जिम्नास्ट आशीष को न्याय मांगना पड़ा महंगा

अर्जुन अवार्डी को अभ्यास शिविर से किया बाहर
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
जिम्नास्टिक में देश को पहली बार राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में पदक दिलाने वाले प्रयागराज के आशीष कुमार को चयन में पक्षपात के खिलाफ आवाज उठाना भारी पड़ गया है। खेल मंत्रालय से लेकर साई तक ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया उल्टे भारतीय जिम्नास्टिक महासंघ (जीएफआई) ने इंदिरा गांधी स्टेडियम में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों के लिए शुरू किए गए शिविर से ही बाहर कर दिया है। 2010 के एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में आशीष ने रजत और दो कांस्य जीते थे।
अर्जुन अवार्डी आशीष ने बीते दिनों ट्रायल में हुए पक्षपात  के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने खेल मंत्रालय और जीएफआई को लिखे गए पत्र में अपील की थी कि ट्रायल में जो जिम्नास्ट सातवें स्थान पर रहा है। उसे मुख्य टीम में शामिल किया गया है, जबकि उन्हें रिजर्व में जगह दी गई है। उन्होंने मंत्रालय और संघ से ट्रायल में कराई गई वीडियो रिकॉर्डिंग की निष्पक्ष जजिंग कराने की मांग की थी, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। जीएफआई ने बीते दिनों 16 जिम्नास्टों का राष्ट्रीय शिविर लगाने की घोषणा की कि जिसमें आशीष का नाम नहीं था।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अब तक चयन नहीं हुआ है। आशीष इन खेलों के लिए चयन प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं। सूत्र बताते हैं कि योजना बनाई जा रही है कि राष्ट्रमंडल खेलों केलिए टीम के चयन ट्रायल उन्हीं जिम्नास्टों के बीच कराया जाए जो शिविर में शामिल हैं। अगर ऐसा हुआ तो आशीष शिविर में नहीं होने के कारण राष्ट्रमंडल खेलों के लिए चयन का हिस्सा नहीं बन पाएंगे।

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