दीपक पूनिया टोक्यो में लौ बिखेरने को तैयार

टोक्यो ओलम्पिक के लिए कर रहे हैं जमकर मेहनत
खेलपथ संवाद
बहादुरगढ़।
किसी भी खेल में सबसे जरूरी होती है टाइमिंग और कुश्ती में टाइमिंग का सीधा संबंध है दांव से। पलक झपकते ही पहलवान को दांव खेलना होता है और यही उसकी असली ताकत भी होती है। इसमें अगर चूक हो जाए तो वही दांव भी उल्टा पड़ जाता है। ऐसे ही तमाम दांव की बारीकियों को अपनी ताकत बनाने में जुटे हैं बहादुरगढ़ (झज्जर) के पहलवान दीपक पूनिया, जो टोक्यो ओलम्पिक के 86 किलोग्राम की कुश्ती में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
दीपक ने 2019 में टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था। पहले यह 2020 में होना था, मगर कोरोना के कारण इसे एक साल के लिए टाल दिया गया। ऐसे में दीपक को भी अभ्यास के लिए खूब वक्त मिला। दीपक कहते हैं कि सामने वाला पहलवान जब कोई दांव खेलता है तो उसका जवाब तभी दिया जा सकता है जब उस दांव की बारीकी का ज्ञान हो। बकौल दीपक, उसने ओलम्पिक क्वालीफाई करने से लेकर अब तक इसी बिंदु पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है।
किसी भी दांव की काट न जान पाना ही पहलवान की कमजोरी नहीं होती, बल्कि जो दांव खुद खेला है अगर उसकी बारीकी का ज्ञान नहीं है तो यह भी कमजोरी ही होती है। ऐसी हर कमजोरी को मैंने दूर करने की कोशिश की। ओलम्पिक की रोजाना छह घंटे के अभ्यास में कई अहम दांव की नई बारीकियां भी हमने सीखी हैं ताकि प्रतिद्वंद्वियों को जवाब दे सकूं। ओलम्पिक में स्वर्ण जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। ऐसा ही सपना हमारा भी है।
सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत दीपक ने ओलम्पिक में क्वालीफाई के लिए जितना पसीना बहाया है, उतना ही परिवार ने भी। बहादुरगढ़ के गांव छारा की माटी से निकले दीपक का परिवार बेहद साधारण है। पिता सुभाष खेतीबाड़ी और दूध बेचने का काम करते रहे हैं। अभी तक दीपक ने दिल्ली के नरेला में अभ्यास किया है। वहां पर लाकडाउन के बीच दूध पहुंचाने में उनके पिता एक दिन भी नहीं चूके।
ये हैं उपलब्धियां-
दीपक ने वर्ष 2016 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराना शुरू किया। उस साल सब जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता। 2016 में ही एशिया सब जूनियर में स्वर्ण पदक हासिल किया। 2017 में जूनियर एशिया चैंपियनशिप में रजत पदक पाया। 2018 में जूनियर एशिया चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता। 2019 में सीनियर एशिया में कांस्य पदक जीता। 2019 में पहले जूनियर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीता फिर सीनियर में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

 

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