पीवी सिंधू का गिरता आत्मविश्वास चिन्ता की बात

आखिर अपनी कमजोरियों से कैसे उबरेगी शटलर 
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
पीवी सिंधू ने दो साल से कोई खिताब नहीं जीता। पिछले साल सितम्बर से दिसम्बर तक नौ टूर्नामेंटों में उनका फॉर्म और विगत जनवरी में भारत में ओपनिंग शायद ही सराहना योग्य हो। अचानक से पीवी सिंधू बेहद साधारण लग रही हैं। खासकर पिछले साल बाली में इंडोनेशियाई मास्टर्स के सेमीफाइनल में छोटी-सी जापानी खिलाड़ी अकाने यामागुची से उनका हारना दुखद था। 
हालांकि सिंधू ने सैयद मोदी मेमोरियल में एकल खिताब जीता, पर बेहद खाली मैदान में। यामागुची ने वाकई सिंधू को ध्वस्त कर दिया। सिंधू पहले भी उसके साथ 19 बार खेल चुकी हैं, इसलिए उन्हें यामागुची के खेल को समझना चाहिए था। लगता है, वे दिन गए, जब सिंधू कोर्ट में कद्दावर खिलाड़ी लगती थीं। वह नियंत्रित आक्रामकता और मजबूत, चौड़े कंधों के साथ खतरनाक स्मैश खेलती थीं और आसानी से लम्बे पैरों से पूरे कोर्ट को कवर कर लेती थीं। 
वर्ष 2019 में जापान की नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल को याद कीजिए, जब सिंधू ने उसे एकतरफा मैच में हराया था। अपने स्मैश पर न सिर्फ उसका अचूक नियंत्रण था, बल्कि उसमें काफी विविधता भी देखी गई थी। आज अचानक वह बहुत कमजोर लगती हैं और पहले की तरह उनमें आत्मविश्वास भी नहीं है। तो क्या उनके खेल में कमजोरियां और खामियां हैं? 
ध्यान रहे कि उन्होंने कई वर्षों तक उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं और बेहद सहजता से बड़े खिताब जीते हैं। पिछले वर्ष और इस वर्ष के भी कुछ महीनों में महामारी ने औरों की तरह सिंधू के प्रशिक्षण को भी प्रभावित किया। तो इन कमजोरियों के बारे में क्या किया जाना चाहिए, ताकि वह मार्च की शुरुआत में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट से शुरू होने वाले बड़े आयोजनों से भरे इस बेहद व्यस्त वर्ष में अपने फॉर्म में लौट आएं? 
सोलह साल तक भारत के लिए खेलने और पांच साल तक राष्ट्रीय कोच होने के नाते मैं यहां कुछ सुझाव देने की कोशिश कर रहा हूं। सिंधू चूंकि लम्बी हैं, ऐसे में, अपने शरीर की तरफ तेजी से आने वाले स्ट्रोक से निपटने में छोटे कद की खिलाड़ियों की तुलना में वह हमेशा कमजोर रहेंगी। लम्बी भुजाओं को शटल के पीछे जाने में एक सेकंड अधिक समय लगता है। 
लेकिन लम्बी पहुंच वाले लम्बे खिलाड़ी तब बेहतर स्ट्रोक खेलेंगे, जब शटल उनके चारों ओर आ रही होगी, क्योंकि वे बाहर की ओर पहुंच सकते हैं। इसी तरह छोटे खिलाड़ी बॉडी शॉट और नेट शॉट बेहतर खेलेंगे। उन्हें जगह की उतनी तंगी नहीं होगी। इसलिए सिंधू को कैरोलिना मारिन जैसी तेज गति वाली खिलाड़ियों से हमेशा ही खतरा रहेगा, जो फास्ट क्रॉस कोर्ट स्ट्रोक भी खेलती हैं। और ताई जैसा भ्रामक स्ट्रोक खेलने वाली खिलाड़ी हमेशा भारतीय शटलर क्वीन के लिए समस्याएं पैदा करेंगी। लम्बा खिलाड़ी तेजी से संतुलन खो देता है और तालमेल बिठाने में ज्यादा समय लेता है। इसलिए भ्रामक और लगातार बॉडी लाइन स्ट्रोक खेलना सिंधू के लिए समस्याएं पैदा करेगा। पिछले साल एक और चीज देखने में आई। सिंधू डेनमार्क ओपन में कोरियाई किशोरी अहन से यंग से 11-21/13-21 से हार गईं। 
यंग ने कोर्ट में तब सिंधू को दौड़ा-दौड़ाकर परेशान किया था। यंग तेज रक्षात्मक खेल खेल रही थी और उनके पास सिंधू के हर स्ट्रोक का जवाब था। वैसे में सिंधू निराश हो गईं और उन्होंने घुटने टेक दिए। यह भी सिंधू की एक नई समस्या है। इन तीनों समस्याओं से उबरने के लिए सिंधू को काफी वॉल प्रैक्टिस करनी पड़ेगी। इससे उनकी सजगता में सुधार होगा और वह नियंत्रित ड्राइव शॉट्स के साथ खेलना सीखेंगी। ऐसे ही, डबल्स में काफी रक्षात्मक खेलने से उन्हें फिर से बहुत मदद मिलेगी। 
सिंधू दो आक्रामक खिलाड़ियों के खिलाफ बॉडी लाइन डिफेंस का काफी अभ्यास कर सकती हैं, एक बेस लाइन पर और दूसरा नेट के पास। यहां, दोनों मिलकर उसके शरीर पर बार-बार प्रहार करेंगे, जबकि वह समानांतर नेट रिटर्न द्वारा स्मैश का मुकाबला करके हमले को कुंद करने की कोशिश करेंगी। बहुत तेज गति वाला अभ्यास उन्हें लम्बी पारियों में देखी गई कमजोरियों से निजात दिलाएगा। सिंधू को प्रतिपक्षी खिलाड़ी को चकमा देने की कला भी विकसित करनी होगी। वह इसके उस्ताद प्रकाश पादुकोण से सम्पर्क कर सकती हैं। (-पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच।)

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