वाराणसी की वेटलिफ्टर पूनम का मेडल जीतने का सपना टूटा

2014 में पिता ने दो भैंस बेच भेजा था ग्लास्गो
खेलपथ संवाद
बर्मिंघम।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पूनम यादव महिलाओं के 76 किलोग्राम भारवर्ग में देश को पदक दिलाने से चूक गईं। अगर पूनम पदक जीत लेतीं तो इस इवेंट में यह वेटलिफ्टिंग में भारत का आठवां पदक होता। पूनम ने स्नैच में 98 किलोग्राम वजन उठाया था। क्लीन एंड जर्क में उन्होंने 116 किलोग्राम वजन उठाने का लक्ष्य रखा था। शुरुआती दो प्रयास में वो फेल रहीं, लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने वजन उठा लिया। हालांकि, रेफरी ने उनके प्रयास को मान्य नहीं किया। भारत ने फैसले को चुनौती दी पर नतीजा नहीं बदला और पूनम पदक की रेस से बाहर हो गईं।
वाराणसी के दादूपुर गांव की रहने वाली पूनम इससे पहले कॉमनवेल्थ में देश को दो पदक दिला चुकी हैं। पूनम ने 2014 में ग्लासगो में देश को कांस्य पदक दिलाया था। इसके बाद 2018 कॉमनवेल्थ में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। पूनम ने 2011 में वेटलिफ्टिंग शुरू की थी और 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम कैटेगरी में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2015 में पुणे में हुई कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में 63 किलोग्राम कैटेगरी में गोल्ड जीता। 2017 में कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप (गोल्ड कोस्ट) में 69 किलोग्राम कैटेगरी में रजत पदक अपने नाम किया। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में 69 किलोग्राम कैटेगरी में 222 किलो वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता। 
मां बनने के तीन महीने बाद शुरू की ट्रेनिंग
इसके बाद कोरोना और शादी के चलते पूनम कुछ समय तक वेटलिफ्टिंग से दूर रहीं। 2020 में मां बनीं और इसके तीन महीने बाद ही ट्रेनिंग शुरू कर दी। 2021 कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप के जरिए तीन साल बाद वापसी की। उन्होंने पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से हिस्सा लेते हुए 76 किलो भार वर्ग में 220 किलो भार उठाकर रजत पदक जीता और कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए क्वालीफाई किया। पूनम पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल में टिकट निरीक्षक के पद पर तैनात हैं। 
पूनम यादव के पिता कैलाश ने बताया था कि पूनम वेटलिफ्टिंग के लिए तैयार हो गई थीं, लेकिन उन्हें विदेश भेजने के लिए पैसे जुटाने में मुश्किल हो रही थी। दोस्तों-परिवार वालो से कर्ज लिया, लेकिन ये पैसे भी पर्याप्त नहीं थे। तब दो भैंसों को बेच दिया और पूनम को ग्लास्गो भेजा। बेटी ने निराश नहीं किया और देश के लिए कांस्य पदक जीत सबका सपना पूरा कर दिया। इस समय उनके घर में खुशी की मिठाई बांटने के लिए भी पैसे नहीं थे। एक बार फिर पिता ने कहीं से पैसों का जुगाड़ किया और मिटाई बांटकर बेटी की जीत का जश्न मनाया था। अब पूनम के पैसों की बदौलत उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर हो चुकी है। उनकी सफलता पर उनके मायके और ससुराल दोनों जगह जश्न का माहौल है। भले ही वो 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को पदक न दिला पाई हों, लेकिन देश को उन पर गर्व है।
पूनम की दोनों बहन भी वेटलिफ्टर
पूनम की सबसे बड़ी बहन शशि ने सबसे पहले वेटलिफ्टिंग शुरू की और इसी खेल की वजह से उन्हें रेलवे में नौकरी मिली। इसके बाद उनकी बाकी दोनों बहनें भी वेटलिफ्टिंग के लिए प्रेरित हुईं और पूनम तो देश के लिए कई पदक जीत चुकी हैं। उनकी छोटी बहन पूजा भी राष्ट्रीय स्तर की वेटलिफ्टर है। इनके अलावा दो बेटे हैं जो एथलेटिक्स और हॉकी खेलते हैं। 

 

रिलेटेड पोस्ट्स