अर्श से फर्श पर लौटती टीम इंडिया

द वाल राहुल द्रविड़ पर उठ रहे सवाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
टीम इंडिया अर्श से फर्श पर लौट रही है। मुख्य प्रशिक्षक राहुल द्रविड़ भारतीय खिलाड़ियों में जोश और समझ नहीं पैदा कर पा रहे लिहाजा टीम लगातार हार रही है। हम छोटे स्कोर नहीं बल्कि बड़े स्कोरों का भी बचाव करने में असफल हो रहे हैं। सोचिए टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री होते और भारत को इंग्लैंड में ऐसी ही शर्मनाक हार मिलती जैसे मंगलवार को मिली तो क्या होता? सोशल मीडिया पर शास्त्री जमकर ट्रोल हो रहे होते। कहा जाता कि शराब और पार्टी कल्चर को प्रमोट करने वाले को कोचिंग का काम दोगे तो कैसे भारत को जीत मिलेगी, लेकिन आज शास्त्री टीम के कोच नहीं हैं। राहुल द्रविड़ हैं। तो क्या टीम इंडिया को मिली हार का ठीकरा राहुल द्रविड़ के सिर पर वैसे ही फोड़ा जाएगा?
एक साल पहले जब शास्त्री कोच थे और भारतीय टीम इंग्लैंड गई थी तो चार टेस्ट मैचों के बाद वह 2-1 से आगे थी। अगर कोरोना ने भारतीय टीम पर अटैक नहीं किया होता तो शायद हम सीरीज भी जीत जाते। 10 महीने बाद द्रविड़ टीम के कोच थे और हमने इंग्लैंड में 15 साल बाद टेस्ट सीरीज जीतने का मौका गंवा दिया। यह द्रविड़ के कोच बनने के बाद भारतीय टीम की पहली नाकामयाबी नहीं है।  
द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया को पहला झटका साउथ अफ्रीका दौरे पर लगा में लगा था। अफ्रीकी दौरे पर गई टीम इंडिया काफी मजबूत थी वहीं, साउथ अफ्रीकी टीम को वहां की अब तक की सबसे कमजोर टीम माना जा रहा था। टेस्ट सीरीज की शुरुआत हमारे लिए शानदार रही। भारत ने सेंचुरियन में खेले गए पहले मुकाबले में जीत हासिल की। यह पहला मौका था जब सेंचुरियन में किसी एशियाई टीम ने टेस्ट मैच जीता था। साथ ही साउथ अफ्रीका की टीम ने इस ग्राउंड पर 2014 के बाद पहली बार कोई टेस्ट मैच हारा था। इसके बावजूद साउथ अफ्रीका ने वापसी की और अगले दोनों मैच जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली। इसी सीरीज के बाद विराट कोहली ने टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने का ऐलान किया।
टेस्ट सीरीज में द्रविड़ की कोचिंग काफी औसत दर्जे की नजर आई। टीम मैनेजमेंट के कुछ ऐसे फैसले थे जो किसी को समझ ही नहीं आए। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे लगातार फ्लॉप हो रहे थे, लेकिन उन्हें टीम में मौके मिल रहे थे। पूरी टीम मैच पर फोकस करने से ज्यादा विपक्षी टीम से लड़ने पर ज्यादा ध्यान दे रही थी।
ये हार टीम इंडिया को तब मिली जब इससे ठीक पहले रवि शास्त्री की कोचिंग में भारत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों को उन्हीं के घर में हराया था। द्रविड़ की कोचिंग में हार का सिलसिला यहीं नहीं रुका। साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में भी भारत को हार मिली। तीन मैचों की सीरीज में एक भी मुकाबला भारतीय टीम नहीं जीत पाई।
द्रविड़ की कोचिंग में भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका जैसी टीमों के खिलाफ अपने घर में अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन, आईपीएल के ठीक बाद भारत ने टी-20 सीरीज खेलने आई साउथ अफ्रीका की टीम ने हमें फिर परेशान कर दिया। साउथ अफ्रीका ने शुरुआती दो मुकाबले जीत लिए। भारतीय टीम इसके बाद किसी तरह सीरीज ड्रॉ भर करा पाई। इस दौरे के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड गई और वहां क्या हुआ हम सब जानते हैं।
बर्मिंघम टेस्ट में टीम इंडिया की ओर से गई गलतियां हुईं। जॉनी बेयरस्टो और जो रूट जब बल्लेबाजी कर रहे थे तब टीम इंडिया की फील्ड प्लेसमेंट समझ से परे नजर आई। इसके बावजूद एक तरफ जहां इंग्लैंड के कोच ब्रेंडम मैकुलम ड्रेसिंग रूम से लगातार अच्छा खेलने के लिए इशारा कर रहे थे तो वहीं, राहुल द्रविड़ और उनकी टीम मैनेजमेंट सुस्त बैठी हुई थी।
स्लिप में फील्डिंग करने वाले चेतेश्वर पुजारा की उंगली पर चोट लगी तो उनके स्थान पर हनुमा विहारी को स्लिप में खड़ा कर दिया गया। विहारी स्लिप के स्पेशलिस्ट फील्डर नहीं हैं। बेयरस्टो का हाथ में आया कैच टपकाकर उन्होंने इसका सबूत भी दिया। शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी स्लिप में अच्छी फील्डिंग करते हैं। इन दोनों ने इसी मैच में स्लिप पर तैनाती भी दी। इसके बावजूद इनकी जगह विहारी को तैनात किया गया था।
इसके साथ ही जब भारतीय बॉलर गेंदबाजी कर रहे थे तो फील्ड को पूरी तरह से खोल दिया गया था। बल्लेबाज रन पर रन बनाए जा रहे थे और टीम इंडिया के हाथ से मैच जा रहा था। तीन दिन तक मैच में बढ़त लेने के बावजूद भारत को हार का सामना करना पड़ा और कोच द्रविड़ मूक दर्शक बने रहे।
शास्त्री की कोचिंग में विदेशी दौरे पर टीम का प्रदर्शन रहा शानदार
रवि शास्त्री और विराट दौर में टेस्ट में विदेशी धरती पर टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किए हैं। ऑस्ट्रेलिया को हराकर सीरीज पर कब्जा जमाया। वहीं, इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-1 से आगे रही। वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में भी टीम पहुंची।
43 टेस्ट में से 25 में जीत
रवि शास्त्री की कोचिंग में भारतीय टीम ने 43 टेस्ट में से 25 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की है। सक्सेस रेट 60% से ऊपर का रहा है। वहीं, वनडे में 76 में से 51 में जीत मिली। सक्सेस रेट 67% रहा। इसी तरह टी-20 में भारत को 60 में से 40 मैचों में जीत मिली। 66% सक्सेस रेट है।

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