भाजपा सांसद कल्याण चौबे और बाइचुंग भूटिया चुनावी मैदान में

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष पद को दाखिल किया नामांकन
लिंगदोह, शाजी, ममता के भाई ने भी भरा नामांकन
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
फीफा के निलम्बन के बाद अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के चुनाव का भविष्य तय नहीं होने के बावजूद अध्यक्ष पद के लिए दिग्गज बाइचुंग भूटिया और एक समय उनके साथी रहे पूर्व गोलकीपर, भाजपा सांसद कल्याण चौबे ने नामांकन दाखिल कर दिया है। देश के अलावा मोहन बागान, ईस्ट बंगाल जैसे क्लबों के लिए खेलने वाले कल्याण चौबे अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं वहीं भूटिया ने फुटबॉलरों के प्रतिनिधि के रूप में नामांकन दाखिल किया है। फीफा ने 50 प्रतिशत फुटबॉलरों को वोटिंग अधिकार दिए जाने पर एतराज जताया है।
भूटिया के नाम को उनके भारतीय टीम में पूर्व साथी दीपक मंडल ने प्रस्तावित किया है, जबकि मधु कुमारी ने उनके नाम का अनुमोदन किया है। भूटिया का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार बतौर प्रमुख खिलाड़ी अपना नामांकन दाखिल किया है। वह आशा करते हैं कि खिलाड़ियों को भारतीय फुटबॉल की सेवा का मौका मिलेगा। वह दिखाना चाहते हैं कि वे सिर्फ मैदान पर ही अच्छा नहीं कर सकते हैं बल्कि प्रशासक के तौर पर भी अच्छा काम कर सकते हैं। 
भूटिया के अलावा दिल्ली सॉकर एसोसिएशन के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन, पूर्व फुटबॉलर और मेघालय विधान सभा में विधायक यूजेंसन लिंगदोह, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाई अजीत बनर्जी ने भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। शुक्रवार नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था जबकि 28 अगस्त को चुनाव प्रस्तावित हैं। 
चौबे फुटबॉलर और सांसद जरूर हैं, लेकिन उन्होंने एक आम सदस्य की तरह नामांकन भरा है। खास बात यह है कि उनके नाम की प्रस्तावना गृह मंत्री अमित शाह के राज्य गुजरात और अनुमोदन कानून मंत्री किरेन रिजिजू के राज्य अरुणाचल प्रदेश ने किया है वहीं भूटिया 1995 से 2011 तक देश के लिए खेले। उन्होंने जेसीटी, ईस्ट बंगाल, मोहन बागान का भी प्रतिनिधत्व किया, जबकि 1999 से 2002 तक वह इंग्लिश फुटबॉल क्लब बरी के लिए भी खेले। 
फीफा के निलम्बन के बाद भी सीओए ने सुप्रीम कोर्ट के तीन अगस्त के आदेश के अनुसार चुनाव प्रक्रिया जारी रखी है। हालांकि सर्वोच्च अदालत में मामले की सुनवाई सोमवार को निर्धारित है। उम्मीद है कि फीफा की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रमुख फुटबॉलरों को दिए गए 50 प्रतिशत वोटिंग अधिकार को न सिर्फ वापस लिया जाएगा बल्कि पूरी चुनावी प्रक्रिया को दोबारा शुरू कराया जा सकता है। एआईएफएफ को निलम्बित करने से कुछ घंटे पहले ही सीओए फीफा के विरोध पर चुनाव प्रमुख फुटबॉलरों को वोटिंग अधिकार दिए बिना कराए जाने को तैयार भी हो गए थे।
खेल मंत्रालय ने फीफा और एशियाई फुटबॉल कन्फेडरेशन (एएफसी) से भारतीय क्लबों श्री गोकुलम केरला और एटीके मोहन बागान को एएफसी टूर्नामेंटों में खेलने देने की गुहार लगाई है। एएफसी वूमेंस क्लब चैम्पियनशिप खेलने गई गोकुलम की टीम इस वक्त उजबेकिस्तान में फंसी है। मंत्रालय ने ताशकंद स्थित भारतीय दूतावास को टीम का ख्याल रखने के निर्देश दिए हैं, साथ ही टीम की खिलाड़ियों और क्लब के अध्यक्ष के साथ लगातार संवाद बनाकर रखा है।
फीफा की ओर से एआईएफएफ पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद गोकुलम को ताशकंद पहुंचने के बाद एएफसी वूमेंस क्लब चैम्पियनशिप में खेलने से रोक दिया गया था। गोकुलम का पहला मुकाबला कारशी में 23 अगस्त को ईरान के साथ है, जबकि 26 अगस्त को उसे मेजबान देश के क्लब के साथ खेलना है। मंत्रालय की कोशिशों के बाद क्लब को ताशकंद में 48 घंटे रुकने की मोहलत एएफसी ने दे दी थी। मोहन बागान को सात सितम्बर को बहरीन में एएफसी कप इंटर जोन का सेमीफाइनल खेलना है।

 

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