मुम्बई को हराकर मध्य प्रदेश ने जीती रणजी ट्राफी

शुभम शर्मा फाइनल के तो सरफराज रहे प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ण खिलाड़ी
खेलपथ संवाद
बेंगलुरु।
जो काम 1998-99 में मध्यप्रदेश की टीम चंद्रकांत पंडित की कप्तानी में नहीं कर सकी वह काम आदित्य श्रीवास्तव की जांबाज टीम ने रविवार को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में कर दिखाया। इस विजय में टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ मुख्य प्रशिक्षक चंद्रकांत पंडित का अहम किरदार है। मध्यप्रदेश की जहाँ तक बात है उसकी टीम ने 87 साल के रणजी ट्राफी इतिहास में ओवरआल 12वीं बार प्रवेश किया और उसका यह पांचवां खिताब है। 
पहले मध्यप्रदेश टीम होल्कर नाम से खेलती थी और उसने 10 बार खिताबी दौर में जगह बनाते हुए चार बार खिताब जीता था। होल्कर टीम ने अंतिम बार 1952-53 में बंगाल को हराकर खिताब जीता था। उसके बाद वह दो बार और फाइनल में पहुंची लेकिन 1953-54 में बाम्बे तो 1954-55 में मद्रास से पराजय का सामना करना पड़ा। मुम्बई टीम सबसे अधिक 47 बार फाइनल में पहुंची और 41 खिताब अपने नाम किए। इस खिताब को आठ बार कर्नाटक (मैसूर) ने तो सात बार दिल्ली ने जीता है। 5-5 बार यह ट्राफी बड़ौदा और मध्यप्रदेश (होल्कर) के नाम रही। मुम्बई और मध्यप्रदेश के मुकाबले में शुभम शर्मा को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया तो मुम्बई के सरफराज खान टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे।
मध्य प्रदेश ने रविवार को मुंबई को एकतरफा फाइनल में छह विकेट से हराकर कई मिथक तोड़ दिए। कोच चंद्रकांत पंडित ने इसी मैदान पर 23 साल पहले रणजी ट्रॉफी का खिताबी मुकाबला गंवाया था, लेकिन इस बार वह चैम्पियन टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे। मैच के अंतिम दिन मुंबई की टीम दूसरी पारी में 269 रन पर सिमट गई। मध्य प्रदेश को 108 रन का लक्ष्य मिला, जिसे टीम ने चार विकेट गंवाकर हासिल कर लिया। सत्र में 1000 रन बनाने से सिर्फ 18 रन दूर रहे सरफराज खान (45) और सुवेद पार्कर (51) ने मुंबई को हार से बचाने का प्रयास किया, लेकिन कुमार कार्तिकेय (98 रन पर चार विकेट) की अगुआई में गेंदबाजों ने मध्य प्रदेश की जीत सुनिश्चित की। कोच के रूप में चंद्रकांत पंडित का यह रिकॉर्ड छठा राष्ट्रीय खिताब है। लक्ष्य का पीछा करते हुए मध्य प्रदेश ने हिमांशु मंत्री (37), शुभमन शर्मा (30) और रजत पाटीदार (नाबाद 30) की पारियों की बदौलत 29.5 ओवर में 108 रन बनाकर जीत दर्ज की।

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