बड़ी दिलचस्प है महिला लॉन बॉल टीम की कहानी

इस टीम में कॉन्स्टेबल से लेकर शिक्षिका तक शामिल
खेलपथ संवाद
बर्मिंघम।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 42 साल की लवली चौबे, 41 साल की पिंकी, 34 साल की रूपा रानी टिर्की और 33 साल की नयनमोनी सेकिया ने इतिहास रच दिया है। इन चारों ने राष्ट्रमंडल खेलों में लॉन बॉल में भारत को पहला पदक दिलाया, वह भी स्वर्ण पदक। भारतीय महिला टीम ने फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 17-10 से हराया। यह खेल 1930 से खेला जा रहा है, जबकि भारतीय टीम ने दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों (2010) से इस खेल में हिस्सा लेना शुरू किया था।
तब से लेकर अब तक भारत कोई भी पदक नहीं जीत पाया था। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने लॉन बॉल में अपने पदकों की शुरुआत ही स्वर्ण पदक से की है। इस 'गुमनाम' खेल को इस महीने से पहले तक कोई नहीं जानता था, लेकिन भारतीय की बेटियों ने पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यदि आप इस खेल के बारे में नहीं जानते हैं, तो लॉन बॉल को हाई क्लास गेम माना जाता है। कहा जाता है कि अमीर व्यक्ति गोल्फ के अलावा इस खेल में अपना समय व्यतीत करते हैं। इस खेल का यही हाल भारत में भी लंबे समय से रहा है। लॉन बॉल बड़े पैमाने पर कोलकाता और मुंबई के पॉश क्लबों में खेला जाता है।
हालांकि, 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों ने इस खेल को एक बराबर या यू कहें पैसे को दूर रखते हुए समानता पर ला खड़ा किया। भारत की बेटियों, लवली, पिंकी, रूपा रानी, नयनमोनी ने यह तय किया कि इस खेल को नई पहचान दी जाए। ये चारों इस बात का सबूत हैं कि कभी-कभी रूढ़िवादिता का कोई मतलब नहीं होता। सोमवार को भारतीय महिलाओं ने चार खिलाड़ियों के प्रारूप में सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-6 से पिछड़ने के बाद 16-13 से जीत हासिल कर फाइनल में जगह बनाई। इस मैच की रोमांचकता और लगातार हुए उलटफेर ने इस खेल के नीरस खेल होने की धारणा को दूर कर दिया। 
चारों खिलाड़ियों की पहचान
42 साल की लवली चौबे झारखंड में पुलिस कॉन्स्टेबल हैं। इससे पहले 100 मीटर स्प्रिंटर भी रह चुकी हैं। 41 साल की पिंकी दिल्ली में फिजिकल एजुकेशन की टीचर हैं। वह पूर्व क्रिकेटर भी रह चुकी हैं। 34 साल की रूपा रानी टिर्की झारखंड में ही जिला खेल अधिकारी हैं। रूपा पहले कबड्डी खिलाड़ी भी रह चुकी हैं। 33 साल की नयनमोनी सेकिया असम में फॉरेस्ट ऑफिसर हैं। वह पहले वेटलिफ्टर भी रह चुकी हैं। इन चारों खिलाड़ियों के जज्बे ने भारत को चैम्पियन बनाया।  
भारतीय खिलाड़ियों ने बिना कोच और किसी मदद के ट्रेनिंग की 
भारत की चारों बेटियों ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी बिना किसी मदद के की है। 2010 से भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में इस इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया था। तब से लेकर अब तक तीन बार भारतीय टीम सफल नहीं हो पाई थी। ऐसे में इस बार खिलाड़ियों को कोच तक नहीं उपलब्ध कराया गया था। कॉमनवेल्थ खेल से सिर्फ पांच महीने पहले सभी खिलाड़ियों ने कोच के बिना तैयारी शुरू की। टीम ने लॉन बॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की मदद से स्वर्ण पदक के लिए तैयारी की।

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