सात महीने में टीम इंडिया को मिले सात कप्तान

हर सीरीज में अलग खिलाड़ी फिर दो अलग टीम से परहेज क्यों?
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम का एलान हो चुका है। एक बार फिर शिखर धवन को टीम का कप्तान बनाया गया है। धवन सातवें खिलाड़ी हैं, जो इस साल भारतीय टीम की कप्तानी करेंगे। सात महीने के अंदर सात खिलाड़ी भारत की कप्तानी कर चुके हैं और टीम के नियमित कप्तान ने अब तक विदेश में कोई मैच नहीं खेला है। 35 साल के रोहित शर्मा अहम मौकों पर चोटिल हुए हैं और उनकी किसी युवा खिलाड़ी को कप्तानी करनी पड़ी है।
इस साल भारत ने पहला मैच लोकेश राहुल की अगुवाई में खेला था। इसके बाद एक मैच में विराट कोहली ने भारत की कप्तानी की। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में भी राहुल कप्तान रहे। वहीं, वेस्टइंडीज और श्रींलका के खिलाफ रोहित शर्मा ने कप्तानी की। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में ऋषभ पंत, आयरलैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में हार्दिक पांड्या और इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में जसप्रीत बुमराह भारत के कप्तान रहे। अब शिखर धवन की अगुवाई में भारत खेलेगा। 
हर सीरीज में बदल रहे खिलाड़ी
इस साल भारत नौ सीरीज खेल चुका है, लेकिन हर सीरीज में भारत के खिलाड़ी बदलते रहे। अफ्रीका दौरे में रवींद्र जडेजा और रोहित शर्मा नहीं थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ बुमराह को आराम दिया गया। श्रीलंका के खिलाफ पुजारा रहाणे को बाहर कर दिया। इस दौरान हार्दिक लगातार टीम से बाहर थे। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोहित-विराट नहीं थे। आयरलैंड में पूरी युवा टीम गई फिर इंग्लैंड के खिलाफ मैच में भी रोहित नहीं खेले। 
अब वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे टीम में भी कोई सीनियर खिलाड़ी टीम में नहीं है। 35 साल के रोहित शर्मा तीनों फॉर्मेट में भारत के कप्तान हैं, लेकिन इस साल वो विदेशी जमीन पर कोई मैच नहीं खेल पाए हैं। व्यस्त शेड्यूल के चलते विराट कोहली के साथ ऋषभ पंत और जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों को भी आराम देना पड़ रहा है। इस तरह से हर सीरीज में टीम बदल रही है, लेकिन बीसीसीआई दो अलग कप्तान और दो अलग टीमों के पक्ष में नहीं है। 
दो अलग टीमें क्यों जरूरी?
टी20 लीग आने से क्रिकेट का शेड्यूल लगातार व्यस्त होता जा रहा है। आईपीएल के मैच बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए कम समय बचता है। इस वजह से टीम इंडिया को कम समय अंतराल में मैच खेलने पड़ रहे हैं। ऐसे में खिलाड़ियों को आराम देना जरूरी है तभी उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। हर सीरीज में कुछ खिलाड़ियों को आराम देना पड़ता है और अलग टीम के साथ संयोजन बनाने में कप्तान कोच सभी को परेशानी होती है। लगातार मैच न खेलने से खिलाड़ी अपनी फॉर्म भी नहीं बरकरार रख पाते हैं। इसी वजह से भारत को हार का सामना करना पड़ा है। 
वहीं, अगल टीम रखने से खिलाड़ी अपने खेल को प्रारूप के हिसाब से ढाल लेते हैं। इंग्लैंड में टी20 और टेस्ट की टीम लगभग अलग है। टीम के गेंदबाजों से लेकर बल्लेबाजों तक अधिकतर खिलाड़ी अपने फॉर्मेट के हिसाब से खुद को ढाल चुके हैं। इसका फायदा यह होता है कि जल्दी मैच होने पर भी खिलाड़ी, ज्यादा नहीं थकते क्योंकि उन्हें एक या दो फॉर्मेट ही खेलने हैं। कुछ चुनिंदा खिलाड़ी दो या तीनों फॉर्मेट खेलते हैं और उनके न रहने पर भी बाकी टीम पहले की जैसी रहती है। इसी का फायदा इंग्लैंड को मिल रहा है।  

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