दिल्ली की उड़नपरी तरनजीत का छत्रसाल स्टेडियम में जोरदार स्वागत

इंद्रदेव भी हुए प्रसन्न, रिमझिम बूंदों से बढ़ाया बिटिया का हौसला

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। हाल ही तेलंगाना के वारंगल में सम्पन्न हुई 60वीं राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपनी प्रतिभा और चपलता से 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण तो 200 मीटर दौड़ में चांदी का तमगा जीतकर लौटी दिल्ली की नई उड़नपरी तरनजीत कौर का छत्रसाल स्टेडियम पहुंचने पर वहां के अधिकारियों, अभिभावकों और खिलाड़ियों ने जोरदार स्वागत किया। इस बेटी की शानदार सफलता से इंद्रदेव भी प्रसन्न नजर आए और उन्होंने रिमझिम बूंदों से इस बेटी का हौसला बढ़ाया।

तरनजीत कौर पहली बार सीनियर नेशनल में उतरी और उसने 100 और 200 मीटर दौड़ों में अपने सर्वश्रेष्ठ समय के साथ जो सफलता हासिल की है, वह भारतीय एथलेटिक्स के लिए शुभ संकेत है। तरनजीत कौर अब तक विभिन्न आयु वर्ग की स्पर्धाओं में दर्जनों मेडल जीत चुकी है लेकिन वारंगल की सफलता उसके लिए ही नहीं बल्कि समूची दिल्ली के लिए खास है।

तरनजीत की इस नायाब कामयाबी पर उदित प्रकाश राय निदेशक शिक्षा और खेल दिल्ली सरकार, संजय अम्बस्ता उप निदेशक शिक्षा (खेल) दिल्ली सरकार व निदेशक शिक्षा छत्रसाल स्टेडियम, अर्जुन अवॉर्डी आशा अग्रवाल उप निदेशक शिक्षा (खेल) दिल्ली सरकार, पुष्पा रत्नम संयुक्त निदेशक (शारीरिक शिक्षा ब्रांच), नवीन दहिया सेक्शन आफीसर एण्ड इंचार्ज, छत्रसाल स्टेडियम स्पोर्ट्स ब्रांच, ललित कुमार सेक्शन आफीसर स्पोर्ट्स ब्रांच, डायरेक्ट्रेट आफ एज्यूकेशन छत्रसाल स्टेडियम, दिल्ली सरकार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उसका जोरदार स्वागत किया।

दिल्ली सरकार के इन पदाधिकारियों ने तरनजीत कौर की इस कामयाबी का श्रेय प्रशिक्षक सुनीता राय को भी दिया और उनकी लगन व मेहनत की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। खेलप्रेमी धीरज नारायण सहित कई अभिभावकों ने भी तरनजीत का स्वागत किया और 24 सितम्बर से दिल्ली में ही होने वाली अण्डर-23 आयुवर्ग की नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्णिम सफलता की शुभकामनाएं दीं।

सच कहें तो तरनजीत में प्रतिभा के साथ ही खेलों के प्रति समर्पण भी है। लगातार सफलताएं हासिल करने के बाद भी इस बेटी के कदम जमीन पर हैं। तरनजीत ने हाल ही वारंगल में हुई 60वीं राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर की दौड़ 11.50 सेकेंड समय के साथ जीतकर जहां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया वहीं 200 मीटर दौड़ में 23.64 सेकेंड समय के साथ चांदी का पदक हासिल किया। वह 200 मीटर दौड़ में अर्चना सुसीन्द्रन से खिताबी मुकाबले में बेशक हार गई लेकिन उसे नाकों चने जरूर चबवा दिए।

तरनजीत ने इससे पहले भोपाल के तात्या टोपे नगर स्टेडियम में हुई 18वीं जूनियर नेशनल (अण्डर-20) फेडरेशन कप एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। उसने 100 मीटर दौड़ 11.70 सेकेंड तो 200 मीटर दौड़ 24.11 सेकेंड में पूरी की थी। तरनजीत ने फरवरी, 2021 में गुवाहाटी (असम) में हुई 36वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर में गोल्ड तो 200 मीटर में सिल्वर मेडल हासिल किया था। तरनजीत ने इसी माह तीन से छह सितम्बर तक दिल्ली में हुई 81वीं स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी 100 और 200 मीटर दौड़ में स्वर्णिम सफलता हासिल की थी।

इस उदीयमान एथलीट बेटी ने संगरूर (पंजाब) में हुए 65वें नेशनल स्कूल गेम्स में 100 मीटर में रजत पदक जीता था तो 2017-18 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुए खेलो इंडिया स्कूल गेम्स की 4 गुणा 100 मीटर रिले में अपनी टीम को कांस्य पदक दिलाया था। 2017-18, 2018-19 तथा 2019-20 में तरनजीत ने इंटर जोनल एथलेटिक्स मीट में 100, 200 मीटर दौड़ के साथ 4 गुणा 100 मीटर रिले में स्वर्णिम तिकड़ी लगाई थी। 2019-20 में भी यह बेटी दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 और 200 मीटर में चैम्पियन बनी थी। तरनजीत 2018-19 और 2019-20 में हुई समर एथलेटिक्स मीट तथा जोनल एथलेटिक्स मीट में 100 व 200 मीटर में गोल्ड मेडल जीते तो 2019-20 में दिल्ली स्टेट और इंटर जोनल एथलेटिक्स मीट में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया।  

हर बच्चे की सफलता में उसके माता-पिता का विशेय योगदान होता है। तरनजीत के पिता रविन्दर सिंह तथा माता कुलविन्दर कौर की भी तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपनी बेटी को खेलों में स्वच्छंद उड़ान भरने का मौका दिया है। प्रताप नगर दिल्ली निवासी 20 साल की तरनजीत कौर में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, यही वजह है कि वह जिस प्रतियोगिता में भी उतरती है, सफलता उसके कदम चूम लेती है। तरनजीत कहती हैं कि मेरी इस सफलता में प्रशिक्षक सुनीता मैडम का विशेष योगदान है क्योंकि वह छत्रसाल स्टेडियम में मुझे बेटी सा प्यार देते हुए सफलता के गुर सिखाती हैं। तरनजीत के विषय में प्रशिक्षक सुनीता राय का कहना है कि हर सफलता से जहां प्रसन्नता मिलती है वहीं असफलता हमें सीख भी देती है। मैं चाहती हूं कि यह बेटी दिल्ली ही नहीं बल्कि एथलेटिक्स में समूचे देश का गौरव बढ़ाए।

       

 

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