भारत के दो नामी एथलीट डोप टेस्ट में फेल

तीन साल का प्रतिबंध, राष्ट्रीय शिविर से भी निकाले गए
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
डोपिंग के खिलाफ भारत की मुहिम को बड़ा झटका लगा है। टोक्यो ओलम्पिक में ट्रैक और फील्ड में भाग लेने वाले दो भारतीय एथलीट डोप टेस्ट में फेल हो गए हैं। दोनों को राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर से बाहर कर दिया गया है और तीन साल का बैन भी लगाया गया है। हालांकि, इस मामले में अब तक आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं आई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन ने फजीहत से बचने के लिए ऐसा किया है। भारत का एक पुरुष और एक महिला एथलीट डोप टेस्ट में फेल हुआ है। 
डोपिंग के मामले में भारत रूस और इटली के बाद तीसरे नम्बर पर है। विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार डोपिंग के सबसे ज्यादा 167 मामले रूस में थे। इसके बाद इटली में 157 और भारत में 152 मामले पाए गए थे। भारत की जिस महिला एथलीट की डोपिंग रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वह राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा थी और उससे इस साल कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में मेडल की उम्मीद थी। यह एथलीट विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के फाइनल में भी पहुंचने की दावेदार थी। इस खिलाड़ी के शानदार प्रदर्शन के चलते देश को इससे पदक की उम्मीद थी। इसके लिए टोक्यो ओलम्पिक के बाद एक विदेशी कोच भी रखा गया था। 
पुरुष एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए पदक जीत चुका है। उसकी हालिया फॉर्म कुछ खास नहीं थी, लेकिन भविष्य में उससे पदक की की उम्मीद थी। दोनों ही एथलीट भारत की ओलम्पिक पोडियम स्कीम का हिस्सा थे। इस स्कीम के तहत खिलाड़ियों को खेल मंत्रालय की तरफ से अलग-अलग समय पर पैसे दिए जाते हैं। 
घरेलू खिलाड़ियों में भी डोपिंग का साया
घरेलू स्तर में भी अंडर-23 में 100 मीटर दौड़ में पदक जीतने वाली एक महिला खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में फेल हुई है। इस खिलाड़ी को भविष्य का सितारा माना जा रहा था। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाला एक पुरुष खिलाड़ी भी डोप टेस्ट में फेल हुआ है। डोप टेस्ट में फेल होने वाले खिलाड़ियों ने डोपिंग के नियमों के उल्लंघन की बात स्वीकार कर ली है और उन पर तीन साल का बैन लगाया गया है।
डोपिंग में तीसरे स्थान पर है भारत 
भारत दुनिया के उन देशों की सूची में बना हुआ है, जहां डोपिंग के सर्वाधिक मामले पाए गए हैं और 2019 में डोपिंगरोधी नियमों का उल्लंघन करने के मामलों के आधार पर वह तीसरे स्थान पर रहा। वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 में डोपिंगरोधी नियमों के उल्लंघन के 152 मामले (विश्व के कुल मामलों का 17 प्रतिशत) पाए गए, जिसमें डोपिंग के सर्वाधिक आरोपी बॉडी बिल्डिंग (57) में पाए गए।
डोपिंगरोधी नियमों का उल्लंघन करने वाले ओलंपिक खेलों में भारोत्तोलन 25 मामलों के साथ सबसे आगे है। उसके बाद एथलेटिक्स (20) और कुश्ती (10) का नंबर आता है। मुक्केबाजी और जूडो में चार-चार ऐसे मामले पाए गए। 4 क्रिकेटरों ने भी 2019 में डोपिंगरोधी नियमों का उल्लंघन किया था। भारत इस सूची में केवल रूस (167) और इटली (157) से पीछे है। ब्राजील (78) चौथे और ईरान (70) पांचवें स्थान पर है।
अंतरराष्ट्रीय डोपिंग रोधी नियमों का पालन नहीं करने के कारण रूस टोक्यो ओलम्पिक में अपनी राष्ट्रीय टीम को नहीं उतार पाया था और उसके खिलाड़ियों ने रूसी ओलम्पिक समिति के तहत हिस्सा लिया था। भारत 2018 में डोपिंगरोधी नियमों के उल्लंघन के मामलों चौथे, जबकि 2017 में सातवें स्थान पर था। भारत में 2017 में 57 जबकि 2018 में 107 मामले पाए गए थे। वह 2018 में रूस (144), इटली (132) और फ्रांस (114) के बाद चौथे स्थान पर था। उस रिपोर्ट में डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन करने वाले सर्वाधिक खिलाड़ी भारोत्तोलन (22) से थे, उसके बाद एथलेटिक्स (16) का नम्बर था।
2019 में वाडा ने दुनिया भर से कुल 278,047 सैंपल एकत्रित किए। इसमें से लगभग एक प्रतिशत 2701 सैम्पल में गड़बड़ी पाई गई। इसमें से 1535 सैम्पल प्रतिबंध के दायरे में पाए गए। ओलम्पक खेलों की बात करें तो सबसे अधिक 227 सैम्पल (18 फीसदी) एथलेटिक्स के फेल रहे। ओवरऑल बॉडी बिल्डिंग के सबसे अधिक 272 खिलाड़ी प्रतिबंधित हुए।

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