पहलवान अनमोल ने भरी ऊंची उड़ान

महिला पहलवान को घुटने की चोट के कारण छोड़ना पड़ा था मैदान
अब एसडीएम बनकर संभाली कमान
खेलपथ प्रतिनिधि
सोनीपत।
खरखौदा के अखाड़े में कुश्ती टीम में चयन को ट्रायल देेने के लिए आई एक महिला पहलवान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह एक दिन इसी उपमंडल में एसडीएम (एचसीएस) बनकर प्रशासनिक कमान संभालेंगी। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में 14 मेडल जीतकर एक युवा महिला पहलवान को 2012 में घुटने की चोट के कारण मजबूरीवश मैदान छोड़ना पड़ा। 
उसने चोट की भरपाई को किताबों को सहारा क्या बनाया फिर तो हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा पास करके ही दम लिया। यह प्रेरक प्रसंग वर्तमान में सोनीपत जिला के खरखौदा की एसडीएम डॉ. अनमोल से जुड़ा है। हिसार के गांव जाखौद खेड़ा की मूल निवासी अनमोल की माता राजबाला शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका थीं। बचपन में कई बार अपनी माता के साथ खेल मैदान गईं तो उन्हें कुश्ती का शौक हो गया। एक बार मैदान में उतरीं तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहले तो 2009 में नेशनल चैंम्पियन बनीं और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतने के सफर पर निकल पड़ीं। 
थाईलैंड के बैंकाक में आयोजित कैडेट एशिया कुश्ती चैम्पियनशिप, कॉमनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप, फिलीपिंस के मनीला में आयोजित एशियन चैम्पियनशिप समेत कई प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के बाद एक के बाद एक देश की झोली में कई पदक डाल दिए। दुर्भाग्य से 2012 में घुटने में चोट लगने से खेल के मैदान से बाहर हो गईं। मैदान छोड़ने से पहले दुनिया के अधिकांश देशों में प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया। चोटिल होने पर एकबारगी उन्हें लगा कि सब कुछ खत्म हो गया मगर उन्होंने हौसला नहीं खोया और किताबों को अपना सहारा बना लिया। 
कॉलेज की नौकरी में रहते हुए कुछ बड़ा करने की सोचती रहती थीं। चार बार यूपीएससी की परीक्षा दी मगर हर बार प्री तो पास कर लेतीं मगर फाइनल में आकर अटक जातीं। बाद में हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा दी और एचसीएस के लिए चयनित हो गईं। पहली नियुक्ति इस साल मार्च खरखौदा में बतौर एसडीएम हुई जहां पर कभी कुश्ती के लिए ट्रायल देने आई थीं। उनके पास यूपीएससी का एक और मौका है जिसके लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं।

 

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