दिल जीता, कांस्य से चूकीं भारतीय हॉकी बेटियां

ब्रिटेन ने भारत को 4-3 से दी मात
टोक्यो।
जुझारूपन और दिलेरी से भरे खेल का प्रदर्शन करने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम का पहला ओलम्पिक पदक जीतने का सपना उस समय टूट गया जब ब्रिटेन ने टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक के लिए हुए अत्यंत रोमांचक मुकाबले में उसे 4-3 से हरा दिया। भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर यद्यपि पहले ही सफलता के नये मानदंड छू लिये थे। 
उसमें हार के बाद वह कांस्य से एक जीत दूर थी। आज कांस्य के लिए भिड़ंत में 2-0 से पिछड़ रही टीम ने शानदार वापसी करके हाफटाइम तक 3-2 की बढ़त भी बनायी, लेकिन दुनिया की चौथे नंबर की ब्रिटिश टीम ने उसे 4-3 से मात दे दी। ब्रिटेन ने दूसरे हाफ में जबर्दस्त आक्रामक खेल दिखाया। भारत की ओर से 5 मिनट के भीतर गुरजीत कौर ने 2 व वंदना कटारिया ने एक गोल किया। 
भारत का इससे पहले ओलम्पिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 में था, जब महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी। उस समय सेमीफाइनल नहीं होते थे। छह टीमें राउंड रॉबिन आधार पर खेली थीं। ब्रिटेन ने दमदार शुरुआत करते हुए पहले क्वार्टर में कई मौके बनाये। चौथे क्वार्टर में रक्षात्मक खेल अपना कर भारतीय टीम को बांधे रखा। आखिरी 8 मिनट में भारत को मिले पेनल्टी कॉर्नर पर गुरजीत गोल नहीं कर सकी।
पदक न जीतने का मलाल: रानी
कप्तान रानी रामपाल ने मैच के बाद कहा, ‘हम बहुत निराश महसूस कर रहे हैं ... मुझे नहीं पता कि क्या कहना है, लेकिन हाँ बहुत दुख हो रहा है, क्योंकि हम कांस्य पदक नहीं जीत सके। ...मुझे हालांकि लगता है कि सभी ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, मुझे टीम पर गर्व है। ओलंपिक में खेलना और शीर्ष चार में जगह बनाना आसान नहीं है। हमने लंबा सफर तय किया। अब हम काफी करीब थे, लेकिन कभी-कभी करीब होना भी अच्छा नहीं होता। हमने इतिहास बनाया है। किसी को दोष नहीं दे सकते। यह एक टीम प्रयास था। हम आज भाग्यशाली नहीं थे।'

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