खिलाड़ियों के चयन में उसकी योग्यता ही हो एकमात्र मानदंड

मनिका बत्रा बनाम टेबल टेनिस संघ पर केंद्र सरकार का पक्ष
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
मनिका बत्रा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को अपना पक्ष रखने को कहा था। इसके जवाब में आज केंद्र की तरफ से सॉलीसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। इसमें कहा गया, 'उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए और इससे किसी शिविर में भाग लेने, भाग नहीं लेने से कोई संबंध नहीं है, भारत अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को आगे भेजने से नहीं रोकेगा।'
स्टार महिला पैडलर (टेबल टेनिस खिलाड़ी) मनिका बत्रा और भारतीय टेबल टेनिस संघ के बीच का विवाद इन दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। मनिका को नेशनल कैंप में भाग नहीं लेने के कारण एशियाई टेबल टेनिस चैम्पियनशिप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। मनिका बत्रा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था। इसके जवाब में आज केंद्र की तरफ से सॉलीसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अपना पक्ष रखा। इसमें कहा गया, 'उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए और इससे किसी शिविर में भाग लेने, भाग नहीं लेने से कोई संबंध नहीं है, भारत अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को आगे भेजने से नहीं रोकेगा।' केंद्र के जवाब के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय टेबल टेनिस संघ के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें उसने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चुने जाने के लिए नेशनल कैंप में भाग लेना अनिवार्य किया था। 
गौरतलब है कि मनिका के वकील सचिन दत्ता ने याचिका में कहा है कि सारे मानदंड़ों पर खरी उतरने के बावजूद सिर्फ नेशनल कैंप में भाग नहीं लेने के कारण बत्रा को दोहा में सितम्बर-अक्टूबर में होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में खेलने का मौका नहीं दिया जा रहा। उन्होंने अदालत से इस नियम पर रोक लगाने की मांग की ताकि वह नवंबर में एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले सके। उन्होंने कहा, 'नवंबर में एक और टूर्नामेंट है। इस नियम पर रोक लगनी चाहिए। इससे उसका करियर खत्म हो जाएगा।' 
याचिका में एक और आरोप लगाया गया कि नेशनल कोच सौम्यदीप रॉय ने बत्रा पर एक मैच गंवाने का दबाव बनाया था ताकि उनकी निजी प्रशिक्षु ओलम्पिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर सके। बत्रा ने महासंघ के प्रबंधन की जांच का निर्देश भी खेल मंत्रालय को देने की मांग की है। हालांकि महासंघ ने तमाम आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नेशनल कोच शिविर में मौजूद ही नहीं है। कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट और खेल रत्न पुरस्कार विजेता बत्रा ने आरोप लगाया कि महासंघ की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और उनकी तरह खिलाड़ियों को निशाना बनाया जा रहा है जो खेलों और खिलाड़ियों के हितों के विपरीत है।

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