पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में भ्रष्टाचार का बोलबाला

टीम कैसा भी खेले, अधिकारियों की तो मौज ही है!
इस्लामाबाद।
बीते एक दशक में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम अपनी पुरानी प्रतिष्ठा के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी है। लेकिन इससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। क्रिकेट संचालन के नाम पर वे तड़क-भड़क की जिंदगी गुजारते रहे हैं। बोर्ड के अधिकारियों ने इस दौरान ऊंची तनख्वाह और भत्ते वसूल किए हैं।
पिछले साल मार्च में एक वेबसाइट ने ये खुलासा किया था कि पीसीबी के अधिकारी मनमाना वेतन-भत्ता ले रहे हैं। तब उसकी जांच कराई गई। ये जांच रिपोर्ट पाकिस्तान की संसद- नेशनल असेंबली में पेश की गई। इससे वेबसाइट की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की पुष्टि हुई है। मसलन, रिपोर्ट से सामने आया कि पाकिस्तानी टीम के विदेशी फिजियोथेरापिस्ट क्लिफ डीकॉन को हर महीने 20 लाख रुपये की तनख्वाह दी जा रही है। जबकि हेड कोच सकलेन मुश्ताक हर महीने 13 लाख और मुख्य चयनकर्ता मोहम्मद वसीम दस लाख रुपये की सैलरी ले रहे हैं।
जांच समिति ने लिया खर्चों का हिसाब-किताब
इस मामले की जांच नेशनल असेंबली की एक स्थायी समिति ने की। जांच के दौरान पीसीबी के कुल खर्चों का हिसाब-किताब लिया गया। उनमें वित्तीय लेन-देन, विदेशी दौरों पर हुए खर्च और आम खर्च शामिल हैं। जांच से सामने आया कि पीसीबी के अधिकारी न सिर्फ ऊंची तनख्वाह लेते हैं, बल्कि वे अतिरिक्त भत्ते भी बोर्ड से वसूल करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड के मीडिया और कम्युनिकेशंस डायरेक्टर समी बर्नी और हाई-परफॉर्मेंस डायरेक्टर नदीम खान बोर्ड से हर महीने 13-13 लाख रुपये ले रहे हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट ऑपरेशंस के डायरेक्टर जाकिर खान साढ़े आठ लाख रुपए हर महीने लेते हैँ।
अधिकारी किस कदर अपनी सुविधा पर खर्च करते हैं, वह इससे जाहिर हुआ है कि पीसीबी ने 23 कारें रखी हुई हैं। ये कारें पीसीबी अधिकारियों को दी गई हैं। ये महंगी कारें जिन लोगों को मिली हैं, उनमें पीसीबी के अध्यक्ष रमीज राजा और सकलेन मुश्ताक भी हैं। उनके अलावा कई दूसरे अधिकारियों को भी महंगी कारें मुहैया कराई गई हैं। बताया जाता है कि जांच के दौरान पीसीबी ने यह जानकारी नहीं दी कि अपने मातहत कर्मचारियों को वह कितनी सैलरी देती है। साथ ही अधिकारियों की यात्राओं पर कितना खर्च हुआ, यह भी जानकारी उसने उपलब्ध नहीं कराई।
बोर्ड पर सरकार कस रही शिकंजा
पीसीबी की अक्सर शिकायत रही है कि आईसीसी पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रभाव के कारण उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से होने वाली आमदनी के एक बड़े हिस्से से महरूम रहना पड़ा है। 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के पाकिस्तान दौरे के समय टीम पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद लगभग एक दशक तक विदेशी टीमों ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया। इसका भी पीसीबी की आमदनी फर्क पड़ा। लेकिन ताजा जानकारियों से यह साफ हुआ है कि आमदनी घटने से बोर्ड के अधिकारियों की मौज पर कोई असर नहीं हुआ। बताया जाता है कि संसदीय समिति के सामने बोर्ड के कई बड़े पदाधिकारी पेश नहीं हुए। संसदीय समिति ने इसकी आलोचना की है। नेशनल असेंबली में रिपोर्ट पेश होने के बाद अब समझा जाता है कि बोर्ड पर सरकार का शिकंजा कस सकता है।

 

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