माता-पिता का आशीष लेकर टोक्यो ओलम्पिक में अंशू ठोकेगी ताल

विनेश को छोड़ महिला पहलवान दिल्ली से टोक्यो जाएंगे
नई दिल्ली।
उदीयमान पहलवान अंशू मलिक अपने माता-पिता से आशीष लेने के बाद टोक्यो ओलम्पिक में ताल ठोकेगी। खेल मंत्रालय और साई की इच्छा के बावजूद कुछ टीमों को विदेश से सीधे टोक्यो भेजने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। पेरिस में एक ही दिन में तीन स्वर्ण पदक जीतकर विश्व की नम्बर एक तीरंदाज बनने वाली दीपिका कुमारी उनके पति अतानु दास, तरुणदीप रॉय और प्रवीण जाधव फ्रांस से नहीं बल्कि भारत से टोक्यो के लिए रवाना होंगे। 
साई ने पेरिस में तीरंदाजों की तैयारियां कराने को तैयार था, लेकिन तीरंदाजी संघ ने इसमें रुचि नहीं दिखाई वहीं सोमवार को ओलम्पिक की तैयारियों के लिए पोलैंड से एस्टोनिया पहुंची पहलवान अंशू मलिक वहां से टोक्यो नहीं जाना चाहती हैं। वह अपने माता-पिता से मिलकर टोक्यो जाना चाहती हैं, जिसके चलते 11 जुलाई को वह एस्टोनिया से भारत आ रही हैं और यहीं से टोक्यो जाएंगी। जिसके चलते तीरंदाजों और महिला पहलवानों को टोक्यो में तीन दिन का एकांतवास काटना पड़ेगा।
पहले तीरंदाजी टीम को पेरिस से लौटकर एक जुलाई को कोरबे सिटी (जापान) जाना था, लेकिन जापान ने भारतीय टीमों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया। इसके बाद साई ने विश्व कप के बाद तीरंदाजों की पेरिस में ही तैयारियों का प्रस्ताव तीरंदाजी संघ के आगे रखा। साथ ही उन्हें पेरिस से ही टोक्यो भेजने को कहा जिससे उन्हें जोखिम और एकांतवास से बचाया जा सके। लेकिन तीरंदाजी संघ ने तीरंदाजों को एएसआई पुणे में ही तैयारियां कराना बेहतर समझा। जिसके चलते दीपिका, अतानु समेत सभी तीरंदाज आज पेरिस से दिल्ली रवाना हो रहे हैं। दिल्ली से ही मंगलवार को तीरंदाज पुणे चले जाएंगे। 17 जुलाई को तीरंदाज दिल्ली से टोक्यो रवाना होंगे।
महिला पहलवानों को हंगरी से टोक्यो भेजने की योजना थी। हालांकि सीमा बिसला और सोनम मलिक चोट के चलते यहीं तैयारियां कर रही हैं, लेकिन अंशू मलिक कोच कुलदीप मलिक के साथ पोलैंड और अब एस्टोनिया तैयारियों के लिए पहुंच चुकी हैं। विनेश भी हंगरी से एस्टोनिया पहुंच गई हैं। हंगरी अंशू को वीजा देने को तैयार था। उन्हें एस्टोनिया से हंगरी और विनेश के साथ वहां से टोक्यो जाना था। लेकिन अंशू ने कुश्ती संघ को स्पष्ट किया कि टोक्यो जाने से पहले घर आकर माता-पिता का आशीष लेना चाहती हैं। कुश्ती संघ अंशू की इस मांग के आगे झुक गया और उन्हें एस्टोनिया से भारत आने की इजाजत दे दी।

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