भारत में हर कोई जेवलिन थ्रोवर बनने को बेताब

नीरज चोपड़ा के गोल्ड ने बदली जेवलिन की किस्मत
एकेडमी से लेकर दुकानों तक हर जगह बढ़ी लोकप्रियता
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलम्पिक में जेवलिन (भाला फेंक) खेल में सोना जीतकर इस खेल की किस्मत बदल दी है। नीरज के सोना जीतने के बाद इस खेल की अहमियत बढ़ गई है और खेल के सामान की दुकानों से लेकर एकेडमी तक हर जगह जेवलिन की मांग बढ़ी है। अब दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम जैसे बड़े खेल संस्थानों में भी इस खेल को बढ़ावा दिया जा रहा है।यहां इस खेल से जुड़े नए लोगों की भर्ती हो रही है और खेल की दुकानों में भी भाले की मांग बढ़ गई है। फुटकर दुकानदार पहले की तुलना में ज्यादा मात्रा में भाले की मांग कर रहे हैं। ओलम्पिक में इस खेल में भाग लेने वाले एक खिलाड़ी ने बताया कि उसे रोजाना कम से कम आधा दर्जन मैसेज आ रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक टोक्यो ओलम्पिक में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद जमीनी स्तर पर इस खेल की लोकप्रियता बढ़ी है। अब भारत का एथलेटिक्स फेडरेशन भी इस खेल को बढ़ावा देने जा रहा है। 
एथलेटिक्स फेडरेशन ने कहा है अब हर साल सात अगस्त के दिन सभी राज्य सालाना भाला फेंक प्रतियोगिता का आयोजन करेंगे। सात अगस्त के दिन ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीता था। यह दूसरा मौका था, जब भारत के लिए किसी खिलाड़ी ने व्यक्तिगत पदक जीता था। वहीं ट्रैक और फील्ड में यह भारत का पहला ओलंपिक मेडल था। इसके अलावा फिनलैंड के साथ भी जैवलिन (भाला फेंक) को लेकर साझेदारी की बात चल रही है, जो कि इस खेल में सबसे आगे है। 
छत्रसाल स्टेडियम में जैवलिन के 40 नए छात्र
कुश्ती के अखाड़े के लिए प्रसिद्ध छत्रसाल स्टेडियम में 40 नए छात्रों ने जेवलिन सीखने के लिए एडमीशन लिया है। कोच रमन झा ने कहा "मैंने अपने 12 साल के करियर में कभी इस खेल के प्रति इतनी रुचि नहीं देखी है। दौड़ने वाले कुछ युवा लड़कों ने भी ओलम्पिक के बाद मुझसे जेवलिन में आने की इच्छा जाहिर की। मुझे रोजाना कई युवा एथलीट और उनके माता-पिता के फोन आते हैं। ये सभी लोग जेवलिन सीखने के लिए एडमीशन लेना चाहते हैं।" दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ट्रेनिंग देने वाले पूर्व एथलीट सुनील गोस्वामी ने कहा कि जेवलिन की लोकप्रियता सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है।
सुनील गोस्वामी ने कहा "मेरे कई दोस्त हैं जो देश भर में अलग-अलग जगहो पर कोचिंग देते हैं। उनका कहना है कि नीरज चोपड़ा के गोल्ड जीतने के बाद हर लड़का जेवलिन में अपना करियर बनाना चाहता है। शहर के बाहर के बच्चे मेरे पास आते हैं और जेवलिन सिखाने के लिए कहते हैं। ये सभी इससे पहले जिम्नास्ट, दौड़ और टेनिस जैसे खेल सीख रहे थे।"
खेल के सामान की दुकानों में भी इसका असर दिख रहा है। इंदौर में खेलों का सामान बनाने वाली एक कम्पनी अमेंटम स्पोर्ट्स के अनुसार अगस्त से लेकर अब तक भाले की मांग कम से कम तीन गुना बढ़ी है। खासकर 10,000 रुपये तक की कीमत वाले भालों की मांग में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इस कम्पनी से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया "ओलम्पिक के बाद चीजें काफी तेजी से बदली हैं। हमें पूरे देश से फोन आ रहे हैं। हमारे पास कई बेहतरीन भाले भी हैं, जिनकी कीमत 1 लाख रुपये से ज्यादा है। कई ग्राहक ऐसे भी हैं, जिन्होंने पहले सस्ता भाला खरीद लिया और अब महंगा भाला लेकर देखना चाहते हैं।" 

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