खिलाड़ियों की सफलता में अभिभावकों की बड़ी भूमिकाः मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में किया रिकॉर्डों का बखान
कहा- खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कई प्रतिभाएं उभरकर सामने आईं
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात के 90वें संस्करण में जो भी कहा वह सौ फीसदी सच है। उन्होंने खिलाड़ियों की सफलता में सरकार को श्रेय देने की बजाय उनके माता-पिता को दिया। भारत की खेलों में जो तस्वीर बदल रही है उसके पीछे उन अभिभावकों का हाथ है जोकि तरह-तरह की तकलीफें उठान के बाद भी अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारों की जहां तक बात है वे तो सफलता के बाद खिलाड़ियों की बलैयां लेती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 90वें संस्करण में देश के युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन और उनके रिकॉर्ड की चर्चा की। उन्होंने कहा कि खेल जगत में इन युवा खिलाड़ियों के बेहतरीन खेल की वजह से भारत का दबदबा बना है। ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा, क्रिकेट मिताली राज, वेटलिफ्टर एम मार्टिना देवी और काजोल, साइकलिंग आदिल अल्ताफ व पर्वातारोही पूर्णा जैसे खिलाड़ियों के प्रदर्शन से भारत की नई पहचान बन रही है। इनकी सफलता में इन खिलाड़ियों के परिजनों व उनके माता-पिता की भी बड़ी भूमिका रही है।
नीरज नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं
‘मन की बात’ के 90वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा फिर से सुर्खियों में छाए हैं। ओलंपिक के बाद भी वह एक के बाद एक सफलता के नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। फिनलैंड में नीरज ने पावो नुरमी गेम्स में सिल्वर जीता। यही नहीं, उन्होंने अपने ही जैवेलिन थ्रो के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। कुओर्टेन गेम्स में उन्होंने एक बार फिर गोल्ड जीतकर देश का गौरव बढ़ाया। यह गोल्ड उन्होंने ऐसे हालातों में जीता जब वहां का मौसम भी बहुत खराब था। यही हौसला आज के युवा की पहचान है।
स्टार्टअप्स से स्पोर्ट्स वर्ल्ड तक युवा बना रहे नए-नए रिकॉर्ड
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स से लेकर स्पोर्ट्स वर्ल्ड तक भारत के युवा नए-नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। अभी हाल में ही आयोजित हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी हमारे खिलाड़ियों ने कई रिकॉर्ड बनाए। इन खेलों में 12 रिकॉर्ड टूटे हैं। इतना ही नहीं, 11 रिकॉर्ड महिला खिलाड़ियों के नाम दर्ज हुए हैं। मणिपुर की एम मार्टिना देवी ने वेटलिफ्टिंग में आठ रिकॉर्ड बनाए हैं। इसी तरह संजना, सोनाक्षी और भावना ने भी अलग-अलग रिकॉर्ड बनाए हैं। अपनी मेहनत से इन खिलाड़ियों ने बता दिया है कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय खेलों में भारत की साख कितनी बढ़ने वाली है। सभी खिलाड़ियों को बधाई देते हैं और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी देते हैं।
उन्होंने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स की एक और खास बात रही है। इस बार भी कई ऐसी प्रतिभाएं उभरकर सामने आई हैं, जो बहुत साधारण परिवारों से हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और सफलता के इस मुकाम तक पहुंचे हैं। इनकी सफलता में इनके परिवार और माता-पिता की भी बड़ी भूमिका है। खेल जगत में अब भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा बढ़ ही रहा है, साथ ही भारतीय खेलों की भी नई पहचान बन रही है। जैसे इस बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में ओलंपिक में शामिल होने वाली स्पर्धाओं के अलावा पांच स्वदेशी खेल भी शामिल हुए थे। ये पांच खेल हैं, गतका, थांग-ता, योगासन, कलरीपायट्टू और मलखंब। भारत में 28 जुलाई से शतरंज ओलंपियाड का आयोजन हो रहा है। इस बार, शतरंज ओलंपियाड में 180 से भी ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं।
पीएम ने कहा कि 70 किलोमीटर साइकलिंग में गोल्ड जीतने वाले श्रीनगर के आदिल अल्ताफ के पिता टेलरिंग का काम करते हैं लेकिन उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। आदिल ने अपने पिता और पूरे जम्मू-कश्मीर का सिर गर्व से ऊंचा किया है। वेट लिफ्टिंग में गोल्ड जीतने वाले चेन्नई के एल. धनुष के पिता भी एक साधारण कारपेंटर हैं। सांगली की बेटी काजोल सरगार के पिता चाय बेचने का काम करते हैं। काजोल अपने पिता के काम में हाथ भी बंटाती थीं और वेट लिफ्टिंग की प्रैक्टिस भी करती थीं। उनकी और उनके परिवार की ये मेहनत रंग लाई और काजोल ने वेट लिफ्टिंग में खूब वाहवाही बटोरी है। ठीक इसी प्रकार का करिश्मा रोहतक की तनु ने भी किया है। उनके पिता राजबीर सिंह रोहतक में एक स्कूल के बस ड्राइवर हैं और उन्होंने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतकर अपना और अपने परिवार का, अपने पापा का सपना सच करके दिखाया है।
उन्होंने कहा कि खेल और फिटनेस की हमारी चर्चा एक और नाम के बिना पूरी नहीं हो सकती है, यह नाम है तेलंगाना की पर्वतारोही पूर्णा मालावथ का। पूर्णा ने ‘सेवेन समिट्स चैलेंज’ को पूरा कर कामयाबी का एक और परचम लहराया है। सेवेन समिट्स चैलेंज यानी दुनिया की सात सबसे कठिन और ऊंची पहाड़ियों पर पर चढ़ने की चुनौती। पूर्णा ने अपने बुलंद हौसलों के साथ उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट देनाली’ की चढ़ाई पूरी कर देश को गौरवान्वित किया है। पूर्णा भारत की वह बेटी है जिसने महज 13 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर जीत हासिल करने का अद्भुत कारनामा कर दिखाया था।
पीएम ने क्रिकेटर मिताली राज का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मिताली ने इसी महीने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की है। इसने कई खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया है। वह महज एक असाधारण खिलाड़ी नहीं रही हैं बल्कि अनेक खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी रही हैं। वह मिताली को उनके भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं। 

 

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