हॉकी के दो दिग्गज खिलाड़ियों का संन्यास

रुपिंदर के बाद लाकड़ा ने भी चौंकाया
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी और टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर पाल सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा ने चौंकाने वाला फैसला किया। रुपिंदर और लाकड़ा दोनों ने गुरुवार को तत्काल प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने के एलान किया।
भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी और टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर पाल सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा ने चौंकाने वाला फैसला किया। रुपिंदर और लाकड़ा दोनों ने गुरुवार को तत्काल प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने के एलान किया। सबसे पहले रुपिंदर ने ट्विटर पोस्ट के माध्यम से संन्यास का एलान किया और इसके घंटे भर बाद हॉकी इंडिया ने बीरेंद्र लाकड़ा के संन्यास की जानकारी दी। 
30 वर्षीय रुपिंदर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक भावुक पोस्ट साझा कर अपने संन्यास की जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ महीने मेरे जीवन के सबसे अच्छे दिन थे। टोक्यो में अपने साथियों के साथ पोडियम पर खड़ा होना मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल था और मैं उसे कभी नहीं भूल पाऊंगा।'
उन्होंने आगे लिखा, 'मेरा मानना है कि यह समय युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मौका देने का है, जिससे वह भी उस चीज का अनुभव कर पाएं जो मैंने पिछले 13 वर्षों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए महसूस किया है।'बता दें कि रुपिंदर का नाम भारत के सफल ड्रैग फ्लिकरों में शुमार है, उन्होंने 2008 में डेब्यू करने के बाद अपने करियर में भारत की तरफ से 223 मैचों में शिरकत किया और इस दौरान 119 गोल किए हैं।
टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के उप कप्तान रहे बीरेंद्र लाकड़ा ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया। ओडिशा के लाकड़ा ने 2009 यूथ ओलम्पिक फेस्टिवल में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद वह 2009 जूनियर वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंटों में भी खेले। उन्होंने 2010 में दक्षिण एशियाई खेलों से सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया था। इसके बाद वह कई ऐतिहासिक पलों का गवाह रहे।
दो बार के ओलम्पियन बीरेंद्र 2014 और 2018 एफआईएच वर्ल्ड कप समेत कई विश्वस्तरीय टूर्नामेंटों का हिस्सा रहे। हालांकि वह चोट की वजह से रियो ओलंपिक में भाग लेने से चूक गए थे लेकिन इसके बाद उन्होंने शानदार वापसी की और टीम में जगह बनाई। भारतीय डिफेंडर ने अपने करियर में 10 गोल किए लेकिन टीम की रक्षापंक्ति को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई।

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