महिला क्रिकेट में होगा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

क्या पूरा होगा 2017 का अधूरा ख्वाब?
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इस साल वनडे विश्व कप का शानदार आगाज किया। टीम ने अपने पहले मैच में पाकिस्तान को 107 रन से करारी शिकस्त दी। भारतीय महिला क्रिकेटरों ने वो कर दिखाया, जो भारतीय पुरुष टीम पिछले साल टी-20 विश्व कप में नहीं कर पाई थी।
पुरुष टी-20 विश्व कप में पाकिस्तान ने भारत को इस टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार हराया था वहीं, महिलाओं ने दम दिखाते हुए पुरुषों का बदला लिया और जीत हासिल की। भारतीय महिला क्रिकेट टीम पिछले कुछ समय से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
भारतीय महिला टीम ने 2017 वनडे विश्व कप में भी जबरदस्त प्रदर्शन किया था और सबका दिल जीत लिया था। तब टीम राउंड रॉबिन फॉर्मेट में 10 में से सात मैच जीती थी। सेमीफाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हालांकि, फाइनल में टीम को इंग्लैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था और टीम खिताब से चूक गई थी। इसके बाद कप्तान मिताली राज, स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर समेत तमाम खिलाड़ी मैदान पर ही रोने लगी थीं। उसी अधूरे सपने को पूरा करने इस साल महिला टीम मैदान पर उतरी है।
मिताली राज
मिताली 2017 की तरह इस साल भी टीम इंडिया की कमान संभाल रही हैं।  में उतरते ही भारत की कप्तान मिताली राज ने एक खास रिकॉर्ड अपने नाम किया है। वो पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने छह वनडे विश्व कप खेले हैं। उनसे पहले भारत के सचिन तेंदुलकर और पाकिस्तान के जावेद मियांदाद ऐसा कर चुके हैं।
मिताली दो बार भारतीय टीम के लिए महिला विश्व कप का फाइनल खेल चुकी हैं, लेकिन अब तक अपनी टीम को विजेता नहीं बना पाई हैं। यह उनका आखिरी विश्व कप हो सकता है। ऐसे में वह अपने करियर का अंत एक विश्व कप ट्रॉफी के साथ करना चाहेंगी। मिताली को 2004 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
हरमनप्रीत कौर
भारतीय टीम की उपकप्तान हरमनप्रीत कौर एक ऑलराउंडर हैं। 2017 में उन्हें प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नवंबर 2018 में वह महिला टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में शतक लगाने वाली भारत की पहली महिला बनीं। ऐसा उन्होंने 2018 में न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था। इस साल विश्व कप में हरमनप्रीत से काफी उम्मीदें की जा रही हैं।
स्मृति मंधाना
यह बाएं हाथ की ओपनर अब तक टीम इंडिया के लिए कई बेहतरीन पारियां खेल चुकी हैं। वह 2021 में साल की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर चुनी गई थीं। वहीं, मंधाना 2018 में भी सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर और सर्वश्रेष्ठ महिला वनडे क्रिकेटर भी चुनी गई थीं। मंधाना दो बार यह अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। मंधाना ने 2021 में 22 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 38.86 की औसत से 855 रन बनाए थे। उनसे इस साल भी यही उम्मीद की जा रही है। पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन अर्धशतक लगा, उन्होंने यह साबित भी किया। 
झूलन गोस्वामी
झूलन इस विश्व कप में खेलने वालीं सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। वह जब टूर्नामेंट में खेलने उतरीं, तब उनकी उम्र 39 साल 94 दिन से ज्यादा थी। इस उम्र में भी वह काफी फिट दिखाई पड़ रही हैं। पाकिस्तान के खिलाफ झूलन बेहतरीन फॉर्म में दिखी थीं और दो विकेट भी लिए थे। वह महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज हैं। 196 वनडे मैचों में झूलन ने 245 विकेट लिए हैं। झूलन ने 2007 में सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर का अवॉर्ड भी जीता था। ऐसे में टीम इंडिया की सबसे अनुभवी खिलाड़ी पर इस बार वर्ल्ड कप घर लाने का दारोमदार होगा। झूलन मिताली राज से पहले भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं।
दीप्ति शर्मा
भारतीय टीम की दिग्गज ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा पर भी काफी दारोमदार है। पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में दीप्ति ने 40 बहुमूल्य रन बनाए थे और साथ ही एक विकेट भी लिया था। दीप्ति ने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी की थी। आगे भी टूर्नामेंट में उनसे यही हरफनमौला रोल निभाने की जिम्मेदारी होगी। दीप्ति ने 70 वनडे में 1760 रन बनाए हैं। इसके साथ ही 80 विकेट भी लिए हैं। 
पूजा वस्त्राकर
पूजा पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में प्लेयर ऑफ द मैच रही थीं। 114 रन पर छह विकेट गिरने के बाद पूजा ने ही टीम इंडिया की पारी संभाली थी। उन्होंने 67 रन बनाए थे, वह भी 100 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से। पूजा तेज गेंदबाजी भी करती हैं। हालांकि, पिछले मैच में वह चोट के कारण गेंदबाजी नहीं कर पाई थीं। मिताली को इस खिलाड़ी पर काफी भरोसा है और आगे पूजा इस उम्मीद पर खरा उतरना चाहेंगी।
स्नेह राणा
इस महिला वनडे विश्व कप में जिस एक खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वह हैं स्नेह राणा। 28 साल की इस खिलाड़ी ने अर्धशतकीय पारी खेलने के बाद दो विकेट भी चटकाए थे। तब उन्होंने नाबाद 53 रन बनाए थे। स्नेह राणा भले ही आज टीम का अहम हिस्सा हैं लेकिन उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली इस बेटी का करियर और जिंदगी उतार-चढाव से भरी रही है।स्नेह ने साल 2014 में भारत की तरफ से वनडे में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था, लेकिन कुछ समय बाद ही वह चोटिल होकर टीम से बाहर हो गईं। 2016 के बाद उन्हे टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और टीम इंडिया में मेहनत और प्रदर्शन के दम पर जोरदार वापसी की। वह न सिर्फ इस साल टीम इंडिया को जिताने के लिए, बल्कि अपने दिवंगत पिता के सपने को पूरा करने के लिए मैदान में उतरी हैं। 

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