साकिबुल सात साल की उम्र से खेल रहे हैं क्रिकेट

बैट खरीदने के लिए मां ने गिरवी रखे थे अपने गहने
खेलपथ संवाद
मोतिहारी।
शुक्रवार को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में इतिहास रचने वाले साकिबुल की कहानी भी अजीब है। बेटे को क्रिकेटर बनाने और बल्ला खरीदने के लिए मां ने गहने तक गिरवी रख दिए थे। बिहार के मोतिहारी के लाल साकिबुल प्रथम श्रेणी क्रिकेट के पदार्पण मैच में तिहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए हैं। 
आज दुनिया भर में उनकी चर्चा है, लेकिन उनकी कामयाबी के पीछे एक लंबा संघर्ष रहा है। बिहार के इस क्रिकेटर के पास कभी बैट खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। तब मां ने अपने गहने गिरवी रख कर बेटे को बैट दिलाया था। साकिबुल के बड़े भाई फैजल गनी ने बताया कि एक अच्छे बैट की कीमत 30 से 35 हजार रुपए थी। एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए इसे खरीद पाना एक सपने जैसा था, लेकिन मां-पिताजी ने पैसे को कभी भाई के क्रिकेट में बाधा नहीं बनने दिया। जब भी आर्थिक समस्या आती तो मां अपना गहना तक गिरवी रख देती थीं। साकिबुल जब रणजी ट्रॉफी खेलने जा रहे थे, तब मां ने उन्हें तीन बैट दिए और बोलीं- जाओ बेटा तीन शतक लगा कर आना और उसने एक ही मैच में यह कर दिखाया।
साकिबुल गनी के पिता मोहम्मद मन्नान जन वितरक प्रणाली के तहत डीलर का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उसे बचपन से ही क्रिकेट को लेकर दीवानगी थी। सात साल का था तभी से अपने बड़े भाई फैजल गनी के साथ गांधी मैदान में खेलने जाता था। साकिबुल गनी चार भाई हैं। चारों भाइयों में वो सबसे छोटे हैं। इनके बड़े भाई फैजल गनी भी फास्ट बॉलर हैं। साकिबुल बिहार अंडर-23, मुश्ताक अली (20-20) क्रिकेट टूर्नामेंट और विजय हजारे (50-50) ट्रॉफी में भी अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं। बिहार अंडर-23 के लिए 306, 281 और 147 रन की पारी के बूते अलग छाप छोड़ी थी। वहीं विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार के लिए 113 व 94 रन और मुश्ताक अली में भी एक अर्धशतकीय पारी खेली थी। इसके अलावा कई मौकों पर गेंदबाजी में भी उन्होंने अपना दम दिखाया है।
जिला क्रिकेट एसोसिएशन के ज्ञानेश्वर गौतम ने बताया कि शुरू से ही साकिबुल शानदार व हरफनमौला खिलाड़ी रहा है। उसने अपने खेल में लगातार निखार लाते हुए पिछले दो-तीन सत्र से बीसीसीआई की ओर से आयोजित टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। साकिबुल की इस उपलब्धि पर आज पूरा बिहार गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

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