टोक्यो ओलम्पिक में पांच खेलों में बेटियों पर होगा दारोमदार

54 बेटियां ओलम्पिक में पेश करेंगी चुनौती, इनमें सबसे ज्यादा हरियाणा की 18

38 साल की मैरीकॉम होंगी इन खेलों में भाग लेने वाली सबसे उम्रदराज भारतीय खिलाड़ी

19 साल की अंशू मलिक, सोनम मलिक और मनु भाकर सबसे युवा भारतीय महिला खिलाड़ी होंगी

खेलपथ संवाद

नई दिल्ली। टोक्यो ओलम्पिक के लिए लगातार दूसरी बार रिकॉर्ड 54 बेटियों ने क्वालीफाई किया है। इन खेलों में भारत का रिकॉर्ड 118 सदस्यीय दल भाग लेगा जो रियो ओलम्पिक से एक ज्यादा है। यही नहीं पहली बार भारतीय खिलाड़ी 18 खेलों में चुनौती पेश करेंगे। इनमें से पांच में दारोमदार सिर्फ बेटियों के कंधों पर होगा।

इनमें टेनिस में सानिया मिर्जा और अंकिता रैना, तलवारबाजी में भवानी देवी, जूडो में सुशीला देवी, जिम्नास्टिक में परणीति नायक और वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू शामिल हैं। पांच साल पहले रियो ओलम्पिक में दो बेटियों शटलर पीवी सिंधू (रजत) और पहलवान साक्षी मलिक (कांस्य) ने पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था। इस बार भी उम्मीद की डोरी बेटियों के हाथ में ही है। हरियाणा से सर्वाधिक 30 खिलाड़ी टोक्यो जाएंगे जिसमें से 18 बेटियां हैं। 

टेनिस में सानिया मिर्जा और अंकिता रैना पर भारतीय उम्मीदों का बोझ होगा। यह दोनों युगल में चुनौती पेश करेंगी। सानिया चौथी बार तो अंकिता रैना पहली बार ओलम्पिक में खेलेंगी। सानिया और बोपन्ना 2016 में कांस्य पदक के प्लेऑफ मुकाबले में हार गए थे। सानिया मिर्जा का यह आखिरी ओलम्पिक होगा और वह पदक जीतकर इसे यादगार बनाना चाहेंगी।

पिछले 29 वर्षों में यह पहला मौका होगा जब कोई भारतीय पुरुष टेनिस खिलाड़ी ओलम्पिक में नहीं होगा। लिएंडर पेस और रमेश कृष्णन के बार्सिलोना में 1992 खेलों में हिस्सा लेने के बाद से हर बार भारत की पुरुष युगल जोड़ी ओलंपिक का हिस्सा थी। पेस इसके बाद काफी समय तक महेश भूपति के साथ खेले। पेस और बोपन्ना रियो ओलंपिक 2016 में उतरे लेकिन यह जोड़ी पहले ही दौर में हार गई थी। इस बार बोपन्ना और दिविज शरण क्वालीफाई नहीं कर पाए।

वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू (49 किलोग्राम) से 21 साल का पदक का सूखा खत्म करने की उम्मीद है। देश को वेटलिफ्टिंग में एकमात्र पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलम्पिक में कांस्य के रूप में दिलाया था। मणिपुर की 26 वर्षीय वेटलिफ्टर मीरा दूसरी बार खेलों के महाकुंभ में खेलेंगी। दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी मीराबाई ने अप्रैल में ताशकंद में एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्नैच में 86 किलोग्राम का भार उठाने के बाद क्लीन एंड जर्क में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए 119 किलोग्राम का वजन उठाया। वह कुल 205 किलोग्राम के साथ तीसरे स्थान पर रही थीं।

भवानी देवी ओलम्पिक में अपने दम पर क्वालीफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज (महिला-पुरुष) हैं। वह अपने पहले ही ओलम्पिक को यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगी। भवानी इटली में तैयारी कर रही हैं और वहीं से सीधे टोक्यो जाएंगी।  

2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीत चुकी सुशीला देवी (48 किलोग्राम) ने एशियाई कोटे से टोक्यो का टिकट कटाया है। पहली बार ओलम्पिक में खेलने को लेकर सुशीला काफी उत्साहित हैं। उन्होंने चोट से उबर कर शानदार वापसी की है। 

दीपा के बाद परिणीति 2019 में एशियन आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। परिणीति नायक ओलम्पिक में खेलने वाली दूसरी भारतीय महिला जिम्नास्ट होंगी। दीपा करमाकर रियो में चौथे स्थान पर रहकर पदक से चूक गईं थी। एशियाई कोटे से क्वालीफाई करने वाली परिणीति भी दीपा की तरह अपनी छाप छोड़ना चाहेंगी। सानिया टेनिस, मैरीकॉम मुक्केबाजी और डिस्क्रस थ्रोअर सीमा पूनिया चौथी-चौथी बार ओलम्पिक में खेलेंगी। वह सर्वाधिक बार इन खेलों में भाग लेने वाली भारतीय महिला एथलीट विल्सन के रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी।

छह बार की विश्व चैम्पियन मुक्केबाज मैरीकॉम ओलम्पिक में पदक (2012, लंदन ओलम्पिक) तो नौ साल पहले ही जीत चुकी हैं अब वह अपने आखिरी खेलों के महाकुंभ में स्वर्णिम विदाई चाहेंगी। अगर वह कोई भी पदक जीत लेती हैं तो वह देश के लिए ओलम्पिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन जाएंगी। अभी तक पुरुषों में सिर्फ पहलवान सुशील कुमार ही यह उपलब्धि हासिल कर पाए हैं। यही नहीं तीन बच्चों की मां देश की पहली ऐसी खिलाड़ी बन जाएंगी जो सांसद (मनोनीत सदस्य) रहते ओलम्पिक में खेलेंगी।

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