राष्ट्रीय क्षितिज पर फिटनेस क्वीन अंतिका प्रकाश का जलवा

किसान की बेटी के जुनून को खेलपथ का सलाम

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। कुछ लोगों में प्रतिभा जन्मजात होती है, तो कुछ अपनी कड़ी मेहनत और मशक्कत से नया मुकाम हासिल करते हैं। कुछ ऐसी ही हैं मऊ के एक किसान परिवार में जन्मी अंतिका प्रकाश। घर-परिवार की जवाबदेही का निष्ठा से पालन करती हुए फिटनेस क्वीन अंतिका अपने नाम को सार्थक करते हुए योग और फिटनेस के क्षेत्र में राष्ट्रीय क्षितिज पर अपना प्रकाश फैला रही है।  

11 नवम्बर, 1992 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के छोटे से गांव मुंगेसर में ओम प्रकाश-ऊषा राय के घर जन्मी अंतिका प्रकाश राय के दिलोदिमाग में अब सिर्फ और सिर्फ स्वस्थ भारत की धुन सवार है। अब तक राष्ट्रीय क्षितिज पर जिम्नास्टिक, योगा, एरोबिक्स एण्ड जुम्बा में अनगिनत कामयाबियां हासिल कर चुकी अंतिका योग और जिम्नास्टिक को गांव-गांव तक लोकप्रिय बनाने के साथ ही खेल खेल में देशवासियों को फिट और हिट रहने का संदेश दे रही हैं।

किसान की बेटी अंतिका प्रकाश राय के चार बहनें और एक भाई है। अंतिका की बड़ी बहन प्रियंका नेशनल एथलीट रही हैं। प्रियंका ने 100 मीटर दौड़ और लम्बीकूद में उत्तर प्रदेश के लिए पदक भी जीते लेकिन आज वह देश की ख्यातिनाम वीर रस की कवयित्री हैं। अंतिका की दो और बहनें मुद्रिका और प्रमदा बतौर प्राध्यापक महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा की अलख जगा रही हैं। बहन प्रज्ञा और भाई चंद्र प्रकाश को अपनी बहनों पर गर्व है। अंतिका को बचपन से ही खेलों से लगाव रहा है। मुंगेसर गांव की इस बेटी को बचपन में जहां पर्याप्त सुविधाएं मयस्सर नहीं थीं वहीं उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में खेल संस्कृति का भी बेहद अभाव रहा है। अंतिका के माता-पिता भी अन्य अभिभावकों की तरह असमंजस में रहे कि बेटी को उच्च तालीम दिलाएं या फिर उसे जिम्नास्टिक में करियर बनाने दें। जिम्नास्ट का खानपान, तैयारी, प्रशिक्षण अन्य खेलों से कहीं अलग होता है।

जो भी हो परिणय बंधन में बंधने के बाद भी फिटनेस के प्रति इनका जुनून कम नहीं हुआ है। जहां समय मिला वहीं अंतिका अपने कर्तव्य का निर्वहन करने लगती हैं। अंतिका ने छोटे से गांव मुंगेसर के प्राइमरी स्कूल से पांचवीं तक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज गोरखपुर में दाखिला लिया। जिम्नास्ट बेटी ने यहां अपना खेल निखारने के साथ ही  हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। जिम्नास्टिक में अपना करियर बनाने को बेताब अंतिका ने इसके बाद के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम लखनऊ में दाखिला लिया और जिम्नास्टिक की बारीकियों को सीखने में दिन-रात एक कर दिया।

अंतिका ने पढ़ाई के साथ ही साथ जिला, राज्य और नेशनल स्तर तक की प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का शानदार आगाज करते हुए दर्जनों मेडल जीते और प्रदेशस्तर पर मऊ का नाम रोशन किया। इण्टर की परीक्षा पास करने के बाद इस जिम्नास्ट बेटी ने ग्वालियर के लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान से बी.पी.एड. और क्षत्रपति साहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय से एमपीएड की डिग्री हासिल की।

अंतिका एरोबिक्स में व्यक्तिगत के साथ-साथ टीम स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन कर एक हरफनमौला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल कर चुकी हैं। अंतिका ने एरोबिक्स की सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में भी कई पदक जीते हैं। अंतिका ने 2010 और 2011 में जेज डांस एण्ड फिटनेस वर्कशॉप में शिरकत कर एक इंसान स्वस्थ और फिट कैसे रह सकता है, इसकी जानकारी हासिल की है। खेल के साथ-साथ इस जिम्नास्ट बेटी को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षक के साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका निर्वहन का मौका भी मिल चुका है। अंतिका ने योग के क्षेत्र में भी बेशुमार उपलब्धियां और सम्मान हासिल किए हैं।

अंतिका का कहना है कि किसी भी व्यायाम के तुरंत बाद थकान महसूस होती है लेकिन लम्बे समय तक व्यायाम करने से शक्ति और बढ़ जाती है। नियमित व्यायाम से थकान अपने आप खत्म होती है। एरोबिक व्यायाम करने से मेमोरी लॉस और सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों के शिकार लोगों की याददाश्त में सुधार होता है तथा मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति और ऑक्सीजन का बेहतर इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ती है। अंतिका अब तक के अपने इस सफर को चुनौतीपूर्ण मानते हुए कहती हैं कि मैं एक किसान परिवार में जन्मी हूं। मैंने हर परिस्थिति को चुनौती के रूप में लिया है। गांव से यहां तक का सफर मेरे लिए सहज नहीं रहा है लेकिन मैंने सीखा है कि इंसान यदि ठान ले तो कोई काम कार्य असम्भव नहीं होता। मैं चाहती हूं कि हर बच्चा किसी न किसी खेल में जरूर शिरकत करे ताकि स्वस्थ भारत के सपने को साकार किया जा सके। 

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