राष्ट्रमंडल खेलों में भारत पर स्वर्ण पदक जीतने का दबाव

हॉकी में अब तक सोना नहीं जीत सकी पुरुष टीम
महिला टीम ने 2002 में रचा था इतिहास
नई दिल्ली।
ओलम्पिक में आठ स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम अब तक राष्ट्रमंडल खेलों में एक बार भी स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी है। इन खेलों में हॉकी को 1998 में शामिल किया गया था। राष्ट्रमंडल खेलों की हॉकी में ऑस्ट्रेलिया का ही वर्चस्व रहा है। अब तक उसने सभी छह स्वर्ण पदक जीते हैं।
टोक्यो ओलम्पिक की सफलता से उत्साहित कप्तान मनप्रीत सिंह की टीम की निगाहें इस बार बर्मिंघम में ऑस्ट्रेलियाई वर्चस्व को तोड़कर पहली बार स्वर्ण पदक जीतने पर हैं। भारत ने 41 साल के बाद पिछले साल टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता था। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 (दिल्ली) और 2014 (ग्लास्गो) में रहा। दोनों बार रजत पदक जीता था। 1998 और 2018 में भारत चौथे स्थान पर रहा।
पहले भारतीय टीम को फिटनेस के स्तर पर कमजोर आंका जाता था। अब भारतीय टीम विश्व की फिट टीमों में से एक है। अच्छी फिटनेस का भारत को बर्मिंघम में फायदा मिल सकता है। एफआईएच प्रो लीग में भारत बेल्जियम और नीदरलैंड के बाद तीसरे नम्बर पर रहा था। यदि भारतीय खिलाड़ी पूरी क्षमता के साथ खेलते हैं तो उनको बर्मिंघम में स्वर्ण जीतने से कोई नहीं रोक सकता। 
राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी की सभी टीमें मजबूत हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया के अलावा चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और कनाडा से कड़ी टक्कर मिलेगी। भारतीय टीम पूल बी में है। इसमें इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना की टीमें हैं। पूल ए में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और स्कॉटलैंड शामिल हैं। उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, वरुण कुमार और युवा जुगराज सिंह की मौजूदगी में पेनल्टी कॉर्नर भारत का मजबूत है। टीम पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर सकती है वहीं डिफेंडरों को भी अच्छा करने की जरूरत है। पीआर श्रीजेश के रूप में भारत के पास विश्व का श्रेष्ठ गोलकीपर है।
पूर्व कप्तान और कोच सरदार सिंह का मानना है कि इस बार भारत के पास स्वर्ण जीतने का बेहतरीन अवसर है। टीम का आत्मविश्वास भी बढ़ा हुआ है। डिफेंडर सुरेंदर कुमार ने कहा- हम हर मैच में मजबूती के साथ उतरेंगे। हमारा फोकस 31 जुलाई को घाना के खिलाफ होने वाले मैच पर है। पुरुषों के मुकाबले भारतीय महिला हॉकी टीम एक बार स्वर्ण पदक जीत चुकी है। 2002 मैनचेस्टर में भारत ने इंग्लैंड को 3-2 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। 2006 मेलबर्न में भारत ने रजत पदक जीता था। 1998 और 2018 में महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी। महिलाओं में भी ऑस्ट्रेलियाई हॉकी टीम का दबदबा रहा है। उसने चार स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है वहीं, न्यूजीलैंड की टीम ने 2018 में स्वर्ण पदक जीता था।
हाल ही में स्पेन और नीदरलैंड की संयुक्त मेजबानी में हुए हॉकी विश्वकप में भारतीय महिला टीम 9वें स्थान पर रही थी। यहां पर मिली निराशा को महिलाएं बर्मिंघम में पदक जीतकर दूर करना चाहेंगी। हालांकि, भारतीय टीम को पेनल्टी कॉर्नर की कमी को दूर करना होगा। भारत को पूल ए में इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना के साथ रखा गया है। पूल बीम में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड और केन्या शामिल हैं।
किसका क्या कहना
ग्राहम रीड (भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कोच): भविष्यवाणी करना कठिन है लेकिन हम सोना जीत सकते हैं। टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। अंतरराष्ट्रीय हॉकी टीमों के बीच अब अंतर बहुत कम बचा है। स्पर्धा कड़ी होगी। 
पीआर श्रीजेश (भारतीय गोलकीपर): निश्चित ही यह मेरा अंतिम राष्ट्रमंडल खेल है। मैं स्वर्ण जीतकर विदाई लेना चाहता हूं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने अब तक सभी स्वर्ण जीते हैं। हमारी टीम के अंदर ऑस्ट्रेलिया को हराने की पूरी क्षमता है। पूर्व में भी हमने उसको हराया है।
यानिक शोपमैन (मुख्य कोच, भारतीय महिला हॉकी टीम): पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील नहीं करने की कमी को दूर करने की जरूरत है। विश्वकप के छह मैचों में भारत को 43 पेनल्टी कॉर्नर मिले थे। इनमें केवल चार बार गोल कर सके। गुरजीत कौर विशेषज्ञ हैं लेकिन अन्य खिलाड़ियों को भी अपना योगदान देना होगा।
सविता पूनिया (कप्तान, भारतीय महिला हॉकी टीम): दुर्भाग्य से विश्वकप में हम पूरी क्षमता के साथ नहीं खेल सके लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमारी टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का बेहतरीन संतुलन है। हमें अपनी कुछ कमियों को दूर करना है। 
भारत की 18 सदस्यीय पुरुष टीम- गोलकीपर : पीआर श्रीजेश और कृष्ण बहादुर पाठक, डिफेंडर : वरुण कुमार, सुरेंद्र कुमार, हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, जुगराज सिंह और जरमनप्रीत सिंह, मिडफिल्डर : मनप्रीत सिंह (कप्तान), हार्दिक सिंह, विवेक सागर प्रसाद, शमशेर सिंह, आकाशदीप सिंह और नीलकांत शर्मा, फॉरवर्ड : मनदीप सिंह, ललित कुमार उपाध्याय, गुरजंत सिंह और अभिषेक।
राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम: गोलकीपर: सविता पूनिया (कप्तान), रजनी एतिमारपु। डिफेंडर्स: दीप ग्रेस एक्का (उपकप्तान), गुरजीत कौर, निक्की प्रधान, उदिता। मिडफील्डर: निशा, सुशीला चानू पुखरामबम, मोनिका, नेहा, ज्योति, नवजोत कौर, सलीमा टेटे। फॉरवर्ड: वंदना कटारिया, लालरेम्सियामी, नवनीत कौर, शर्मिला देवी, संगीता कुमारी।

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