मां के लिए श्रवण कुमार हैं शॉटपुटर तेजिंदर पाल सिंह

मां की ममता को कोच ने बनाया तूर की ढाल
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
शॉटपुटर तेजिंदर पाल सिंह तूर की अक्टूबर में प्रैक्टिस के दौरान हथेली की हड्डी टूट गई थी। ओलम्पिक की तैयारियों के लिए कोई स्पर्धा भी नहीं मिली थी। कोच मोहिंदर सिंह ढिल्लों भी जानते थे कि तूर के लिए अब नहीं तो कभी नहीं वाली स्थितियां बन गई हैं। लेकिन वह यह भी जानते हैं कि उन्हें तूर से उनका सर्वश्रेष्ठ कैसे निकलवाना है।
तूर जब सोमवार को इंडियन ग्रां प्री-4 में अपनी पहली थ्रो फेंकने जा रहे थे तब ढिल्लों ने तूर से कहा घर में महीनों से अकेली रह रही मां के त्याग की लाज रखना। फिर क्या था उन्होंने पहले ही प्रयास में 21.49 मीटर दूर गोला फेंक ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने के साथ ही एशियाई और राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया।
इसके तुरंत बाद तूर ने मां को फोन किया। पिता के देहांत के बाद तूर मां को अपने साथ रखते थे। इसके लिए उन्होंने पटियाला में घर लिया। ट्रेनिंग के बाद वह मां के पास चले जाते थे, लेकिन कोरोना शुरू होने के बाद बायो-बबल में तैयारियां शुरू हो गईं। तूर एनआईएस से बाहर नहीं निकल सकते थे। इसके बाद उन्होंने मां को मोगा स्थिति अपने घर में छोड़ दिया। जहां वह अकेली थीं। ढिल्लों कहते हैं कि यह दोनों के लिए कठिन स्थिति थी। मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं जिसकी तूर को उनकी चिंता सताती थी।
रिश्तेदार मदद करते थे, लेकिन मां तो मां होती है। वह अक्सर फोन कर रोया करती थीं। तूर का मन नहीं लगता था। ऊपर से ओलम्पिक क्वालीफाई करने के लिए कोई स्पर्धा नहीं मिल रही थी, लेकिन वह उसका हौसला बढ़ाते रहे।
बीते वर्ष 27 अक्टूबर को ट्रेनिंग के दौरान गोला फेंकते हुए वह फिसल गए। हथेली के बाएं हिस्से में फ्रैक्चर निकला और घुटने में भी चोट आई। छह हफ्ते बाद एक्सरे कराया तो फिर वैसी ही स्थिति निकली जैसी फ्रैक्चर के दौरान थी। तब डॉक्टर ने कहा ऐसे ही रहेगा बाद में ठीक हो जाएगा। इस दौरान सब कुछ बंद हो गया। उन्होंने प्लास्टर को एक सप्ताह जानबूझकर और ज्यादा चढ़ाए रखा। जनवरी में तूर ने फिर गोला फेंकना शुरू किया।

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