क्या टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका में तोड़ेगी मिथक

अफ्रीका की पिचें ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड से ज्यादा खतरनाक
बॉल तेज आती है, स्विंग और बाउंस भी होती है
नई दिल्ली।
टीम इंडिया टेस्ट और वनडे सीरीज खेलने के लिए साउथ अफ्रीका पहुंच चुकी है। 3 मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला 26 दिसंबर से शुरू होगा। ये सीरीज भारतीय टीम के लिए काफी अहम होने वाली है। साउथ अफ्रीका एकमात्र ऐसी टीम है जिसकी सरजमीं पर टीम इंडिया आज तक पिछले 29 सालों में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाई है। साउथ अफ्रीका की पिच स्विंग, गति और उछाल के लिए जानी जाती हैं। यहां टीम इंडिया के बल्लेबाज बहुत संघर्ष करते रहे हैं।
साउथ अफ्रीका की पिचें हमेशा से ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह रही हैं। इंग्लैंड में बॉल स्विंग और सीम करती है, जबकि ऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर अतिरिक्त बाउंस देखने को मिलता है। अफ्रीकी मैदानों पर गेंद स्विंग और सीम भी करती है और बाउंस भी अच्छा होता है। एक समय था, जब टीम इंडिया को घर का शेर कहा जाता था, लेकिन बीते कुछ सालों में टीम इंडिया ने ये दिखा दिया है कि वो घर से बाहर जाकर भी शानदार खेल दिखा सकते हैं। भारतीय टीम ने पिछले दो ऑस्ट्रेलियाई दौरों पर सीरीज जीतकर इतिहास रचा है। इंग्लैंड में भी इस साल टीम ने अपने प्रदर्शन से सभी को खासा प्रभावित किया।
टीम इंडिया अब सीम और उछाल वाली पिचों पर खेलने की आदी हो गई है और इसका फायदा साउथ अफ्रीका में भी देखने को मिल सकता है। टीम के गेंदबाज अफ्रीकी कंडीशन्स का बढ़िया फायदा उठा सकते हैं। 2020-21 के आस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने कुल 42 विकेट हासिल किए थे। इंग्लैंड दौरे पर भी 61 विकेट निकाले थे।
दक्षिण अफ्रीका में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में टॉप-5 विदेशी गेंदबाजों में 3 स्पिनर्स के नाम आते हैं। खास बात तो ये है कि ये तीनों ही नाम लेग स्पिनर्स के हैं। ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न ने जहां 61 विकेट हासिल किए, तो टीम इंडिया के अनिल कुंबले 45 और ऑस्ट्रेलिया के ही विक्टर ग्रिमेट ने 44 विकेट अपनी झोली में डाले।
भारतीय टीम की ओर से इस दौरे पर रविचंद्रन अश्विन मुख्य स्पिनर के तौर पर गए हैं। दूसरे स्पिन गेंदबाज के रूप में टीम के पास जयंत यादव मौजूद हैं और ये दोनों ही ऑफ स्पिनर्स हैं। अफ्रीकी मैदानों पर लेग स्पिनर्स के दमदार प्रदर्शन को देखते हुए टीम इंडिया को सीरीज में एक लेगी की कमी खल सकती है। साउथ अफ्रीका में अश्विन ने 3 टेस्ट खेले हैं और 46.14 की औसत के साथ सिर्फ 7 विकेट ले सके हैं।
साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में टॉप-20 में केवल एक गैर अफ्रीकी खिलाड़ी का नाम आता है। इंग्लैंड के वॉली हैमंड ने 15 मैचों में 1447 रन बनाए हैं। वहीं, टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर एकमात्र ऐसे भारतीय बैटर हैं जिन्होंने साउथ अफ्रीका की सरजमीं पर 1 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं। तेंदुलकर ने साउथ अफ्रीका में 15 टेस्ट मैच खेले हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 1161 रन निकले हैं। सचिन का नाम अफ्रीकी परिस्थितियों लीडिंन रन स्कोरर में 27वें नंबर पर आता है। हालांकि, मौजूदा भारतीय टीम में कैप्टन विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का अफ्रीकी मैदानों पर गजब का रिकॉर्ड रहा है। इस बार टीम इंडिया को हल्के में लेने में मेजबान टीम का भारी पड़ सकता है।

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