कृष्णा नागर ने जीता स्वर्ण, सुहास ने रजत

टोक्यो पैरालम्पिक: अंतिम दिन भारत का ‘सुपर संडे’
टोक्यो।
कृष्णा नागर ने बैडमिंटन में भारत को दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया जबकि उनसे पहले सुहास यथिराज ने रजत पदक हासिल किया जिससे भारतीय दल के लिये टोक्यो पैरालम्पिक में दिन ‘सुपर संडे’ साबित हुआ। दूसरे वरीय नागर ने हांगकांग के चू मैन काई को पुरुषों की एकल एसएच6 क्लास के 3 गेम तक चले रोमांचक फाइनल में शिकस्त दी। 
जयपुर के 22 साल के नागर ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 21-17, 16-21, 21-17 से हराया। वह बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने की सूची में हमवतन प्रमोद भगत के साथ शामिल हो गये। भगत ने शनिवार को एसएल3 क्लास में स्वर्ण पदक जीता था। सुहास पुरुष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गये जिससे उन्होंने ऐतिहासिक रजत पदक से अपना अभियान समाप्त किया। 
नोएडा के जिलाधिकारी 38 वर्षीय सुहास के एक टखने में विकार है। उन्हें दो बार के विश्व चैम्पियन माजूर से पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं भगत और पलक कोहली की मिश्रित युगल जोड़ी कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाइसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से हार गयी। एसएल4 के कांस्य पदक के प्लेऑफ में दूसरे वरीय तरुण ढिल्लों को इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान से हार का सामना करना पड़ा। 
सपना सच हुआ : नागर
नागर को छोटे कद का विकार है। नागर ने भारत को पांचवां स्वर्ण पदक दिलाने के बाद कहा, ‘मेरा सपना सच हो गया। मैं अपने पिता, मां, चाचा, चाची, भगवान और अपने सभी कोच का शुक्रिया करना चाहता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार है जब बैडमिंटन को पैरालम्पिक खेलों में शामिल किया गया और उम्मीद करता हूं भारत आगामी खेलों में इसी तरह पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहे।’
सुहास पदक जीतने वाले पहले आईएएस
गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी सुहास पैरालम्पिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गये हैं। गैर वरीय सुहास ने बैडमिंटन में भारत के लिये तीसरा पदक जीतने के बाद कहा,‘मैं अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं लेकिन मुझे यह यह मैच दूसरे गेम में ही खत्म कर देना चाहिए था।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिये मैं थोड़ा सा निराश हूं कि मैं फाइनल नहीं जीत सका क्योंकि मैंने दूसरे गेम में अच्छी बढ़त बना ली थी। लेकिन लुकास को बधाई। जो भी बेहतर खेलता है, वो विजेता होता है।’ कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर हैं और प्रशासनिक अधिकारी भी।

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