खेल संहिता का अनुपालन करना सभी संगठनों के लिए जरूरी

अदालत ने आजीवन अध्यक्ष व सदस्य के पदों को खारिज किया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
हॉकी इंडिया में खेल संहिता का उल्लंघन कर सृजित किए गए आजीवन अध्यक्ष व सदस्य के पदों को खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी व न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा की पीठ ने कहा कि भारत सरकार उस राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) को मान्यता नहीं दे सकती जिनका संविधान खेल संहिता के अनुरूप नहीं है। एनएसएफ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य के पद के साथ ही प्रबंध समिति के पद अवैध हैं।
पूर्व हॉकी दिग्गज असलम शेर खान की याचिका पर पीठ ने अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने का निर्देश देते हुए हॉकी इंडिया के प्रतिदिन के मामलों को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल आर. दवे, पूर्व निर्वाचन आयोग अध्यक्ष एसवाई कुरैशी और खिलाड़ी जफर इकबाल की तीन सदस्यों की प्रशासकों की समिति (सीओए) गठित की। पीठ ने निर्देश दिया कि खेल संहिता के तहत चुनाव सम्पन्न होने तक सीओए हॉकी इंडिया के संचालन के लिए सभी उचित व्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र होगा।
पीठ ने कहा कि खेल संहिता अनुपालन करना सभी एनएसएफ के लिए बाध्यकारी है। पीठ ने यह भी कहा कि अगर इस तरह के अवैध कार्यालयों व पदों पर कोई खर्च किया गया है तो इसे हॉकी इंडिया के ऐसे सभी अधिकारियों और अध्यक्ष नरिंदर बत्रा से वसूल किया जाए। इतना ही नहीं, हॉकी इंडिया के किसी भी आजीवन अध्यक्ष व सदस्य ने उक्त पद के आधार पर राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पद ग्रहण किया है तो वह ऐसे कार्यालय या पद का आनंद लेना आगे जारी नहीं रखेगा। पीठ ने कहा कि खेल संहिता के तहत चुनाव के लिए जिनकी आयु सीमा समाप्त हो चुकी है, वे किसी भी कार्यकारी पद के लिए चुनाव लड़ने से स्वत: ही अयोग्य हो जाते हैं।

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