खेल मंत्रालय ने खेल संगठनों पर कसा शिकंजा

आजीवन सदस्य अस्वीकार, स्पोर्ट्स कोड करें लागू
46 खेल संघों को मंत्रालय ने दी है अब तक मान्यता
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद खेल मंत्रालय राष्ट्रीय खेल संघों पर सख्त हो गया है। मंत्रालय ने 46 खेल संघों के पदाधिकारियों को बुलाकर साफ कर दिया है कि उनका संविधान पूरी तरह स्पोर्ट्स कोड के अनुसार होना चाहिए। इसके लिए मंत्रालय ने खेल संघों को 30 जून तक की मोहलत दी है।
मंत्रालय की ओर से इस बैठक के जरिए खेल संघों को संदेश दे दिया गया है कि अगर 30 जून तक वे स्पोर्ट्स कोड का पालन नहीं करेंगे तो उनकी मान्यता जा सकती है। मंत्रालय ने खेल संघों को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी खेल संघ में आजीवन अध्यक्ष और आजीवन सदस्य स्वीकार नहीं होगा। यही नहीं किसी भी खेल संघ का पदाधिकारी सीईओ के पद पर भी नहीं रह सकेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1975 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य असलम शेर खान की याचिका पर नरेंद्र बत्रा की आजीवन सदस्यता को अयोग्य ठहराते हुए हॉकी इंडिया में प्रशासकों की समिति (सीओए) की तैनाती कर दी थी। इसके बाद मंत्रालय ने खेल संघों को बुलाकर अदालत के आदेश का पालन करने को कहा। मंत्रालय ने इस वर्ष अब तक 46 खेल संघों को ही मान्यता प्रदान की है। उसने इन्हीं खेल संघों को आमंत्रित भी किया। फुटबॉल, हॉकी, टेबल टेनिस, जूडो जैसे खेल संघों में प्रशासक तैनात होने या उनकी मान्यता रद्द होने के चलते मंत्रालय ने उन्हें बैठक में नहीं बुलाया।
राज्य संघ भी लाए जाएंगे स्पोर्ट्स कोड के दायरे में
मंत्रालय ने खेल संघों को अप्रत्यक्ष रूप से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राज्य संघ भी स्पोर्ट्स कोड के दायरे में आएंगे। मंत्रालय ने खेल संघों से अपने राज्य संघों का सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने को कहा है। ऐसा करने से राज्य संघ भी स्पोर्ट्स कोड के तहत आने के लिए बाध्य हो सकते हैं। मंत्रालय ने खेल संघों से कहा कि वे अपनी कार्यकारिणी में 25 प्रतिशत खिलाड़ियों को शामिल करें। तीरंदाजी संघ पर अदालत की ओर से दिए गए आदेश के अनुसार ये खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी होने चाहिए।

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