मुक्केबाज नीतू ने राष्ट्रमंडल खेलों में बनाया दबदबा

बॉक्सिंग में शानदार है नीतू का सफर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय मुक्केबाज नीतू गंघास ने बुधवार को महिलाओं के 48 किलोग्राम वर्ग के सेमीफाइनल में पहुंचकर राष्ट्रमंडल खेलों में एक पदक पक्का कर दिया। दो बार की युवा स्वर्ण पदक विजेता नीतू (21 वर्ष) को क्वार्टर फाइनल के तीसरे और अंतिम राउंड में उत्तरी आयरलैंड की निकोल क्लाइड के स्वेच्छा से रिटायर होने (एबीडी) के बाद विजेता घोषित किया गया।
कॉमनवेल्थ 2022 में नीतू ने बॉक्सिंग में पहला पदक पक्का कर लिया है। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में उत्तरी आयरलैंड की निकोल क्लायड को हराकर अपना पदक पक्का कर लिया है। सेमीफाइनल और फाइनल मैच में जीत हासिल करने पर वो स्वर्ण या रजत पदक भी जीत सकती हैं। 45-48 किलोग्राम भारवर्ग में इतिहास रचने वाली नीतू भारत की सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक हैं। नीतू ने ट्रायल में दिग्गज बॉक्सर मैरी कॉम को हराकर सुर्खियां बटोरी थी।
21 साल की नीतू हरियाणा के भिवानी की रहने वाली हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में भिवानी में कोच जगदीश के पास ट्रेनिंग शुरू की थी। इसके बाद में उन्होंने भास्कर भट्ट से ट्रेनिंग ली। साल 2016 में नीतू भारतीय खेल प्राधिकरण की राष्ट्रीय बॉक्सिंग एकेडमी का हिस्सा बनीं। इस दौरान वो कूल्हे की चोट से जूझ रही थीं। बॉक्सिंग एकेडमी ने उन्हें इस चोट से उबरने में मदद की इसके बाद नीतू ने कमाल कर दिया। 
मुक्केबाजी में 10 साल के सफर में नीतू ने कई बड़ी प्रतियोगिताएं जीती हैं और अब उन्हें मिनी क्यूबा के नाम से भी जाना जाता है। 2017 में उन्होंने गोवाहटी में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद 2018 में एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 2022 में सोफिया बुल्गारिया में हुए स्ट्रेडजा कप नीतू ने इटली की खिलाड़ी हो हराकर स्वर्ण पदक जीता था। 
नीतू फिलहाल चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय से एमपीएड की पढ़ाई कर रही है। उसका छोटा भाई अक्षित कुमार शूटिंग का खिलाड़ी है, जिसने हाल ही में नेशनल स्तर पर भाग लिया था। मुक्केबाज नीतू के पिता जयभगवान विधानसभा में बिल मैसेंजर का काम करते हैं। नीतू ने साल 2017 और 2018 में गुवाहाटी और हंगरी में हुई विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर देश का गौरव बढ़ाया था। विश्व चैंपियन को 20 लाख रुपये का इनाम हरियाणा सरकार द्वारा दिया जाता था, जो उन्हें तीन साल के संघर्ष के बाद आधा यानी 10 लाख रुपये मिला था। इस मामले पर नीतू ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से जल्द इनाम राशि का भुगतान करवाने की मांग की थी। इसके बाद उन्हें ईनामी राशि मिली थी। 

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