भारतीय टूटती उम्मीदों को चार खिलाड़ियों ने किया जिन्दा

सिमरनजीत सिंह, रुपिंदर पाल सिंह, हरमनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह रहे हीरो
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। भारत ने जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलम्पिक में देश के पदक के सूखे को खत्म किया। इस हाईप्रोफाइल मैच में जर्मनी शुरू से ही फेवरेट थी। उन्होंने शुरुआत में ही गोल कर अपने इरादे भी साफ कर दिए। इसके बावजूद टीम इंडिया दबाव में नहीं आई और जर्मनी के हर वार का करारा जवाब दिया।
भारत की ओर से सिमरनजीत सिंह ने 17वें और 34वें मिनट में गोल किए। इसके अलावा रुपिंदर पाल सिंह ने 31वें, हरमनप्रीत सिंह ने 13वें और हार्दिक सिंह ने 27वें मिनट में गोल दागा। भारत की इस जीत में पूरी टीम का योगदान है, फिर भी हम बात करेंगे उन चार खिलाड़ियों के बारे में जिनकी बदौलत टीम ने इतिहास रच दिया।
1. सिमरनजीत सिंह: जूनियर वर्ल्ड कप में भारत को स्वर्ण दिला चुके हैं
भारतीय हॉकी टीम के मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के मझोला कस्बे के रहने वाले हैं। सिमरनजीत जालंधर की प्रसिद्ध सुरजीत हॉकी अकादमी से प्रशिक्षण ले चुके हैं और यहीं से प्रोफेशनल हॉकी खेलना शुरू किया। सिमरनजीत के चचेरे भाई गुरजंत सिंह भी एक प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी हैं। सिमरनजीत सिंह ने सुरजीत हॉकी अकादमी में करीब पांच साल तक कोचिंग ली। उसके बाद उनका चयन जूनियर वर्ल्ड कप के लिए हो गया था।
सिमरनजीत ने खेल में अपने लगातार प्रयास से जूनियर से सीनियर स्तर की सीढ़ी चढ़ी है। वह लखनऊ में आयोजित 2016 पुरुष हॉकी जूनियर वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। सिमरनजीत भारत की ए टीम का भी हिस्सा थे, जो सितम्बर 2018 में ऑस्ट्रेलियाई हॉकी लीग में खेली थी। 
इसके बाद युवा मिडफील्डर को भारतीय टीम में भी शामिल किया गया था, जिसने 2018 में नीदरलैंड के ब्रेडा में आयोजित हॉकी चैम्पियंस ट्राफी में भाग लिया था। फाइनल में पेनाल्टी में ऑस्ट्रेलिया से हारकर भारत ने रजत पदक जीता। इसके अलावा वर्ष 2018 में भुवनेश्वर में सीनियर वर्ल्ड कप में भाग लिया और उन्हें टोक्यो ओलम्पिक में खेलने का मौका मिला।
2. रुपिंदर पाल सिंह: 2010 में सुल्तान अजलान शाह कप से शुरुआत की
भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी ड्रैग फ्लिकर रुपिंदर पाल सिंह भी मूल रूप से पंजाब के फरीदकोट के बाबा फरीद एवेन्यू के रहने वाले हैं। फरीदकोट हॉकी खिलाड़ियों की कर्मभूमि है। यहां के सरकारी बृजेंद्रा कॉलेज के ग्राउंड से खेलकर कई पुरुष व महिला खिलाड़ी निकले हैं। 
रुपिंदर ने अपने हॉकी कॅरियर की शुरुआत मई 2010 में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान की थी। जहां भारतीय टीम स्वर्ण जीतने में कामयाब रही थी। इस टूर्नामेंट में रुपिंदर ने ब्रिटेन के खिलाफ अपनी पहली हैटट्रिक लगाई थी। यह हैटट्रिक आगे चलकर रुपिंदर के कॅरियर को आगे बढ़ाने में काफी सहायक साबित हुई।
रुपिंदर ने 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और भारत को रजत पदक दिलाया। 2014 में ही रुपिंदर स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे। 2016 एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम में भी रुपिंदर शामिल थे। इसमें रुपिंदर 11 गोल के साथ टॉप स्कोरर रहे और टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीता। रुपिंदर 2016 में रियो ओलम्पिक में भारत के टॉप स्कोरर रहे। रुपिंदर ने टीम को 2017 सुल्तान अजलान शाह कप और हॉकी वर्ल्ड लीग में कांस्य जिताया। रुपिंदर ने 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों में भी भाग लिया, यहां भारत ने कांस्य पदक जीता।
3. हरमनप्रीत सिंह:  रियो ओलंपिक में भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे
हरमनप्रीत सिंह पंजाब के अमृतसर जिला के कस्बा जंडियाला गुरु के छोटे से गांव तीमोवाल में पैदा हुए। भारतीय हॉकी के डिफेंडर और ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत देश के लिए अब तक 117 मैच खेल चुके हैं और 68 गोल कर चुके हैं। पेनाल्टी शॉट को गोल में बदलने वाले हरमनप्रीत ने करियर की शुरुआत बतौर फारवर्ड खिलाड़ी की थी।
उन्होंने वर्ष 2014 में मलेशिया में हुए सुल्तान जौहर कप में नौ पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदला था। 2015 में जूनियर एशिया कप और 2016 में जूनियर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा बने और टीम को खिताब दिलाने में योगदान दिया। वे 2016-17 में हॉकी वर्ल्ड लीग में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। 2016 में रियो ओलम्पिक में भारतीय टीम का भी हिस्सा रहे। 2016 और 2018 में चैम्पियंस ट्रॉफी में भी भारत को रजत पदक दिलाया। वहीं, 2017 में एशिया कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम इंडिया का भी हिस्सा रहे। 2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में टीम को कांस्य पदक दिलाने में हरमनप्रीत ने अहम योगदान निभाया।
4. हार्दिक सिंह: अहम मौके पर गोल कर टीम को क्वार्टर फाइनल जिताया
जालंधर के खुसरोपुर गांव के रहने वाले भारतीय हॉकी टीम के स्टार मिडफील्डर हार्दिक सिंह का टोक्यो ओलम्पिक में प्रदर्शन कमाल का रहा। टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम को सेमीफाइनल में जगह दिलवाने में हार्दिक के एक गोल का भी योगदान था। क्वार्टर फाइनल मैच से पहले हार्दिक की पिता वरिंदरप्रीत सिंह से फोन पर बात हुई थी। पिता ने उन्हें कहा था कि ग्रेट ब्रिटेन के साथ मैच बढ़िया होगा। इसलिए वह पूरे मनोबल के साथ मैदान में उतरे। पिता का यह प्रोत्साहन काम कर गया और हार्दिक ने नाजुक मौके पर मैच के 57वें मिनट पर शानदार फील्ड गोल करके भारत को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया। 
इसके अलावा हार्दिक के दादा प्रीतम सिंह भी भारतीय नौसेना के हॉकी कोच थे। हार्दिक अपने चाचा एवं पूर्व भारतीय ड्रेग-फ्लिकर जुगराज सिंह को अपना गुरु मानते हैं। उनकी चाची राजबीर कौर भी भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। राजबीर कौर के पति गुरमेल सिंह ने 1980 के ओलम्पिक में भाग लिया, जिसमें भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। टोक्यो गई भारतीय टीम में जालंधर के चार खिलाड़ी कप्तान मनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, हार्दिक सिंह और वरुण कुमार शामिल हैं। हार्दिक सिंह भारतीय जूनियर हॉकी टीम के उप कप्तान रह चुके हैं। वे 2018 में एशियाई पुरुष हॉकी चैम्पियंस ट्रॉफी और साल 2018 में पुरुष हॉकी विश्वकप में भी भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं।

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