दादी के स्वर्गवास का पता लगने ही फूट-फूटकर रो पड़ी जुडोका

टोक्यो ओलम्पिक से पहले सुशीला चानू को करना पड़ा गम का सामना
नई दिल्ली।
मणिपुर की जुडोका सुशीला चानू के टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने की सबसे ज्यादा खुशी उनकी दादी को हुई थी। यह दादी ही थीं जो सुशीला के दिल के बेहद करीब थीं। ओलम्पिक की तैयारियों के लिए फ्रांस जाते वक्त वह दादी से आशीर्वाद लेकर गई थीं, लेकिन 27 जून को उनकी दादी का स्वर्गवास हो गया।
ओलंपिक की तैयारियां प्रभावित नहीं हों इसलिए घर वालों ने फ्रांस में तैयारियां कर रही सुशीला को इस बारे में नहीं बताया, लेकिन टोक्यो रवानगी से दो दिन पूर्व मणिपुर में एक दोस्त से बातचीत के दौरान उन्हें पता लग गया कि उनकी दादी नहीं रहीं। इसके बाद वह फूट-फूटकर रो पड़ीं। सुशीला कहती हैं कि वह दादी की यादों को ढाल बनाकर टोक्यो में पूरी जान लगा देंगी।
ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत जीतने वाली सुशीला खुलासा करती हैं कि वह सोच नहीं सकती हैं कि उनकी दादी चली गई हैं। वह उनसे अपने दिल की हर बात कहती थीं। वह बीमार भी नहीं थीं और अच्छा स्वास्थ्य था। फ्रांस में वह जब भी माता-पिता से दादी से बात कराने के बारे में कहते तो उनसे कहा जाता कि वह सो गई हैं या बाहर गई हैं। उन्होंने कभी यह सोचा ही नहीं था कि वह जा चुकी हैं। फ्रांस से लौटने के बाद वह दिल्ली के नेहरू स्टेडियम में तैयारियां करने लगीं बावजूद इसके उन्हें दादी के बारे में नहीं पता लगा, लेकिन दोस्त ने उन्हें फोन पर इस दुखद घटना के बारे में जानकारी दी।
राष्ट्रमंडल खेलों में रजत जीतने के तीन साल बाद सुशीला को मणिपुर पुलिस में महज कांस्टेबल की नौकरी मिली। आज भी वह कांस्टेबल ही हैं। सुशीला को उम्मीद है कि टोक्यो में अच्छा प्रदर्शन उन्हें प्रमोशन दिला सकता है। सुशीला के कोच जीवन शर्मा खुलासा करते हैं कि तैयारियों के साथ वह सुशीला को प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
उन्होंने तैयारियों के साथ सुशीला का रोजाना एक वीडियो सत्र रख रखा है जिसमें वह उन्हें बड़ी हस्तियों के प्रेरणादायक वीडियो दिखाते हैं। इनमें विकलांग पर्वतारोही उत्तर प्रदेश की अरुणिमा सिन्हा का एवरेस्ट फतेह करने का दौरान वीडियो भी है। अरुणिमा के साहस को देखकर सुशीला में उत्साह भर जाता है। इसी तरह वर्तमान में जापान ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व ओलंपिक चैंपियन जुडोका यामाशिता का टांग में चोट के बावजूद ओलंपिक फाइनल लडने का वीडियो भी शामिल है। यामाशिता अपने पूरे करियर में कभी कोई बाउट नहीं हारे।
सिडनी ओलंपिक में ब्रोजेश्वरी देवी और एथेंस ओलंपिक में अकरम शाह ने जूडो में एक बाउट जीती थी। इसके अलावा जुडोकाओं का ओलंपिक में प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है। 48 किलो में खेलने जा रही सुशीला के समक्ष यही चुनौती है वह कितनी बाउट जीतती हैं। सुशीला भी कहती हैं कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।

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