धीरे-धीरे पूरे भारत में इस तरह की फैसिलिटीज शुरू हो जाएगी। मैं कबड्डी का उदाहरण देना चाहूंगा कि जब कबड्डी लीग शुरू हुआ तो पूरे भारत में कई एकेडमीज खुल गई थीं। बहुत सारे बच्चे आए, खासतौर पर गांव से, बी-टाउन से, सब जगह से। खोखो में जो हमारी टीम है तेलुगु, उसका कैप्टन इंजीनियर है और अपने पैशन को फॉलो कर रहा है। इस खेल में सब तरह के बच्चे हैं और मुझे लगता है कि इससे बहुत सपोर्ट मिलेगा खोखो को, खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजियों को। आने वाले चार पांच सालों में खोखो में एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा, उन खिलाड़ियों के लिए जो इस खेल को अपना जीवन बनाना चाहते हैं।
सवाल: जीएमआर स्पोर्ट्स ने तेलुगु रीजन ही क्यों चुना फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए, जबकि बाकी दोनों फ्रेंचाइजी तो नार्थ इंडीया की हैं और खो खो की टीम साउथ इंडिया की है? इसके पीछे कोई खास वजह?
सुजॉय: जीएमआर तो इंडिया की कंपनी है। पूरे देश में ही है। हम बिजनेस में कभी ये नहीं देखते कि कहां पर है, साउथ में है या नॉर्थ में। वैसे ही स्पोर्ट्स हर जगह खेला जाता है। हर बच्चा स्पोर्ट्स खेलता है। हमें जहां पर भी मौका मिलता है, हम कोशिश करते हैं कि हम वहां पर इन्वेस्ट करें। हम वहां पर बच्चों को अच्छी फैसिलिटी दे सकें खेलने के लिए, ताकि स्पोर्ट्स अपने देश में आगे बढ़े। ऐसा कोई नियम नहीं है। हमारे पास आईपीएल में दिल्ली का ऑफर आया, तो हमने दिल्ली की टीम खरीदी, प्रो-कबड्डी में यूपी की फ्रेंचाइजी मिली तो हमने यूपी की टीम खरीदी। निश्चित तौर पर दक्षिण में भी बहुत मन था टीम खरीदने का, क्योंकि वहां से काफी इमोशंस जुड़े हैं, तो खोखो में जब ये मौका मिला तो हमने सोचे बिना जल्दी से टीम खरीद ली। ऐसा कोई नियम नहीं है, जहां भी हमें अच्छी ऑपरचुनिटी मिलेगी, चाहे वह देश में कहीं पर भी हो, हम वहां पहुंचेंगे।
(साभार अमर उजाला)

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