जल्द से जल्द हों हॉकी इंडिया के चुनावः एफआईएच
भारत में हॉकी विश्व कप के आयोजन पर खतरा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। अगले साल होने वाले हॉकी विश्व कप की मेजबानी भारत से छिन सकती है। विश्व हॉकी की शीर्ष संस्था एफआईएच ने कहा है कि अगर भारत को अगले साल हॉकी विश्व कप की मेजबानी करनी है तो नए संविधान को अपनाना होगा और जल्द से जल्द चुनाव कराने होंगे। एफआईएच ने सीओए से यह बात कही है, जिसे अदालत ने नियुक्त किया है।
इसके साथ ही चुनाव की समयसीमा तय करने की बात कही गई है। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने सीओए को पत्र लिखकर कहा है कि नए संविधान का मसौदा तैयार करे और चुनाव कराए। एफआईएच ने कहा है कि अगर संविधान को अपनाने और चुनाव कराने में देरी होती है तो अगले साल भुवनेश्वर और राउरकेला में होने वाले हॉकी विश्व कप की मेजबानी खतरे में पड़ सकती है।
एफआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थियरी वील ने हॉकी इंडिया को पत्र लिखकर कहा है कि भारत में एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप की मेजबानी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय हॉकी में नए संविधान को अपनाने और चुनाव कराने की समय सीमा तय की जाए। वील ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि प्रशासकों की समिति (सीओए) उस पत्र का जवाब नहीं दे रही है, जो एफआईएच ने उसे 17 जुलाई को भेजा था। इस पत्र में भी इन मामलों पर जवाब मांगा गया था। बुधवार को वील ने पत्र लिखकर कहा "हम फिर से दोहरा रहे हैं कि चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए ताकि हॉकी इंडिया के नवनिर्वाचित कार्यकारी बोर्ड को हॉकी विश्व कप के आयोजन की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।"
क्यों बनी सीओए?
भारतीय हॉकी में खेल संहिता के उल्लंघन का मामला सामने आने के बाद अदालत ने सीओए का गठन किया था। असलम शेर खान ने भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी। इसके बाद अदालत ने कहा कि बत्रा को आजीवन सदस्य और एलेना नॉर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था। बेंच ने ही कहा था कि भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती, जिसका संविधान स्पोर्ट्स कोड के अंतर्गत नहीं हो। राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य और प्रबंधन समिति में सीईओ का पद के पद अवैध हैं। इन पद को हटाया जाता है।