युवा मेहनत करें और नतीजों का करें इंतजारः गीता फोगाट

भारतीय पहलवानों से 10 मेडल जीतने की उम्मीद
नई दिल्ली।
कॉमनवेल्थ खेलों की शुरुआत में अब चंद दिनों का समय रह गया है। इस बार खेलों के इस महाकुंभ में शूटिंग नहीं है। ऐसे में सबसे ज्यादा पदकों की उम्मीद पहलवानों से ही लगाई जा रही है। भारत के छह पुरुष और छह महिला पहलवान इस बार कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा ले रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान गीता फोगाट का मानना है कि इस बार 12 में से 10 भारतीय पहलवान पदक जरूर जीतेंगे। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि विनेश फोगाट का सोना जीतना तय है। गीता ने पहलवानी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए और यह भी बताया कि बहुत जल्द वह वापसी करने वाली हैं। उनका सपना ओलम्पिक में देश को पदक दिलाने का है। 
सवालः कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय पहलवानों से क्या उम्मीद कर रही हैं, इस बार भारत को कितने पदक मिलेंगे?
जवाबः भारतीय पहलवानों से उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि जमकर पदक लाएंगे। जब भी कॉमनवेल्थ में भारतीय पहलवान उतरते हैं तो एक या दो पहलवान ही मेडल से चूकते हैं। बाकी सब पदक जीतते हैं। इस बार महिला और पुरुष दोनों पहलवानों से स्वर्ण पदक की उम्मीद ज्यादा है।
सवालः इस बार छह महिला और छह पुरुष पहलवान हैं, किससे पदक की उम्मीद सबसे ज्यादा है?
जवाबः पदक जीतने वाले पहलवानों में रवि दाहिया हैं, बजरंग पूनिया हैं, साक्षी मलिक हैं, विनेश फोगट हैं। वो गोल्ड मेडल की सबसे ज्यादा दावेदार हैं। उनके पास अनुभव और क्षमता दोनों है। कई युवा खिलाड़ी भी हैं, उनसे भी पदक की काफी उम्मीदें हैं। मेरी शुभकामनाएं और दुआएं उनके साथ हैं। 
सवालः कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए जाने से पहले विनेश आपसे मिलकर गई थीं, अगर हां तो आपने उन्हें क्या टिप्स दिए?
जवाबः मुझे विनेश से मिले काफी समय हो गया है। जब से नेशनल खत्म हुआ, हमारी मुलाकात नहीं हुई है। मैं चोटिल हुई थी और मुझे सर्जरी करानी पड़ी। इसके बाद मैं रीहैब रही और वो कैंप में चली गई थी। फोन पर बात हुई तो वह मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं। वो भी चोट से जूझती रही है, लेकिन हर बार वापसी की है। फिलहाल वो लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर में है। उनके पति भी साथ हैं और दोनों की ट्रेनिंग काफी अच्छी चल रही है। उम्मीद है कि दोनों गोल्ड मेडल जीतकर लाएंगे। 
सवाल: इस बार आपके परिवार के दो सदस्य कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग ले रहे हैं, क्या दोनों पदक जीतेंगे, पदक का रंग क्या होगा?
जवाबः जी हां, दोनों पदक जीतेंगे। हमें उन पर पूरा विश्वास है। दोनों अच्छे खिलाड़ी हैं और मेडल के प्रबल दावेदार हैं। दोनों पहले भी स्वर्ण पदक जीते हैं। इस बार भी उनसे पदक की उम्मीद बहुत ज्यादा है। दोनों ही स्वर्ण पदक जीतने के प्रबल दावेदार हैं। 
सवालः आप कॉमनवेल्थ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं, आपके लिए यह अनुभव कैसा था?
जवाबः मेरा और सभी पहलवानों का प्रदर्शन अच्छा रहा था। इसके बाद भी पहलवानों ने अच्छा प्रदर्शन किया। पहलवानी को आगे बढ़ाने में केंद्र सरकार का योगदान सबसे ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेलों को इतना बढ़ावा देते हैं। वो हर प्रतियोगिता के पहले और बाद में सभी से बात करते हैं। चाहे वो जीते या हारे। वो सभी खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। इस वजह से सभी का प्रदर्शन निखर रहा है। फेडरेशन भी खिलाड़ियों का बहुत ध्यान रखता है। हमारे सांसद हर चीज पर तुरंत एक्शन लेते हैं। 
सवालः कोई ऐसा पल जब आपको अपने पहलवान होने पर गर्व हुआ हो और आपको लगा हो कि पहलवानी में आकर सही किया?
जवाबः आज हमें दुनिया में लोग फोगाट सिस्टर्स के नाम से जानते हैं। यही अपने आप में सबसे बड़ी बात है। अगर हम पहलवान नहीं होते तो मुझे नहीं लगता कि किसी भी क्षेत्र में इतना बेहतर कर सकते थे। हम ग्रामीण परिवेश से आए हैं। मेरे चाचा-ताऊ की बेटियां सामान्य जीवन जी रही हैं। यह मेरे पिता की मेहनत का नजीता है, जिन्होंने इतना बड़ा सपना देखा था, जिसकी वजह से हम यहां पर हैं। हम अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं कि हमें ऐसे परिवार में जन्म मिला। 
सवालः आप कब वापसी करने वाली हैं?
जवाबः मुझे कई लोग बोलते हैं कि अब क्या बचा है। अब तो सब कुछ हासिल कर लिया। आपकी शादी हो गई, बच्चा हो गया, अब क्यों परेशान हैं। मेरे लिए मन की खुशी जरूरी है। मुझे जो खुशी पहलवानी में पदक जीतकर मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती। मेरे बच्चे के जन्म के बाद मैंने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया। वहां पदक जीता तो मुझे फिर से वही खुशी मिली जो करियर की शुरुआत में पदक जीतने पर मिलती थी। इसी खुशी की वजह से मैंने फिर से रेसलिंग में पूरे दम के साथ वापसी करने का फैसला किया। मैंने खुद को पहलवानी किट में देखा, वो मेरे लिए खास था। शायद पेरिस ओलम्पिक मेरा आखिरी होगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि पूरे जीजान से मेहनत करूं और देश को पदक दूं। 
सवालः आप युवा पहलवानों को क्या सीख देना चाहेंगी?
जवाबः युवा खिलाड़ी, उनके माता-पिता और कोच से यह कहना चाहूंगी कि हर खेल की शुरुआत करने के बाद नतीजे मिलने में समय लगता है। हमें इंतजार करना चाहिए और तुरंत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कई बार बच्चे ऐसे में शॉर्टकट ढूंढ़ने लगते हैं। डोपिंग के फेर में फंस जाते हैं। प्रोटीन या दूसरी चीजें लेने लगते हैं, जो कि प्रतिबंधित हैं। इन सब चीजों से बचना चाहिए। सामान्य खाना खाएं और कोई भी सप्लीमेंट लेने से पहले अच्छे डॉक्टर से जरूर बात करें। किसी भी खेल में शॉर्टकट न ढूढ़ें। मेहनत करें और इंतजार करें नतीजों का। मेहनत करते रहें तो फल मिलता है। थोड़ा सब्र रखना जरूरी है। 
सवालः आज की सरकार पहले की तुलना में सभी खेलों को महत्व दे रही है, इससे पहलवानों का जीवन कितना आसान बनता है?
जवाबः इसी वजह से आज का समय बदल गया है। मेडल की संख्या बढ़ गई है। बड़ी संख्या में बच्चे खेलों में आ रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री, हमारे खेल मंत्री और साई की टीम खिलाड़ियों से बात करते हैं और उनकी हर जरूरत पूरी करते हैं। मौजूदा सरकार की रुचि खेलों में काफी ज्यादा है। इसी का नतीजा है कि हमारे पदकों की संख्या बढ़ गई और बेहतर खिलाड़ी भी निकलकर आ रहे हैं। 
(साभार अमर उजाला)

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