फीफा के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केंद्र

महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनी
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा द्वारा भारत को निलम्बित किए जाने और अंडर-17 महिला विश्वकप की मेजबानी छीनने के मद्देनजर केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की। भारत को 11 से 30 अक्टूबर के बीच फीफा टूर्नामेंट की मेजबानी करनी है। 
केंद्र की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और एएस बोपन्ना की पीठ को बताया एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में फीफा ने भारत को निलम्बित करने का पत्र भेजा है और इसे रिकॉर्ड में लाने की आवश्यकता है। पीठ ने मेहता से कहा कि मामला बुधवार के लिए सूचीबद्ध है और वह इसे पहले मामले के रूप में लेने की कोशिश करेगी। फीफा ने मंगलवार को भारत को ‘तीसरे पक्ष का अनुचित प्रभाव' का हवाला देकर निलम्बित कर दिया और उससे अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी के अधिकार छीन लिए।
फीफा ने भारत पर प्रतिबंध लगाया
विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संचालन संस्था फीफा ने भारत को करारा झटका देते हुए तीसरे पक्ष द्वारा गैर जरूरी दखल का हवाला देकर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को निलंबित कर दिया और उससे अक्तूबर में होने वाले अंडर-17 महिला विश्व कप के मेजबानी अधिकार छीन लिए। भारत को 11 से 30 अक्टूबर के बीच फीफा प्रतियोगिता की मेजबानी करनी थी। यह पिछले 85 साल के इतिहास में पहला अवसर है जबकि फीफा ने एआईएफएफ पर प्रतिबंध लगाया।
फीफा ने कहा है कि निलंबन तुरंत प्रभाव से लागू होगा। फीफा ने एक बयान में कहा, ‘निलम्बन तभी हटेगा जब एआईएफएफ कार्यकारी समिति की जगह प्रशासकों की समिति के गठन का फैसला वापस लिया जायेगा और एआईएफएफ प्रशासन को महासंघ के रोजमर्रा के काम का पूरा नियंत्रण दिया जायेगा। 'फीफा ने कहा, ‘इसके मायने हैं कि 11 से 30 अक्टूबर के बीच होने वाला अंडर-17 महिला विश्व कप पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारत में नहीं हो सकता। फीफा टूर्नामेंट के संबंध में अगले चरणों का आकलन कर रहा है और यदि आवश्यक हुआ तो मामले को परिषद के ब्यूरो के पास भेजेगा।'
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने दिसम्बर 2020 से चुनाव नहीं करवाने के कारण 18 मई को प्रफुल्ल पटेल को एआईएफएफ के अध्यक्ष पद से हटा दिया था और एआईएफएफ के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) का गठन किया था। इसके बाद से ही प्रतिबंध लगने की संभावना जताई जा रही थी। सीओए के अन्य सदस्यों में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और पूर्व भारतीय कप्तान भास्कर गांगुली शामिल हैं। 
सीओए को राष्ट्रीय खेल संहिता और दिशा निर्देशों के अनुसार एआईएफएफ के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। फीफा ने हालांकि कहा कि उसने भारत के लिए सभी विकल्प बंद नहीं किए हैं और वह खेल मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है और उसे महिला जूनियर विश्व कप को लेकर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।फीफा ने पांच अगस्त को एआईएफएफ को निलंबित करने और महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी छीनने की धमकी दी थी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने तीन अगस्त को एआईएफएफ की कार्यकारी समिति को सीओए द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। 
फीफा ने कभी अपनी सदस्य इकाइयों के मामलों में तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी है। इनमें अदालत और सरकारी हस्तक्षेप भी शामिल है।भारत पर प्रतिबंध के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 28 अगस्त को होने वाले एआईएफएफ चुनाव का क्या होगा, इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। शीर्ष अदालत ने सीओए द्वारा तैयार समय सीमा को मंजूर करने के बाद 13 अगस्त से चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई थी। सीओए पहले ही चुनाव अधिकारी की नियुक्त कर चुका है और उसने चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की सूची भी जारी कर दी है। इनमें 36 मशहूर खिलाड़ी भी शामिल हैं। नामांकन भरने की प्रक्रिया बुधवार से शुक्रवार तक चलनी है।

 

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